प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदर्शी पहल और सरकार के मजबूत इरादों ने भारतीय कृषि को एक नई दिशा दी है। देश में पारंपरिक फसलों के अलावा अब मोटे अनाज (Millets) को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। बाजरे को ‘श्री अन्न’ का दर्जा दिए जाने के बाद किसानों के लिए एक बड़ा बदलाव आया है। खासकर राजस्थान जैसे राज्यों में, जहां बाजरे की खेती बड़े पैमाने पर होती है, वहां के किसानों को इसका सीधा फायदा हो रहा है।
बाजरे की MSP में हुई वृद्धि किसानों की लंबे समय से चली आ रही मांगों को पूरा करती है। अब बाजरे का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) बढ़ाकर ₹2750 प्रति क्विंटल कर दिया गया है, जो पहले ₹2500 प्रति क्विंटल था। इस बढ़ोतरी से किसानों की आय में इजाफा हो रहा है और बाजरे की खेती को प्रोत्साहन मिल रहा है।
क्या है ‘श्री अन्न’ अभियान और क्यों है यह महत्वपूर्ण?
‘श्री अन्न’ का मतलब है – समृद्धि का अन्न। बाजरा, ज्वार, रागी, कोदो, सांवा और अन्य मोटे अनाजों को ‘श्री अन्न’ का दर्जा देकर सरकार ने इनकी खेती और उपभोग को बढ़ावा देने के लिए ठोस कदम उठाए हैं।
1 पोषक तत्वों से भरपूर: बाजरा और अन्य मिलेट्स में फाइबर, आयरन, प्रोटीन और मिनरल्स प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, जो शरीर को पोषण देने के साथ-साथ स्वास्थ्य को बेहतर बनाते हैं।
2 पर्यावरण के लिए लाभदायक: बाजरा कम पानी में भी अच्छी पैदावार देता है और रासायनिक खाद की जरूरत भी कम होती है, जिससे पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
3 आर्थिक मजबूती: मोटे अनाजों की मांग बढ़ने से किसानों की आय में बढ़ोतरी हो रही है और बाजरे का बाजार मूल्य भी लगातार बढ़ रहा है।
4 सुपोषण में योगदान: बाजरे को मिड-डे मील और आंगनवाड़ी योजनाओं में शामिल कर कुपोषण को दूर करने में मदद मिल रही है।
MSP बढ़ने से किसानों को क्या फायदे मिले?
बाजरे की MSP में बढ़ोतरी से राजस्थान सहित पूरे भारत में किसानों को आर्थिक मजबूती मिली है। अब उन्हें उनकी फसल का उचित मूल्य मिल रहा है, जिससे उनकी आमदनी बढ़ी है और खेती के प्रति उनका उत्साह भी बढ़ा है।
1 आर्थिक लाभ: MSP में वृद्धि से किसानों को उनकी मेहनत का सही मुआवजा मिल रहा है।
2 खेती में रुचि बढ़ी: बढ़े हुए समर्थन मूल्य से किसान बाजरे की खेती की ओर अधिक आकर्षित हो रहे हैं।
3 बाजरा उत्पादन में बढ़ोतरी: उच्च MSP से बाजरे की खेती में वृद्धि हो रही है, जिससे किसानों को बेहतर मुनाफा मिल रहा है।
4 निर्यात के नए अवसर: बाजरे की वैश्विक मांग बढ़ने से भारत का निर्यात बढ़ा है, जिससे किसानों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी लाभ मिल रहा है।
राजस्थान में बाजरे की खेती को मिला बढ़ावा
राजस्थान में बाजरे की खेती का एक लंबा इतिहास है। यहां की मिट्टी और जलवायु बाजरा उत्पादन के लिए बेहद उपयुक्त मानी जाती है। बाजरे को ‘श्री अन्न’ घोषित किए जाने और MSP में वृद्धि के बाद राजस्थान के किसानों की स्थिति में बड़ा सुधार हुआ है।
1 तकनीकी सहायता और प्रशिक्षण: किसानों को उन्नत बीज, जैविक उर्वरक और आधुनिक कृषि तकनीकों की जानकारी दी जा रही है।
2 बाजरे की बढ़ती मांग: घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बाजरे की मांग में वृद्धि हुई है, जिससे किसानों को बेहतर दाम मिल रहे हैं।
3 MSP बढ़ने का सीधा फायदा: न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि से राजस्थान के किसानों की आय में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है।
सरकार की योजनाएं और तकनीकी सुधार
केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर बाजरे की खेती को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाएं चला रही हैं। इन योजनाओं का मुख्य उद्देश्य किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों से जोड़ना और बाजरे की खेती को लाभदायक बनाना है।
