By using this site, you agree to the Privacy Policy and Terms of Use.
Accept
MansoonMansoonMansoon
  • Agribusiness
  • A to Z Farming
  • Success Story
  • Desi Jugaad
  • Profitable Farming Ideas
  • Irrigation
Notification Show More
Aa
Aa
MansoonMansoon
  • Agribusiness
  • A to Z Farming
  • Success Story
  • Desi Jugaad
  • Profitable Farming Ideas
  • Irrigation
  • Agribusiness
  • A to Z Farming
  • Success Story
  • Desi Jugaad
  • Profitable Farming Ideas
  • Irrigation
Mansoon > Blog > Agribusiness > किसानों की आय को बढ़ाने के लिए नई शानदार योजना
AgribusinessBlog

किसानों की आय को बढ़ाने के लिए नई शानदार योजना

mansoon.info
Last updated: 2025/02/25 at 10:05 PM
By mansoon.info

25,000 रुपये तक की सब्सिडी और अन्य सुविधाएं: हिमाचल सरकार की नई योजनाओं से किसानों को मिलेगी मदद

हिमाचल प्रदेश की सरकार ने राज्य के किसानों की आय को बढ़ाने के लिए कई शानदार योजनाओं को लागू किया है। इस दिशा में सबसे महत्वपूर्ण कदम 2018 में उठाया गया, जब सुभाष पालेकर ने राज्य सरकार के साथ मिलकर प्राकृतिक खेती की तकनीक को लागू किया। इस तकनीक का उद्देश्य किसानों को जीरो बजट प्राकृतिक खेती (Zero Budget Natural Farming) की ओर प्रेरित करना था, ताकि वे कम लागत में अधिक उपज प्राप्त कर सकें और उनकी आय में वृद्धि हो सके। प्राकृतिक खेती, जिसका मुख्य उद्देश्य रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के बिना खेती करना है, किसानों को भूमि की उर्वरता को संरक्षित करने और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना खेती करने का एक शानदार तरीका प्रदान करती है।

Contents
25,000 रुपये तक की सब्सिडी और अन्य सुविधाएं: हिमाचल सरकार की नई योजनाओं से किसानों को मिलेगी मददप्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार की योजनाएँसब्सिडी की जानकारीकैसे करें आवेदन?प्राकृतिक खेती के फायदेहिमाचल प्रदेश के किसानों का अनुभवConclusion

सुभाष पालेकर की इस पहल के बाद हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक खेती को लेकर एक नया जोश देखने को मिला। प्राकृतिक खेती का यह तरीका न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद है, बल्कि किसानों की लागत को भी कम करता है और उन्हें अधिक लाभ की संभावना देता है। इसके साथ ही, यह किसानों को एक मजबूत और स्थायी कृषि प्रणाली अपनाने की दिशा में मार्गदर्शन करता है।

प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार की योजनाएँ

हिमाचल प्रदेश सरकार ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों के लिए कई सहायता योजनाओं की शुरुआत की है। इन योजनाओं में विशेष रूप से देसी गायों की खरीद, गोमूत्र एकत्रित करने के ड्रम, शेल्टर फर्श और साइकिल हल जैसी वस्तुओं पर सब्सिडी दी जा रही है। इससे किसानों को न केवल अपनी खेती की लागत कम करने का मौका मिल रहा है, बल्कि वे बेहतर उत्पादकता भी प्राप्त कर रहे हैं। प्राकृतिक खेती में इन उपकरणों और वस्तुओं का उपयोग करके किसान अधिक लाभकारी खेती कर सकते हैं।

सब्सिडी की जानकारी

हिमाचल प्रदेश सरकार ने प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए कई प्रकार की सब्सिडी की घोषणा की है। इन सब्सिडियों का उद्देश्य किसानों को वित्तीय रूप से सक्षम बनाना है, ताकि वे प्राकृतिक खेती को अपनाने के लिए उत्साहित हो सकें। निम्नलिखित हैं उन उत्पादों और योजनाओं पर दी जाने वाली सब्सिडी:

