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Mansoon > Blog > A to Z Farming > आदिवासी महाकुंभ मेला: 5-7 किलो की मूली ने सबको हैरान कर दिया
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आदिवासी महाकुंभ मेला: 5-7 किलो की मूली ने सबको हैरान कर दिया

mansoon.info
Last updated: 2025/03/01 at 10:45 PM
By mansoon.info

पलामू: झारखंड के पलामू जिले में आयोजित राजकीय आदिवासी विकास महाकुंभ मेला इस बार चर्चा का विषय बना हुआ है, और इसकी वजह है एक महिला किसान द्वारा प्रदर्शित की गई विशाल मूली। यह मूली इतनी बड़ी है कि देखने वाले लोग अपनी आंखों पर विश्वास नहीं कर पा रहे हैं। 5 से 7 किलो तक की यह मूली इस मेले का आकर्षण बन चुकी है। महिला किसान बुधनी देवी ने अपनी उपज से मेले में एक नया रिकॉर्ड बना दिया है।

Contents
आदिवासी महाकुंभ मेले का आयोजन और विशाल मूली की चर्चामहिला किसान का कड़ी मेहनत से मिला शानदार परिणामजैविक खेती का प्रभाव और महिलाओं की भूमिकामेले में बढ़ी उपज की डिमांडपहला ऐसा अनुभव, जब किसानों को मिला इतना ध्यानजैविक खेती का भविष्य

आदिवासी महाकुंभ मेले का आयोजन और विशाल मूली की चर्चा

राजा मेदिनिराय की याद में आयोजित होने वाले आदिवासी महाकुंभ मेले का यह वर्ष भी खास रहा। इस मेले में किसानों ने अपनी खेती की उपज का प्रदर्शन किया, जिनमें से एक स्टॉल विशेष रूप से आकर्षण का केंद्र बना। यह स्टॉल था, पलामू के दुबीयाखांड गांव की महिला किसान बुधनी देवी का, जिन्होंने 5 से 7 किलो की मूली को मेले में प्रदर्शित किया। देखते ही देखते यह मूली पूरे मेले का आकर्षण बन गई और लोग बड़ी संख्या में इसे देखने के लिए वहां पहुंचे।

सामान्यत: मूली का आकार उतना बड़ा नहीं होता, लेकिन इस बार जो मूली पेश की गई, उसने सबको चौंका दिया। इसे देखने वाले लोग इस पर यकीन नहीं कर पा रहे थे कि ऐसी मूली हो भी सकती है। बुधनी देवी का कहना है कि वह 10 वर्षों से खेती कर रही हैं, लेकिन इस तरह की मूली उन्होंने पहली बार उगाई है।

महिला किसान का कड़ी मेहनत से मिला शानदार परिणाम

बुधनी देवी ने लोकल 18 से बात करते हुए बताया कि वह 10 साल से खेती कर रही हैं और इस दौरान कई तरह की सब्जियों की खेती की है, लेकिन इस बार जो मूली तैयार हुई है, उसकी साइज पहले कभी नहीं आई थी। उन्होंने बताया कि इस मूली के लिए उन्होंने सबसे पहले गाय के गोबर से खेत तैयार किया था। इसके बाद उन्होंने खेत में मेड़ बनाई और बाजार से बीज खरीदकर उसे खेत में बोया।

उन्होंने जैविक खेती के तरीकों का पालन करते हुए गाय और बकरी के गोबर को खाद के रूप में खेत में डाला और इसके बाद नियमित रूप से सिंचाई और देखरेख की। दो महीने की मेहनत और देखभाल के बाद इस तरह की विशाल मूली तैयार हुई।

बुधनी देवी के अनुसार, यह मूली पूरी तरह से जैविक खाद से तैयार हुई है, और इससे वह बहुत खुश हैं। उन्होंने बताया कि जैविक खाद से उगाई गई फसलों का मुनाफा बहुत अच्छा होता है और बाजार में भी उनकी डिमांड काफी ज्यादा है। यह मूली अब पूरे जिले में चर्चा का विषय बन चुकी है और लोग इसको लेकर तरह-तरह के सवाल भी पूछ रहे हैं।

जैविक खेती का प्रभाव और महिलाओं की भूमिका

बुधनी देवी ने यह भी बताया कि वह हमेशा से जैविक खेती की पक्षधर रही हैं। उनका मानना है कि जैविक खाद का उपयोग न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद है, बल्कि यह किसानों के लिए भी लाभकारी है। जैविक खेती से उगाई गई फसलों में पोषक तत्व ज्यादा होते हैं, और यह किसानों की आय बढ़ाने में मदद करती है।

महिला किसान बुधनी देवी का यह प्रयास इस बात को साबित करता है कि महिलाएं कृषि क्षेत्र में भी बड़े बदलाव ला सकती हैं। उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण ने यह दिखा दिया है कि महिलाएं किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकती हैं, बशर्ते उन्हें सही दिशा और अवसर मिले।

मेले में बढ़ी उपज की डिमांड

बुधनी देवी की विशाल मूली का यह प्रदर्शन इस बात का संकेत है कि जैविक और पारंपरिक खेती के तरीके आज भी किसानों के लिए मुनाफा ला सकते हैं। मेले में इस मूली को देखने आने वाले लोग अब इसे अपने खेतों में लगाने के लिए भी प्रेरित हो रहे हैं। बुधनी देवी के अनुसार, “मूली का आकार बहुत बड़ा होता है, लेकिन जैविक तरीके से उगाई गई फसलों का स्वाद और गुणवत्ता भी बेहतरीन होती है।”

इस विशाल मूली की सफलता ने यह साबित कर दिया है कि यदि किसान अपने पारंपरिक तरीके और जैविक खाद का सही उपयोग करें, तो उन्हें बहुत अच्छे परिणाम मिल सकते हैं। यह घटना स्थानीय किसानों के लिए एक प्रेरणा बन चुकी है और अब वे भी जैविक खेती की ओर रुख कर रहे हैं।

पहला ऐसा अनुभव, जब किसानों को मिला इतना ध्यान

इस मेले में पहली बार ऐसा हुआ जब किसी महिला किसान को इतनी बड़ी मात्रा में ध्यान मिला। बुधनी देवी का कहना है कि यह उनकी मेहनत और सच्चाई का फल है। वह कहती हैं, “मैंने कभी सोचा नहीं था कि मेरी मूली इतनी बड़ी होगी और इतनी चर्चा में आएगी।” इस सफलता ने उन्हें और उनकी खेती को एक नई पहचान दिलाई है।

जैविक खेती का भविष्य

पलामू में इस विशाल मूली के प्रदर्शन के बाद, अब स्थानीय किसानों के बीच जैविक खेती के प्रति रुचि बढ़ी है। सरकार और कृषि विभाग भी जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए योजनाएं बना रहे हैं, जिससे किसानों को जैविक खाद के उपयोग में मदद मिल सके।

बुधनी देवी का मानना है कि जैविक खेती से न सिर्फ पर्यावरण को लाभ होता है, बल्कि किसानों की आय में भी सुधार होता है। उनका कहना है कि अगर इस खेती के तरीकों को सही तरीके से अपनाया जाए तो कृषि क्षेत्र में नई क्रांति लाई जा सकती है।

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