दूध और डेयरी उत्पादों की मांग लगातार बढ़ रही है, जिससे डेयरी फार्मिंग एक लाभदायक व्यवसाय बनता जा रहा है। सही रणनीति, मेहनत और आधुनिक तकनीकों के इस्तेमाल से इसे एक बड़े उद्यम में बदला जा सकता है। राजस्थान के पशुपालक और उद्यमी विभोर जैन और उनकी पत्नी इशिता जैन ने इसे साबित कर दिखाया है।
कभी 20 गिर गायों से छोटे स्तर पर डेयरी फार्मिंग शुरू करने वाले विभोर और इशिता आज 100 से अधिक गिर गायों का पालन कर रहे हैं और सालाना करीब 1.5 करोड़ रुपये का टर्नओवर अर्जित कर रहे हैं। उनकी सफलता की कहानी कई नए पशुपालकों के लिए प्रेरणा बन चुकी है।
कैसे हुई सफर की शुरुआत?
- परंपरागत नौकरी छोड़ शुरू किया नया सफर – विभोर जैन और इशिता जैन पहले अलग-अलग क्षेत्रों में नौकरी कर रहे थे, लेकिन उन्हें हमेशा से अपने व्यवसाय की इच्छा थी।
- गिर गायों की खासियत को पहचाना – उन्होंने पाया कि गिर नस्ल की गायें कम खर्च में अधिक मात्रा में उच्च गुणवत्ता का दूध देती हैं, जिससे यह व्यवसाय अधिक लाभदायक हो सकता है।
- 20 गिर गायों से हुई शुरुआत – 2018 में उन्होंने 20 गिर गायों के साथ डेयरी फार्मिंग शुरू की। शुरुआत में कई चुनौतियां आईं, लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने व्यवसाय को आगे बढ़ाया।
गिर गाय क्यों है फायदेमंद?
- उच्च गुणवत्ता वाला दूध – गिर गाय का दूध ए2 प्रोटीन युक्त होता है, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभदायक माना जाता है।
- कम रखरखाव खर्च – यह नस्ल कठोर जलवायु में भी जीवित रह सकती है और इसके आहार का खर्च अन्य विदेशी नस्लों की तुलना में कम होता है।
- उत्तम प्रजनन क्षमता – गिर गायें लंबे समय तक दूध देने में सक्षम होती हैं, जिससे इनका व्यवसायिक उपयोग बढ़ जाता है।
- रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक – यह नस्ल आम बीमारियों से कम प्रभावित होती है, जिससे चिकित्सा खर्च कम होता है।
कैसे बढ़ाया बिजनेस?
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डेयरी को डिजिटल प्लेटफॉर्म से जोड़ा
- विभोर जैन ने अपने दूध और अन्य डेयरी उत्पादों की ऑनलाइन बिक्री शुरू की।
- सोशल मीडिया और वेबसाइट के जरिए ग्राहकों तक सीधे पहुंच बनाई।
- घर-घर तक शुद्ध दूध पहुंचाने के लिए होम डिलीवरी सेवा शुरू की।
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गुणवत्ता पर दिया ध्यान
- पूरी तरह जैविक और प्राकृतिक तरीके से दूध उत्पादन किया।
- गायों को रासायनिक खाद्य पदार्थों की बजाय प्राकृतिक आहार दिया।
- किसी भी तरह के मिलावट या प्रिजर्वेटिव से बचा गया।
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डेयरी उत्पादों में विविधता लाई
- केवल दूध बेचने के बजाय घी, पनीर, दही और मक्खन जैसे उत्पादों को भी बेचना शुरू किया।
- इन उत्पादों को प्रीमियम सेगमेंट में लॉन्च किया, जिससे अधिक लाभ हुआ।
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गोबर और गौमूत्र का किया सही इस्तेमाल
- गोबर से जैविक खाद और वर्मी कम्पोस्ट बनाया, जिसे किसानों को बेचा।
- गौमूत्र से जैविक कीटनाशक और औषधीय उत्पाद बनाए, जिससे अतिरिक्त आय हुई।
चुनौतियां और उनसे पार पाने के तरीके
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शुरुआत में वित्तीय समस्या
- बैंक से कर्ज लेकर शुरुआत की और धीरे-धीरे मुनाफा बढ़ाया।
- सरकार की डेयरी सब्सिडी और योजनाओं का लाभ उठाया।
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गायों के स्वास्थ्य और देखभाल की चुनौती
- पशु चिकित्सकों की नियमित जांच कराई।
- संतुलित आहार और स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा।
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बाजार में प्रतिस्पर्धा का सामना
- शुद्ध और जैविक उत्पाद बेचकर ब्रांड वैल्यू बनाई।
- ग्राहकों का विश्वास जीतने के लिए दूध की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया।
आज की स्थिति और भविष्य की योजनाएं
- अब उनके पास 100 से अधिक गिर गायें हैं।
- उनका सालाना टर्नओवर 1.5 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है।
- वे अपने उत्पादों को ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से बेच रहे हैं।
- भविष्य में वे अपने डेयरी फार्म का विस्तार करना चाहते हैं और अन्य जैविक उत्पादों को भी शामिल करने की योजना बना रहे हैं।
किसानों और नए उद्यमियों के लिए प्रेरणा
विभोर और इशिता जैन की यह कहानी उन सभी किसानों और नए उद्यमियों के लिए प्रेरणादायक है जो डेयरी फार्मिंग को एक लाभदायक व्यवसाय के रूप में अपनाना चाहते हैं। यदि सही रणनीति, मेहनत और नवीन तकनीकों का इस्तेमाल किया जाए, तो डेयरी व्यवसाय से भी करोड़ों रुपये की कमाई की जा सकती है।
अगर आप भी डेयरी फार्मिंग में रुचि रखते हैं, तो यह कहानी आपको आगे बढ़ने की प्रेरणा दे सकती है। और पढ़े
