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Mansoon > Blog > Blog > पूर्वी भारत की कृषि नीति पर IAS अधिकारियों का अध्ययन दौरा, ICAR पटना में हुई गहन चर्चा!
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पूर्वी भारत की कृषि नीति पर IAS अधिकारियों का अध्ययन दौरा, ICAR पटना में हुई गहन चर्चा!

mansoon.info
Last updated: 2025/02/07 at 2:13 PM
By mansoon.info

पूर्वी भारत की कृषि नीति पर चर्चा, ICAR पटना में IAS अधिकारियों का अध्ययन दौरा!

3 फरवरी 2025 को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना में IAS परिवीक्षार्थियों का शीतकालीन अध्ययन दौरा आयोजित किया गया। इस महत्वपूर्ण बैठक में पूर्वी भारत में कृषि से संबंधित नवाचारों, सरकारी परियोजनाओं और विभिन्न चुनौतियों पर विस्तृत चर्चा हुई।

Contents
पूर्वी भारत की कृषि नीति पर चर्चा, ICAR पटना में IAS अधिकारियों का अध्ययन दौरा!IAS अधिकारियों को कृषि परिदृश्य की जानकारीविशेष अतिथि का संदेश: हिंदी में कृषि लेखन पर जोरवैज्ञानिकों द्वारा कृषि अनुसंधान और परियोजनाओं पर चर्चासंवाद सत्र: कृषि और शिक्षा पर गहन मंथनकार्यक्रम का समापन और आभार व्यक्तनिष्कर्ष:

इस दौरे में कुल 18 IAS परिवीक्षार्थी (जिनमें से 8 महिलाएं थीं) शामिल हुए। यह अध्ययन दौरा “पूर्वी भारत में कृषि परिदृश्य से परिचय” विषय पर केंद्रित था। इस कार्यक्रम में IARI पटना हब के छात्रों, संस्थान के विभिन्न प्रभागों के प्रमुखों, वैज्ञानिकों और प्रशासनिक अधिकारियों सहित कुल 80 लोगों ने भाग लिया।


IAS अधिकारियों को कृषि परिदृश्य की जानकारी

संस्थान के निदेशक डॉ. अनुप दास ने IAS परिवीक्षार्थियों को संबोधित करते हुए देश के समग्र कृषि परिदृश्य के बारे में जानकारी दी और पूर्वी भारत के विशेष महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि संस्थान कृषि प्रौद्योगिकी के उन्नयन, नई फसल किस्मों के विकास और हितधारकों की क्षमता निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।

डॉ. दास ने संस्थान की भविष्य की रणनीति पर भी चर्चा की, जिसमें फ्यूचर फार्मिंग, कार्बन फार्मिंग, पारिस्थितिक खेती, प्राकृतिक खेती, स्मार्ट कृषि पद्धतियाँ, जलवायु अनुकूल प्रौद्योगिकियाँ, कृषि उद्यमिता विकास और “विकसित भारत 2047” विजन लक्ष्य शामिल थे।


विशेष अतिथि का संदेश: हिंदी में कृषि लेखन पर जोर

इस कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में DRDA के निदेशक अंजन दत्ता ने भी भाग लिया। उन्होंने संस्थान के वैज्ञानिकों से अनुरोध किया कि वे पूर्वी भारत के कृषि विकास पर अधिक ध्यान दें। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि हिंदी भाषा में किसानों के लिए उपयोगी लेख प्रकाशित किए जाएं, ताकि ये जानकारियाँ अधिक से अधिक किसानों तक पहुँच सकें और उन्हें लाभ मिल सके।


वैज्ञानिकों द्वारा कृषि अनुसंधान और परियोजनाओं पर चर्चा

बैठक में संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिकों ने पूर्वी भारत में वर्तमान में चल रही विभिन्न कृषि अनुसंधान परियोजनाओं पर चर्चा की। इनमें शामिल थे:

1) डॉ. अभय कुमार (प्रधान वैज्ञानिक)

2) डॉ. ए. उपाध्याय (भूमि एवं जल प्रबंधन प्रमुख)

3) डॉ. संजीव कुमार (फसल अनुसंधान प्रमुख)

4) डॉ. उज्ज्वल कुमार (सामाजिक-आर्थिक एवं प्रसार प्रमुख)

5) डॉ. कमल शर्मा (पशुधन एवं मात्स्यिकी प्रबंधन प्रमुख)

इन विशेषज्ञों ने पूर्वी भारत में कृषि अनुसंधान की प्रगति, प्रमुख चुनौतियों और नवाचारों पर विस्तृत चर्चा की।


संवाद सत्र: कृषि और शिक्षा पर गहन मंथन

IAS अधिकारियों और संस्थान के प्रतिनिधियों के बीच एक संवाद सत्र भी आयोजित किया गया, जिसमें निम्नलिखित विषयों पर चर्चा हुई:

कृषि में सर्वोत्तम प्रबंधन उपाय
महिला किसानों का योगदान और उनकी भागीदारी बढ़ाने के उपाय
बिहार में मत्स्य पालन को बढ़ावा देने में ICAR की भूमिका
कृषि शैक्षणिक कार्यक्रमों में समसामयिक विषयों की सीमित पहुँच

इस दौरान IARI-पटना हब के छात्रों ने IAS परिवीक्षार्थियों से शैक्षणिक कार्यक्रमों और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी से संबंधित जानकारी प्राप्त की।

IAS अधिकारियों ने छात्रों को आत्मविश्वास बनाए रखने और दृढ़ निश्चय के साथ अपने करियर लक्ष्यों को प्राप्त करने की सलाह दी। इसके अलावा, उन्होंने कृषि अनुसंधान के व्यावहारिक प्रभावों और इसे किसानों तक पहुँचाने की आवश्यकता पर भी चर्चा की।


कार्यक्रम का समापन और आभार व्यक्त

कार्यक्रम के समापन के अवसर पर वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. धीरज कुमार सिंह ने सभी प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि ऐसे अध्ययन दौरे न केवल नीति-निर्माण में मददगार होते हैं बल्कि कृषि क्षेत्र के नवाचारों को प्रभावी ढंग से लागू करने में भी सहायक होते हैं।

निष्कर्ष:

यह अध्ययन दौरा IAS अधिकारियों और कृषि वैज्ञानिकों के बीच एक महत्वपूर्ण संवाद मंच साबित हुआ, जिसमें पूर्वी भारत की कृषि नीति, चुनौतियों और नवाचारों पर गहन चर्चा हुई। ICAR पटना में हुए इस आयोजन से कृषि क्षेत्र में नवाचारों को आगे बढ़ाने और नीति-निर्माण में सुधार लाने के लिए महत्वपूर्ण सुझाव सामने आए।

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