आजकल जब हम खेती और कृषि के पारंपरिक रूपों की बात करते हैं, तो महाराष्ट्र का नांदेड़ जिला एक दिलचस्प उदाहरण प्रस्तुत करता है। इस जिले के बोरगाड़ी गांव में एक दिलचस्प बदलाव आया है, और वह है गांव के हर परिवार का दूध के कारोबार से जुड़ना। यह कारोबार न केवल गांव के किसानों के लिए आर्थिक समृद्धि लेकर आया है, बल्कि पूरे गांव की जीवनशैली में भी बदलाव की लहर आई है।
इस गांव के एक प्रमुख किसान, हनमंतु गोपुवाड, के बारे में जानते हैं, जिन्होंने इस दूध के कारोबार की शुरुआत की और अब उनका कारोबार बहुत बड़ा हो चुका है। हनमंतु गोपुवाड के पास आज दस भैंसें हैं, जिनसे वह प्रतिदिन अच्छा मुनाफा कमाते हैं। उनके साथ ही, अब उनका पूरा गांव दूध के कारोबार में लगा हुआ है, और इससे गांववासियों की आय में भी काफी वृद्धि हुई है।
हनमंतु गोपुवाड की सफलता की कहानी
हनमंतु गोपुवाड का दूध के कारोबार से जुड़ने का सफर 20 साल पहले शुरू हुआ था। पहले उन्होंने एक भैंस खरीदी और फिर धीरे-धीरे इस कारोबार को बढ़ाया। आज उनके पास दस भैंसें हैं, जिनमें से छह भैंसें दूध देती हैं। इन भैंसों से प्रतिदिन सुबह और शाम कुल 50 लीटर दूध मिलता है। यह दूध गांव के पास के हिमायतनगर में बेचा जाता है, जहां वह एक लीटर दूध को 60 रुपये की दर से बेचते हैं।
इससे हनमंतु को प्रतिदिन लगभग 2500 से 3000 रुपये की कमाई होती है। अगर हम महीने भर का हिसाब करें, तो उन्हें दूध के कारोबार से लगभग एक लाख रुपये का मुनाफा हो जाता है। इस मुनाफे से न केवल उन्होंने अपनी जीवनशैली को बेहतर किया, बल्कि पांच एकड़ खेत भी खरीदे हैं। उनका कहना है कि दूध का कारोबार एक बहुत अच्छा साइड बिजनेस हो सकता है और यह किसानों के लिए लाभकारी साबित हो सकता है।
बोरगाड़ी गांव में दूध का कारोबार
हनमंतु गोपुवाड के दूध के कारोबार की सफलता ने पूरे बोरगाड़ी गांव के अन्य किसानों को भी प्रेरित किया। आज पूरे गांव के किसान दूध के कारोबार में लगे हुए हैं और इसका फायदा उन्हें प्रतिदिन हो रहा है। इस गांव के किसानों ने एक दूसरे से प्रेरणा लेकर भैंस पालन करना शुरू किया, और अब गांव के अधिकतर परिवारों के पास भैंसें हैं।
गांव के किसानों ने एकजुट होकर दूध के कारोबार को व्यवसायिक रूप से चलाना शुरू किया है। इससे न केवल उनका खुद का मुनाफा बढ़ा है, बल्कि गांव के विकास में भी योगदान मिला है। कई किसानों ने अब भैंस पालन को अपना मुख्य व्यवसाय बना लिया है और वे इससे अच्छी खासी आय कमा रहे हैं।
दूध के कारोबार से मुनाफा
बोरगाड़ी गांव के किसानों के लिए दूध का कारोबार बहुत फायदेमंद साबित हुआ है। जैसे ही किसी किसान के पास भैंसें आती हैं, वह दूध बेचने के बाद प्रतिदिन अच्छी कमाई करता है। हनमंतु गोपुवाड की तरह ही अन्य किसान भी दूध को 60 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से बेच रहे हैं और उन्हें अच्छा मुनाफा हो रहा है।
इन किसानों का कहना है कि दूध का कारोबार एक स्थिर आय का स्रोत बन सकता है। इसके अलावा, यह कारोबार किसानों को अपनी अन्य कृषि गतिविधियों के साथ-साथ चलाने की सुविधा भी देता है। जैसे-जैसे अधिक किसान इस कारोबार में शामिल होते हैं, गांव की आर्थिक स्थिति बेहतर होती जाती है।
एक लाख रुपये तक का मुनाफा
हनमंतु गोपुवाड के दूध के कारोबार से हर महीने लगभग एक लाख रुपये का मुनाफा हो रहा है। यह मुनाफा उन्हें दूध बेचने, भैंसों की देखभाल, और अन्य खर्चों को घटाने के बाद मिलता है। उन्होंने अपने अनुभवों से सीखा कि दूध का कारोबार बहुत फायदेमंद हो सकता है, खासकर अगर इसे सही तरीके से चलाया जाए। इसके अलावा, उन्होंने इस कारोबार से खेती के लिए पांच एकड़ ज़मीन भी खरीदी है, जिससे अब वह खेती और पशुपालन दोनों ही कर सकते हैं।
हनमंतु का मानना है कि हर किसान को गाय या भैंस पालन करना चाहिए। यह न केवल उनके लिए अतिरिक्त आय का स्रोत बनता है, बल्कि दूध का कारोबार एक स्थिर और लाभकारी व्यवसाय भी है। साथ ही, इससे गांव के विकास में भी मदद मिलती है और गांव की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।
कैसे जुड़ सकते हैं इस कारोबार से
अगर आप भी इस तरह के दूध के कारोबार से जुड़ना चाहते हैं, तो सबसे पहले आपको भैंसों की देखभाल की सही जानकारी हासिल करनी होगी। दूध देने वाली भैंसों की देखभाल में सही आहार, पानी, और स्वास्थ्य का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। इसके अलावा, दूध को बेचने के लिए अच्छे बाजारों और उपभोक्ताओं की पहचान करना भी महत्वपूर्ण है।
यदि किसी किसान के पास पर्याप्त भूमि और संसाधन नहीं हैं, तो वह छोटे पैमाने पर भी इस कारोबार को शुरू कर सकता है। एक या दो भैंसें लेकर भी शुरुआत की जा सकती है और फिर धीरे-धीरे कारोबार बढ़ाया जा सकता है। सही देखभाल और नियमित रूप से दूध बेचने से किसान को अच्छा मुनाफा हो सकता है।
Conclusion
बोरगाड़ी गांव में दूध के कारोबार ने किसानों के जीवन में एक नया मोड़ दिया है। हनमंतु गोपुवाड जैसे किसानों की सफलता की कहानी पूरे गांव के लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुकी है। अब पूरा गांव दूध के कारोबार में लगा हुआ है और इससे हर परिवार की आय में वृद्धि हो रही है। यह एक बेहतरीन उदाहरण है कि किस तरह एक छोटे से व्यवसाय से शुरुआत करके बड़े मुनाफे की ओर बढ़ा जा सकता है।
हनमंतु का संदेश स्पष्ट है कि हर किसान को अपने साइड बिजनेस के रूप में दूध पालन जरूर करना चाहिए। इससे न केवल उनका आर्थिक विकास होगा, बल्कि गांव की समृद्धि में भी योगदान मिलेगा। इस व्यवसाय को अपनाने से किसानों की आय का एक स्थिर स्रोत बन सकता है और वे भविष्य में अधिक समृद्ध हो सकते हैं।