1) देसी गाय की खरीद: राज्य सरकार किसानों को देसी गाय खरीदने के लिए 25,000 रुपये की सब्सिडी देती है। यह पहल देसी गायों के महत्व को समझने और उनकी संख्या बढ़ाने के उद्देश्य से की गई है, क्योंकि देसी गायों के दूध और गोबर से कई प्रकार के कृषि उत्पाद बनाए जा सकते हैं जो खेती में सहायक होते हैं।

2) दूसरे राज्य से गाय लाने पर: यदि कोई किसान दूसरे राज्य से गाय लाता है, तो उसे गाय के परिवहन खर्च के रूप में 5,000 रुपये अतिरिक्त मिलते हैं, जिससे उनके खर्चों में कमी आती है और वे अधिक सस्ती दर पर गाय खरीद सकते हैं।

3) पशु मंडी शुल्क: यदि किसान पशु मंडी से गाय खरीदते हैं, तो उन्हें 2,000 रुपये का शुल्क वापस मिलता है, जो उनके खर्च को और भी कम करता है।

4) गाय शेल्टर का फर्श पक्का करना: गायों के लिए पक्का फर्श बनाने पर किसानों को 8,000 रुपये की सहायता मिलती है। यह सुविधा किसानों को गायों के लिए बेहतर रहने की व्यवस्था प्रदान करने के लिए है, जिससे गायों का स्वास्थ्य अच्छा रहता है और वे अधिक उत्पादक होती हैं।

5) गोमूत्र एकत्रित करने वाले ड्रम: गोमूत्र एकत्रित करने के लिए किसान को अधिकतम तीन ड्रमों पर 2,250 रुपये की सब्सिडी दी जाती है। गोमूत्र का उपयोग जैविक उर्वरक के रूप में किया जाता है, जो प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने में सहायक होता है।

6) साइकिल हल: किसानों को साइकिल हल पर 1,500 रुपये की सब्सिडी दी जाती है। साइकिल हल से किसानों को भूमि की जुताई में मदद मिलती है, जिससे वे अधिक पर्यावरण-friendly तरीके से खेती कर सकते हैं।

कैसे करें आवेदन?

यदि कोई किसान प्राकृतिक खेती के इस लाभकारी कार्यक्रम का हिस्सा बनना चाहता है, तो उसे कृषि विभाग में आवेदन करना होगा। आवेदन करने के बाद, किसान को प्राकृतिक खेती की तकनीक और इसके लाभों के बारे में जानकारी दी जाएगी। राज्य सरकार किसानों को इस तकनीक में प्रशिक्षित करने के लिए दो दिन का प्रशिक्षण भी प्रदान करेगी। इस प्रशिक्षण में किसानों को प्राकृतिक खेती के सभी पहलुओं को समझाया जाएगा, जैसे कि भूमि की उर्वरता बनाए रखना, जैविक खादों का उपयोग, कीट-व्याधि नियंत्रण और लागत कम करने के तरीके।

प्राकृतिक खेती के फायदे

1) कम लागत, अधिक लाभ: प्राकृतिक खेती में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग नहीं किया जाता है, जिससे खेती की लागत कम होती है। इसके बजाय, प्राकृतिक तरीके से तैयार किए गए खाद और उर्वरकों का उपयोग किया जाता है, जिससे किसान अधिक लाभ कमा सकते हैं।

2) जमीन की उर्वरता बनी रहती है: रासायनिक उर्वरकों के बजाय जैविक उर्वरकों का इस्तेमाल करने से भूमि की उर्वरता बनी रहती है, जिससे दीर्घकालिक फसल उत्पादन संभव होता है।

3) स्वस्थता और पर्यावरण: प्राकृतिक खेती के जरिए पर्यावरण को भी फायदा होता है, क्योंकि इसमें रासायनिक प्रदूषण कम होता है और भूमि में जैविक तंत्र मजबूत रहता है।

