पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दाम और तेल आयात पर निर्भरता ने भारत सरकार को नए विकल्प तलाशने पर मजबूर कर दिया है। इसी कड़ी में, सरकार मक्का से बायो-इथेनॉल बनाने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रही है। इस पहल से न केवल भारत को ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर बनाने में मदद मिलेगी, बल्कि किसानों को भी सीधा फायदा होगा।
बायो-इथेनॉल क्या है और यह इतना जरूरी क्यों है?
अगर आसान भाषा में कहें, तो बायो-इथेनॉल एक जैविक ईंधन है, जिसे मक्का, गन्ना और अन्य कृषि फसलों से बनाया जाता है। इसे पेट्रोल में मिलाकर इस्तेमाल किया जाता है, जिससे वाहनों से होने वाला प्रदूषण कम होता है और पेट्रोलियम उत्पादों पर हमारी निर्भरता घटती है।
इसका फायदा क्या होगा?
1 पेट्रोल की कीमतों पर नियंत्रण – अगर ज्यादा मात्रा में बायो-इथेनॉल बनने लगे, तो पेट्रोल की खपत कम होगी और इसके दाम स्थिर रहेंगे।
2 किसानों की आमदनी बढ़ेगी – मक्का की मांग बढ़ेगी, जिससे किसानों को उनकी फसल का अच्छा दाम मिलेगा।
3 प्रदूषण घटेगा – इथेनॉल से चलने वाले वाहन कम कार्बन उत्सर्जन करते हैं, जिससे हवा साफ रहेगी।
4 विदेशी मुद्रा बचेगी – भारत अभी भी बड़ी मात्रा में कच्चा तेल आयात करता है। अगर हम अपने देश में इथेनॉल बनाएंगे, तो हमें बाहर से कम तेल खरीदना पड़ेगा।
बिहार में बन रहा है मक्का बेल्ट, किसानों को होगा बड़ा फायदा
केंद्र सरकार ने बिहार में एक नया मक्का बेल्ट विकसित करने का फैसला किया है। भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान (IIMR) इस पहल का नेतृत्व कर रहा है। बिहार के कई जिले मक्का उत्पादन के लिए उपयुक्त हैं, और यहां पहले से ही कई किसान मक्का उगाते हैं।
अब सरकार तकनीकी सहायता, बेहतर बीज, सिंचाई सुविधाएं और बाजार तक सीधी पहुंच देकर किसानों की मदद कर रही है। इससे आने वाले समय में बिहार मक्का उत्पादन का हब बन सकता है।
2024-25 तक मक्का उत्पादन का लक्ष्य 44 मिलियन टन!
भारत सरकार ने 2024-25 तक मक्का उत्पादन को 44 मिलियन टन तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए किसानों को नई तकनीकें सिखाई जा रही हैं और खेती के लिए आधुनिक मशीनें भी दी जा रही हैं।
ये कदम किसानों की मदद करेंगे:
1 बेहतर बीज और फसल सुरक्षा – किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले बीज और उर्वरक दिए जा रहे हैं।
2 तकनीकी प्रशिक्षण – कृषि वैज्ञानिक किसानों को उन्नत खेती के तरीके सिखा रहे हैं।
3 सिंचाई की बेहतर सुविधाएं – किसानों को पानी की समस्या से न जूझना पड़े, इसके लिए सरकार योजनाएं चला रही है।
4 मंडी और बिक्री सुविधा – किसानों को उनकी फसल का सही दाम मिले, इसके लिए सरकार नए बाजार खोल रही है।
बायो-इथेनॉल से किसानों को कैसे होगा फायदा?
अब सवाल यह है कि बायो-इथेनॉल उत्पादन से किसानों को असल में फायदा कैसे मिलेगा?
1 मक्का की कीमतें बढ़ेंगी – जैसे-जैसे मक्का की मांग बढ़ेगी, वैसे-वैसे किसानों को उनकी फसल का अच्छा दाम मिलेगा।
2 फसल की स्थिर मांग – चावल और गेहूं के मुकाबले मक्का की मांग में ज्यादा उतार-चढ़ाव नहीं होगा, क्योंकि इसे बायो-इथेनॉल उत्पादन के लिए भी इस्तेमाल किया जाएगा।
3 नई नौकरियां – बायो-इथेनॉल प्लांट बनने से गांवों में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
4 ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी – किसानों की आय बढ़ेगी, जिससे गांवों का विकास भी तेजी से होगा।
सरकार की योजनाएं जो किसानों को बनाएंगी आत्मनिर्भर
भारत सरकार ने बायो-इथेनॉल उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं।
1 इथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम (EBP): इस योजना के तहत 2025 तक पेट्रोल में 20% इथेनॉल मिलाने का लक्ष्य रखा गया है।
2 राष्ट्रीय जैव ऊर्जा नीति (NBP): इस नीति का उद्देश्य बायो-इंधन उत्पादन को बढ़ावा देना है।
3 प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (PM-KUSUM): किसानों को बायो-इथेनॉल उत्पादन से जोड़ा जा रहा है।
4 मंडी और खरीद व्यवस्था में सुधार: सरकार सुनिश्चित कर रही है कि किसानों को उनकी उपज का सही दाम मिले।
आने वाले समय में क्या बदलाव देखने को मिलेंगे?
अगर मक्का से बायो-इथेनॉल उत्पादन सफलतापूर्वक बढ़ता है, तो भारत में ऊर्जा क्षेत्र और कृषि दोनों में बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे।
1 गांवों में इथेनॉल प्लांट लगने से स्थानीय रोजगार बढ़ेगा।
2 मक्का की खेती करने वाले किसानों को आर्थिक रूप से मजबूती मिलेगी।
3 पेट्रोल की कीमतों पर दबाव कम होगा, जिससे आम जनता को भी राहत मिलेगी।
4 भारत की विदेशी तेल निर्भरता घटेगी, जिससे देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।
निष्कर्ष: किसानों और देश दोनों के लिए फायदेमंद है यह कदम!
मक्का से बायो-इथेनॉल उत्पादन न सिर्फ पर्यावरण के लिए बेहतर है, बल्कि किसानों के लिए भी कमाई का एक नया जरिया बन सकता है। सरकार की इस योजना से मक्का की मांग बढ़ेगी, जिससे किसानों को उनकी फसल का अच्छा दाम मिलेगा।
अब वक्त आ गया है कि किसान भी इस मौके का फायदा उठाएं और मक्का की खेती को अपनाएं। अगर यह योजना सफल होती है, तो भारत ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के साथ-साथ किसानों की आर्थिक स्थिति भी मजबूत कर पाएगा।
