कम मेहनत, ज्यादा पैदावार – इस खास किस्म से बनाया रिकॉर्ड
खेती में सफलता पाने के लिए मेहनत और सही तकनीक का होना बेहद जरूरी है। मध्य प्रदेश के किसान जयनारायण पाटीदार ने भी अपनी सूझबूझ और मेहनत से एक नया कीर्तिमान स्थापित किया। साल 2015 में उन्होंने पूसा मंगल 8713 गेहूं की किस्म से 102.33 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन कर जिले में रिकॉर्ड बना दिया। उनकी इस शानदार उपलब्धि के लिए उन्हें मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और कृषि विभाग द्वारा सम्मानित किया गया।
आइए जानते हैं कि उन्होंने यह सफलता कैसे हासिल की और किस तरह गेहूं की इस उन्नत किस्म ने उनकी आमदनी को कई गुना बढ़ा दिया।
पूसा मंगल 8713 गेहूं की खासियत
पूसा मंगल 8713 गेहूं की एक उन्नत किस्म है, जिसे मध्य क्षेत्र के राज्यों के लिए अनुशंसित किया गया है। यह खास किस्म किसानों को ज्यादा पैदावार और बेहतर गुणवत्ता वाला अनाज देती है।
इस किस्म की विशेषताएं:
- यह किस्म तेजी से बढ़ती है और इसकी फसल 120-135 दिनों में पककर तैयार हो जाती है।
- अन्य पारंपरिक गेहूं की तुलना में इसकी उत्पादन क्षमता ज्यादा होती है।
- इसकी बालियां घनी और भारी होती हैं, जिससे प्रति हेक्टेयर ज्यादा पैदावार मिलती है।
- यह किस्म रोग प्रतिरोधी है, जिससे इसे कीटनाशकों और दवाइयों की कम जरूरत पड़ती है।
- इस गेहूं का अनाज चमकदार और गुणवत्ता में बेहतरीन होता है, जिससे बाजार में इसकी मांग और कीमत दोनों ज्यादा होती है।
कैसे की जयनारायण पाटीदार ने गेहूं की रिकॉर्ड पैदावार?
1. सही भूमि और मिट्टी का चयन
- उन्होंने सबसे पहले मृदा परीक्षण कराया, जिससे यह पता चला कि उनकी जमीन में किस प्रकार के पोषक तत्व मौजूद हैं और किसकी कमी है।
- इसके बाद उन्होंने जैविक खाद और उर्वरकों का सही संतुलन बनाकर मिट्टी को फसल के लिए उपयुक्त बनाया।
2. उन्नत बीज और बुवाई की तकनीक
- पूसा मंगल 8713 किस्म के उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का चुनाव किया।
- बुवाई से पहले बीज को उपचारित किया, जिससे रोग और कीटों से बचाव किया जा सके।
- बीज बोने की सही गहराई (4-5 सेमी) और उचित दूरी (पंक्तियों के बीच 20-25 सेमी) का ध्यान रखा गया, जिससे पौधों को बढ़ने के लिए पर्याप्त जगह मिली।
3. आधुनिक सिंचाई तकनीक का उपयोग
- फसल की जरूरत के हिसाब से ड्रिप इरिगेशन और स्प्रिंकलर सिंचाई तकनीक का इस्तेमाल किया।
- यह तकनीक पानी की बचत करती है और पौधों को जड़ों तक नमी प्रदान करती है, जिससे उत्पादन बढ़ता है।
- महत्वपूर्ण समय पर सिंचाई की गई, जैसे अंकुरण, फूल आने और दाने बनने के समय।
4. जैविक खाद और उर्वरकों का संतुलित उपयोग
- रासायनिक उर्वरकों की जगह जैविक खाद, गोबर खाद और वर्मी कम्पोस्ट का इस्तेमाल किया।
- पौधों की बढ़वार और अनाज की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए आवश्यक नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश का संतुलित रूप से प्रयोग किया।
5. रोग और कीटों से बचाव
- गेहूं की इस किस्म में रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होती है, लेकिन फसल को और अधिक सुरक्षित रखने के लिए जैविक कीटनाशकों और नीम के अर्क का छिड़काव किया गया।
- समय-समय पर खेत की निगरानी की गई, जिससे फसल को किसी भी प्रकार के नुकसान से बचाया जा सके।
रिकॉर्ड उत्पादन से हुई लाखों की कमाई
1 हेक्टेयर की लागत और मुनाफा:
- बीज और खाद की लागत – ₹10,000
- सिंचाई और रखरखाव – ₹8,000
- मजदूरी और अन्य खर्च – ₹7,000
- कुल लागत – ₹25,000
उत्पादन और कमाई:
- प्रति हेक्टेयर 102.33 क्विंटल गेहूं का उत्पादन हुआ।
- बाजार में गेहूं की कीमत ₹2,200 प्रति क्विंटल थी।
- कुल कमाई ₹2,25,126 हुई।
- शुद्ध मुनाफा ₹2 लाख से अधिक हुआ।
अगर कोई किसान 10 हेक्टेयर में इस गेहूं की खेती करे, तो सालाना 20 लाख रुपये से ज्यादा की कमाई कर सकता है।
इस उपलब्धि के लिए मिला सम्मान
जयनारायण पाटीदार की इस सफलता को देखते हुए उन्हें मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और कृषि विभाग द्वारा सम्मानित किया गया। उनके द्वारा अपनाई गई तकनीक और मेहनत आज हजारों किसानों के लिए प्रेरणा बन गई है।
उन्होंने यह साबित कर दिया कि अगर किसान नई तकनीकों और उन्नत किस्मों का उपयोग करें, तो कम लागत में ज्यादा उत्पादन लेकर खेती को एक लाभदायक व्यवसाय बनाया जा सकता है।
अन्य किसानों के लिए प्रेरणा – कैसे अपनाएं यह तकनीक?
अगर आप भी गेहूं की खेती से अधिक मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो इन बातों का ध्यान रखें:
- मृदा परीक्षण कराकर ही खेती की शुरुआत करें।
- उन्नत किस्म जैसे पूसा मंगल 8713 का चयन करें।
- जैविक खाद और संतुलित उर्वरकों का प्रयोग करें।
- पानी बचाने के लिए ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणाली अपनाएं।
- जैविक कीटनाशकों का उपयोग करें, जिससे फसल सुरक्षित रहे।
- सही समय पर कटाई और भंडारण करें, जिससे अनाज की गुणवत्ता बनी रहे।
निष्कर्ष – सही सोच से ही मिलती है बड़ी सफलता
मध्य प्रदेश के जयनारायण पाटीदार की यह सफलता हमें यह सिखाती है कि खेती में नवाचार और वैज्ञानिक तकनीकों को अपनाकर हम रिकॉर्ड उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।
अगर किसान परंपरागत खेती से हटकर नई तकनीकों, उन्नत बीजों और आधुनिक कृषि पद्धतियों को अपनाएं, तो वह अपनी आय को कई गुना बढ़ा सकता है।
आप भी अगर खेती को फायदे का सौदा बनाना चाहते हैं, तो जयनारायण पाटीदार की तरह स्मार्ट फार्मिंग अपनाएं और गेहूं की उन्नत खेती से लाखों रुपये की कमाई करें! और पढ़े
