खेती-किसानी को अगर सही दिशा में किया जाए, तो यह आमदनी का एक बड़ा जरिया बन सकती है। राजस्थान की रूबी पारीक इसका एक बेहतरीन उदाहरण हैं। उन्होंने पारंपरिक खेती छोड़कर जैविक और पर्यावरण अनुकूल खेती को अपनाया और आज सालाना 50 लाख रुपये तक की कमाई कर रही हैं।
रूबी पारीक ने 10 एकड़ भूमि पर ऑर्गेनिक खेती शुरू की और इसे पूरी तरह से रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों से मुक्त रखा। वह प्राकृतिक खाद और जैविक कीटनाशकों का उपयोग करती हैं, जिससे उनकी फसलें स्वास्थ्यवर्धक और बाजार में उच्च कीमतों पर बिकती हैं।
इस लेख में हम जानेंगे कैसे रूबी पारीक ने अपनी खेती को सफल बनाया, कौन-कौन सी फसलें उगाती हैं, और उनकी सफलता के पीछे कौन-सी रणनीतियां काम कर रही हैं।
जैविक खेती अपनाने की प्रेरणा
रूबी पारीक हमेशा से खेती में कुछ नया और अलग करना चाहती थीं। जब उन्होंने देखा कि पारंपरिक खेती में रासायनिक खाद और कीटनाशकों के अधिक इस्तेमाल से मिट्टी की उर्वरता घट रही है और किसानों की लागत बढ़ रही है, तब उन्होंने जैविक खेती की ओर रुख किया।
उन्होंने न केवल जैविक खेती को अपनाया बल्कि इसके लिए एक विशेष सस्टेनेबल मॉडल भी तैयार किया। इस मॉडल में उन्होंने 10,000 से अधिक पेड़ लगाए, जैविक खाद का उत्पादन शुरू किया और अपने खेत को पूरी तरह से एक आत्मनिर्भर कृषि केंद्र में बदल दिया।
कैसे करती हैं जैविक खेती?
रूबी पारीक की जैविक खेती में कुछ खास रणनीतियां शामिल हैं, जिससे उनकी उपज अच्छी होती है और बाजार में उनकी फसलों की मांग बढ़ती है।
1. रासायनिक मुक्त खेती
- रूबी पारीक किसी भी प्रकार के रासायनिक खाद या कीटनाशकों का उपयोग नहीं करतीं।
- वह गौ-आधारित जैविक खाद जैसे जीवामृत, पंचगव्य, वर्मी कम्पोस्ट का प्रयोग करती हैं।
- मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने के लिए हरी खाद (Green Manure) का उपयोग करती हैं।
2. मिश्रित खेती और विविधता
- केवल एक ही प्रकार की फसल उगाने की बजाय, वह मल्टी-क्रॉपिंग (Multi-Cropping) तकनीक अपनाती हैं।
- उनके खेत में गेहूं, बाजरा, चना, मूंग, हल्दी, अदरक, धनिया और कई प्रकार की सब्जियां उगाई जाती हैं।
- वह फलदार पौधों की खेती भी करती हैं जैसे आंवला, अनार, पपीता, नींबू और आम।
3. जैविक खाद और कम्पोस्ट उत्पादन
- उन्होंने अपने खेत में ही वर्मी कम्पोस्ट (Vermicompost) उत्पादन यूनिट बनाई है, जहां कचरे से जैविक खाद तैयार किया जाता है।
- इस खाद से मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है और फसलों की गुणवत्ता अच्छी रहती है।
- अन्य किसानों को भी वह जैविक खाद बेचती हैं, जिससे उनकी अतिरिक्त आय होती है।
4. प्राकृतिक कीटनाशकों का प्रयोग
- कीटों और रोगों से बचाव के लिए नीम तेल, दशपर्णी अर्क, गोमूत्र और छाछ से बने प्राकृतिक कीटनाशक का उपयोग करती हैं।
- यह पूरी तरह से जैविक और पर्यावरण के अनुकूल हैं।
5. जल संरक्षण और सस्टेनेबल तकनीक
- राजस्थान जैसे सूखे क्षेत्र में खेती करना आसान नहीं है, लेकिन रूबी पारीक ने जल संरक्षण पर खास ध्यान दिया।
- उन्होंने ड्रिप इरिगेशन और मल्चिंग तकनीक को अपनाया, जिससे पानी की खपत 50% तक कम हो गई।
- उनके खेत में तालाब और वर्षा जल संचयन (Rainwater Harvesting) प्रणाली भी है, जिससे जल संकट की स्थिति में भी खेती आसानी से हो सके।
कमाई का रहस्य: जैविक उत्पादों की ब्रांडिंग और मार्केटिंग
रूबी पारीक की सफलता का सबसे बड़ा कारण सिर्फ जैविक खेती करना नहीं, बल्कि अपने उत्पादों की सही मार्केटिंग करना है।
- उन्होंने अपने जैविक उत्पादों का ब्रांड बनाया और सीधे उपभोक्ताओं तक पहुंचाने की रणनीति अपनाई।
- वह ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और सोशल मीडिया का उपयोग करके अपने ग्राहकों तक पहुंचती हैं।
- उनके खेत में जैविक उत्पादों की डायरेक्ट सेलिंग (Direct Selling) होती है, जिससे उन्हें बिचौलियों की जरूरत नहीं पड़ती और मुनाफा अधिक होता है।
- वे स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर के जैविक बाजारों और प्रदर्शनियों में भाग लेती हैं, जिससे उनके उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ी है।
अन्य किसानों के लिए प्रेरणा
रूबी पारीक की सफलता सिर्फ उनकी खुद की नहीं है, बल्कि वह अन्य किसानों को भी जैविक खेती के लिए प्रेरित कर रही हैं।
- वह कृषि कार्यशालाएं और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करती हैं।
- कई युवा किसान और महिलाएं उनके फार्म से प्रेरित होकर जैविक खेती की ओर बढ़ रहे हैं।
- सरकार भी उनकी इस पहल का समर्थन कर रही है और उन्हें “सस्टेनेबल फार्मिंग एंबेसडर” के रूप में सम्मानित किया गया है।
रूबी पारीक की सफलता से क्या सीख सकते हैं?
- परंपरागत खेती से हटकर कुछ नया करने की हिम्मत रखें।
- जैविक खेती से न केवल पर्यावरण सुरक्षित रहता है, बल्कि उत्पादों की मांग भी अधिक होती है।
- जल संरक्षण, जैविक खाद और आधुनिक तकनीकों का सही उपयोग करें।
- मार्केटिंग और ब्रांडिंग पर ध्यान दें, ताकि अधिक मुनाफा मिल सके।
- अगर सही तरीके से खेती की जाए, तो यह एक लाभदायक व्यवसाय बन सकता है।
निष्कर्ष
रूबी पारीक की सफलता यह साबित करती है कि अगर सही सोच और मेहनत हो, तो खेती भी एक लाभदायक और सम्मानजनक पेशा बन सकता है। जैविक खेती अपनाकर उन्होंने न केवल अपनी आमदनी बढ़ाई, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और समाज के लिए भी योगदान दिया।
उनकी यह कहानी हर उस किसान के लिए प्रेरणा है जो खेती को सिर्फ एक गुजारा मानता है। सही तकनीक, सही दृष्टिकोण और कड़ी मेहनत से खेती को एक सफल व्यवसाय में बदला जा सकता है।