1 राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (NFSM): इस योजना के तहत किसानों को उन्नत बीज, उर्वरक और तकनीकी सहायता प्रदान की जा रही है।
2 प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना: सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली को प्रोत्साहित किया जा रहा है ताकि कम पानी में अधिक फसल उत्पादन हो सके।
3 मिलेट्स प्रमोशन स्कीम: बाजरे और अन्य मोटे अनाजों के उत्पादन और खपत को बढ़ावा देने के लिए जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं।
4 किसान क्रेडिट कार्ड (KCC): किसानों को कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने किसान क्रेडिट कार्ड योजना लागू की है।
बाजरे की MSP बढ़ोतरी से जुड़े आंकड़े
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पिछली MSP: ₹2500 प्रति क्विंटल
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नई MSP: ₹2750 प्रति क्विंटल
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बाजरे का उत्पादन क्षेत्र: राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र
राजस्थान के प्रमुख जिलों में जयपुर, नागौर, अलवर, भरतपुर, सीकर जैसे क्षेत्रों में बाजरे की खेती बड़े पैमाने पर होती है। यहां के किसानों को MSP में वृद्धि का सीधा लाभ मिल रहा है।
बाजरे की खेती का भविष्य और संभावनाएं
बाजरे की MSP में बढ़ोतरी से किसानों को नए अवसर मिले हैं। अब भविष्य में बाजरे की जैविक खेती को बढ़ावा देकर इसे अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी एक मजबूत पहचान दिलाई जा सकती है।
1 जैविक खेती को बढ़ावा: बाजरे की जैविक खेती से पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ किसानों को अधिक मुनाफा मिल सकता है।
2 निर्यात में वृद्धि: बाजरे की वैश्विक मांग बढ़ने से भारत के निर्यात में वृद्धि की संभावना है।
3 ब्रांडिंग और मार्केटिंग: बाजरे की बेहतर ब्रांडिंग और पैकेजिंग से इसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में अधिक लोकप्रिय बनाया जा सकता है।
प्रधानमंत्री मोदी की ‘श्री अन्न’ पहल: किसानों के लिए मील का पत्थर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘श्री अन्न’ पहल भारत को ‘मिलेट्स हब’ बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। बाजरे को ‘श्री अन्न’ का दर्जा देकर किसानों को न सिर्फ आर्थिक मजबूती दी गई है, बल्कि इसे वैश्विक स्तर पर भी पहचान दिलाई गई है।
प्रमुख उद्देश्य:
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किसानों की आमदनी में वृद्धि
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पोषण और स्वास्थ्य में सुधार
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खाद्य सुरक्षा को मजबूत करना
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जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करना
बाजरे की MSP में बढ़ोतरी से किसानों को मिला सीधा लाभ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘श्री अन्न’ पहल और बाजरे की MSP में वृद्धि से किसानों को सीधा आर्थिक लाभ मिला है। यह कदम किसानों की आय दोगुनी करने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में अहम भूमिका निभा रहा है।
1 किसानों की आय में बढ़ोतरी: MSP में वृद्धि से किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य मिल रहा है।
2 खेती में रुचि बढ़ी: बढ़े हुए समर्थन मूल्य से किसान बाजरे की खेती को लेकर और अधिक उत्साहित हैं।
3 भारत बना मिलेट्स हब: बाजरे की वैश्विक मांग बढ़ने से भारत अब मिलेट्स हब बनने की ओर तेजी से अग्रसर है।
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