4) स्थिरता: प्राकृतिक खेती में किसान को फसलों पर निर्भरता कम होती है और वह विभिन्न फसलों का उत्पादन कर सकता है, जिससे उसे मौसम की स्थितियों से ज्यादा नुकसान नहीं होता।

हिमाचल प्रदेश के किसानों का अनुभव

हिमाचल प्रदेश में दो लाख से अधिक किसानों ने प्राकृतिक खेती को अपनाया है और अब वे अपनी आय में वृद्धि देख रहे हैं। कई किसानों ने अपनी फसलों की गुणवत्ता में सुधार पाया है और उनका उत्पादन भी बढ़ा है। प्राकृतिक खेती की इस तकनीक से जुड़कर वे न केवल अपनी भूमि की उर्वरता बनाए रख पा रहे हैं, बल्कि उनका आर्थिक स्थिति भी बेहतर हो रहा है।

साथ ही, किसानों को राज्य सरकार की ओर से मिलने वाली सब्सिडी और सहायता भी उन्हें अपने कृषि कार्य को अधिक कुशलतापूर्वक करने में मदद कर रही है। किसानों का यह अनुभव दर्शाता है कि प्राकृतिक खेती न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद है, बल्कि यह किसानों की आर्थिक स्थिति में भी सकारात्मक बदलाव ला सकती है।

Conclusion

हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा लागू की गई प्राकृतिक खेती तकनीक और विभिन्न सब्सिडी योजनाओं ने किसानों को एक नई दिशा दी है। सुभाष पालेकर की इस पहल ने न केवल कृषि कार्य को अधिक लाभकारी बनाया है, बल्कि यह पर्यावरण के अनुकूल भी है। सरकार की ओर से दी जा रही सब्सिडी और सहायता योजनाएं किसानों के लिए अत्यधिक फायदेमंद साबित हो रही हैं और उनके जीवन स्तर में सुधार ला रही हैं। यदि आप भी हिमाचल प्रदेश के किसान हैं और प्राकृतिक खेती में शामिल होना चाहते हैं, तो आपको कृषि विभाग में आवेदन करना होगा और सरकार से मिलने वाली सुविधाओं का लाभ उठाना होगा।

Share This Article
Facebook Twitter Whatsapp Whatsapp Telegram Copy Link
Leave a comment Leave a comment

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You Might Also Like

Blog

300 एकड़ की टमाटर की फसल बर्बाद! जानिए इस खतरनाक वायरस के बारे में

1
Blog

क्या आप किसान हैं? सरकार की ये 5 योजनाएं आपको बना सकती हैं मालामाल!

Blog

कम लागत, ज्यादा मुनाफा जानिए मक्का की खेती के आधुनिक तरीके

Blog

जैविक और रासायनिक उपाय: प्याज की फसल को बचाने के लिए क्या करें

Blog

केले की इस खास किस्म की करें खेती, हो जाएंगे मालामाल!

Blog

फूलों की खेती से होगी बंपर कमाई, जानें कैसे उठा सकते हैं अनुदान का लाभ

Blog

हिम्मत की मिसाल: एक पैर गंवाया, पर हौसला नहीं – सब्जी की खेती से रची सफलता की नई कहानी सड़क हादसे के बाद भी नहीं मानी हार

Blog

धान की उन्नत किस्में: किसानों की पहली पसंद, अब घर बैठे पूसा से करें ऑर्डर

Show More
Mansoon

Explore innovative farming techniques, success stories, agribusiness insights, irrigation tips, and high-profit farming ideas for a thriving agricultural journey

Copyrights 2025 | All Rights Reserved by QuickZip | Designed by QuickZip
  • About us
  • Contact
  • Disclaimer
  • Terms and Conditions
  • Privacy policies
Welcome Back!

Sign in to your account

Lost your password?