मछली पालन से हर माह लाखों की कमाई, कोविड के बाद बनी नई पहचान
औरंगाबाद जिला स्थित राजगढ़ी गांव निवासी देवराज चौधरी एक बीघा में फैले दो तालाब में मछली पालन कर रहे हैं। कोरोना काल में नौकरी छूट जाने के बाद उन्होंने खेती शुरू की और अपने दोस्त की सलाह पर मछली पालन की ओर कदम बढ़ाया। आज उनकी मेहनत रंग ला रही है, और वह हर माह एक लाख से अधिक की कमाई कर रहे हैं।
मछली पालन बना कमाई का जरिया
मछली पालन हमेशा से मुनाफे का सौदा साबित होता आ रहा है। सही तकनीक और देख-रेख से इसमें तगड़ी कमाई की जा सकती है। औरंगाबाद जिले के मदनपुर प्रखंड के राजगढ़ी गांव निवासी देवराज चौधरी का यही मानना है। कोविड-19 के दौरान जब उनकी नौकरी चली गई, तब उन्होंने इसे अपनी आजीविका का नया माध्यम बना लिया। आज वे न सिर्फ खुद अच्छा कमा रहे हैं, बल्कि दूसरों को भी प्रेरित कर रहे हैं।
कैसे हुई शुरुआत?
देवराज चौधरी पहले दिल्ली के नोएडा में कपड़ा की फैक्ट्री में काम करते थे। लेकिन लॉकडाउन के कारण फैक्ट्री बंद हो गई और उन्हें नौकरी से हाथ धोना पड़ा। इस कठिन समय में, वे दिल्ली से पैदल ही औरंगाबाद पहुंचे। यहां आने के बाद उन्होंने खेती का काम शुरू किया। इसी दौरान उनके एक दोस्त ने उन्हें मछली पालन करने की सलाह दी।
उन्होंने जिला मत्स्य कार्यालय से संपर्क किया और पटना में 7 दिवसीय प्रशिक्षण लिया। इस प्रशिक्षण ने उनकी सोच बदल दी और उन्होंने मछली पालन को अपने करियर के रूप में अपनाने का निर्णय लिया।
किन मछलियों का करते हैं पालन?
वर्तमान में, देवराज चौधरी रोहू, कतला, ब्लॉक्स और कॉमन कट मछलियों का पालन कर रहे हैं। ये मछलियां न केवल स्थानीय बाजारों में बल्कि बड़े शहरों तक भी बेची जाती हैं। सही देखरेख और बेहतर तकनीकों के उपयोग से वे अच्छी गुणवत्ता की मछलियों का उत्पादन कर रहे हैं, जिससे उन्हें बाजार में अच्छा दाम मिल रहा है।
हर महीने लाखों की कमाई
मछली पालन के शुरुआती दिनों में कुछ कठिनाइयां आईं, लेकिन उन्होंने धैर्य रखा और अपनी मेहनत जारी रखी। आज वे हर माह एक लाख रुपये से अधिक कमा रहे हैं। उनका कहना है कि यदि सही तकनीकों और आधुनिक उपकरणों का उपयोग किया जाए, तो मछली पालन से दोगुना मुनाफा कमाया जा सकता है।
सफलता के पीछे की मेहनत
देवराज चौधरी का कहना है कि मछली पालन आसान नहीं है। इसमें निरंतर निगरानी और सही खानपान का ध्यान रखना जरूरी होता है। उन्होंने अपने तालाबों में प्राकृतिक और जैविक खाद का उपयोग किया, जिससे उनकी मछलियों की ग्रोथ बेहतर हुई।
वे बताते हैं कि तालाबों की सफाई, पानी का सही प्रबंधन और उचित आहार देने से मछलियां तेजी से बढ़ती हैं। इस वजह से उनकी गुणवत्ता भी बनी रहती है और बाजार में उन्हें अच्छे दाम मिलते हैं।
अन्य किसानों को भी कर रहे प्रेरित
देवराज चौधरी की सफलता को देखते हुए अब कई अन्य किसान भी मछली पालन की ओर आकर्षित हो रहे हैं। उन्होंने स्थानीय किसानों को प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया है, ताकि वे भी इस व्यवसाय को अपनाकर आर्थिक रूप से मजबूत बन सकें।
उनका मानना है कि यदि सरकार किसानों को सही मार्गदर्शन और वित्तीय सहायता दे, तो देश में मत्स्य पालन को और अधिक बढ़ावा दिया जा सकता है। वे अन्य किसानों को भी इस क्षेत्र में कदम रखने के लिए प्रेरित कर रहे हैं और उन्हें जरूरी जानकारियां भी दे रहे हैं।
क्या आप भी मछली पालन शुरू करना चाहते हैं?
यदि आप भी मछली पालन करना चाहते हैं, तो पहले उचित प्रशिक्षण लें। इसके लिए जिला मत्स्य कार्यालय से संपर्क करें और आधुनिक तकनीकों की जानकारी प्राप्त करें। तालाब की सही देखभाल और सही तकनीकों का उपयोग करके आप भी इस व्यवसाय से अच्छी कमाई कर सकते हैं।
निष्कर्ष
देवराज चौधरी की कहानी इस बात का प्रमाण है कि कठिन परिस्थितियों में भी यदि सही निर्णय लिया जाए, तो सफलता निश्चित है। उन्होंने कोविड-19 के मुश्किल दौर में अपनी हिम्मत नहीं हारी और मछली पालन के जरिए खुद को आर्थिक रूप से मजबूत बनाया। उनकी यह सफलता अन्य किसानों के लिए प्रेरणा बन चुकी है। यदि सही तकनीकों और मेहनत से काम किया जाए, तो मत्स्य पालन से भी शानदार मुनाफा कमाया जा सकता है।
