खेती सिर्फ एक परंपरागत पेशा नहीं, बल्कि यह मेहनत, सही तकनीक और दूरदर्शिता से एक बड़े व्यवसाय में बदली जा सकती है। असम के तिनसुकिया जिले के रहने वाले धोनीराम चेतिया ने इस बात को साबित कर दिखाया है। कभी छोटे किसान रहे धोनीराम आज जैविक खेती के हीरो बन चुके हैं।
उन्होंने पारंपरिक रासायनिक खेती छोड़कर पूरी तरह जैविक खेती को अपनाया और फल, सब्जियां और अनाज की विभिन्न किस्मों को प्राकृतिक तरीकों से उगाना शुरू किया। आज वह अपनी खेती से सालाना लाखों रुपये कमा रहे हैं और अन्य किसानों के लिए प्रेरणा बन चुके हैं।
कैसे हुई सफर की शुरुआत?
धोनीराम चेतिया का जन्म एक साधारण किसान परिवार में हुआ था। उनके परिवार की आजीविका पूरी तरह से खेती पर निर्भर थी, लेकिन पारंपरिक खेती से उन्हें ज्यादा लाभ नहीं हो पा रहा था। लगातार बढ़ती लागत, मिट्टी की घटती उपज क्षमता और बाजार में मिल रहे कम दाम ने उन्हें सोचने पर मजबूर कर दिया कि खेती को और अधिक फायदेमंद कैसे बनाया जाए।
इसी दौरान उन्होंने जैविक खेती के बारे में जाना और इसे अपनाने का फैसला किया।
क्यों चुनी जैविक खेती?
- रासायनिक खेती से मिट्टी की उर्वरता खत्म हो रही थी – ज्यादा मात्रा में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के इस्तेमाल से मिट्टी की गुणवत्ता लगातार गिरती जा रही थी।
- कम लागत, ज्यादा मुनाफा – जैविक खेती में खाद, कीटनाशकों और अन्य लागतों में कमी आती है, जिससे मुनाफा बढ़ता है।
- बाजार में जैविक उत्पादों की बढ़ती मांग – लोगों की जागरूकता बढ़ने के साथ ही जैविक उत्पादों की मांग भी तेजी से बढ़ रही थी।
- स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए लाभकारी – जैविक खेती से उगाए गए फलों और सब्जियों में कोई हानिकारक रसायन नहीं होते, जिससे ये स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित होते हैं।
कैसे करते हैं जैविक खेती?
धोनीराम चेतिया ने अपनी खेती में कुछ खास तकनीकों का इस्तेमाल किया, जिससे उनकी फसलें अच्छी गुणवत्ता की होने लगीं और मुनाफा भी बढ़ा।
- रासायनिक उर्वरकों की जगह जैविक खाद का उपयोग – केंचुआ खाद, गोबर खाद और हरी खाद का इस्तेमाल किया।
- प्राकृतिक कीटनाशकों का प्रयोग – नीम के तेल, गोमूत्र और अन्य जैविक उत्पादों से कीटों को दूर रखा।
- फसल चक्र अपनाया – हर सीजन में अलग-अलग फसलें उगाकर मिट्टी की उर्वरता बनाए रखी।
- मल्टी-क्रॉपिंग (बहुफसली खेती) को अपनाया – एक ही खेत में एक साथ कई फसलें उगाईं, जिससे ज्यादा मुनाफा हुआ।
- ड्रिप इरिगेशन और पानी संरक्षण तकनीकें अपनाईं – इससे सिंचाई की लागत घटी और जल संसाधनों की बचत हुई।
बागवानी से हुआ बड़ा मुनाफा
धोनीराम चेतिया ने सिर्फ जैविक अनाज ही नहीं, बल्कि फल और सब्जियों की खेती भी शुरू की। उन्होंने पपीता, केला, अनार, अमरूद, नींबू, टमाटर, भिंडी और लौकी जैसी फसलों की जैविक खेती की।
बागवानी से होने वाले फायदें
- फल और सब्जियां जल्दी तैयार हो जाती हैं, जिससे जल्दी मुनाफा मिलता है।
- इनकी बाजार में अधिक मांग होती है और अच्छी कीमत मिलती है।
- जैविक बागवानी से किसानों को होटल और सुपरमार्केट से भी ऑर्डर मिलने लगते हैं।
कैसे बढ़ी सालाना कमाई?
धोनीराम चेतिया की कमाई धीरे-धीरे बढ़ने लगी क्योंकि –
- उन्होंने जैविक उत्पादों के लिए स्थानीय और ऑनलाइन बाजार तलाशे।
- सीधे ग्राहकों और सुपरमार्केट को सप्लाई शुरू की।
- जैविक खेती का प्रमाणन प्राप्त किया, जिससे उनके उत्पादों की कीमत अधिक मिली।
- उन्नत तकनीकों का इस्तेमाल किया, जिससे उत्पादन बढ़ा और लागत घटी।
अब उनकी सालाना कमाई लाखों रुपये में पहुंच गई है और वे अन्य किसानों को भी जैविक खेती के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
किसानों के लिए संदेश
धोनीराम चेतिया की सफलता साबित करती है कि अगर खेती में बदलाव किए जाएं, तो इसे एक बड़े व्यवसाय में बदला जा सकता है। अगर आप भी जैविक खेती अपनाना चाहते हैं, तो –
- जैविक खेती की तकनीकों को सीखें।
- रासायनिक खाद और कीटनाशकों की जगह जैविक विकल्पों का इस्तेमाल करें।
- अपनी फसलों के लिए सही बाजार तलाशें और उचित मूल्य प्राप्त करें।
- मल्टी-क्रॉपिंग और बागवानी जैसी तकनीकों को अपनाकर अधिक मुनाफा कमाएं।
निष्कर्ष
धोनीराम चेतिया जैसे किसान हमें यह सिखाते हैं कि खेती सिर्फ एक पेशा नहीं, बल्कि यह एक बड़ा अवसर है। अगर सही तरीके से मेहनत की जाए और नई तकनीकों को अपनाया जाए, तो खेती से भी लाखों रुपये कमाए जा सकते हैं।
उनकी यह प्रेरणादायक यात्रा हर किसान के लिए एक सबक है कि सही सोच और मेहनत से खेती को भी एक सफल बिजनेस मॉडल बनाया जा सकता है।
