By using this site, you agree to the Privacy Policy and Terms of Use.
Accept
MansoonMansoonMansoon
  • Agribusiness
  • A to Z Farming
  • Success Story
  • Desi Jugaad
  • Profitable Farming Ideas
  • Irrigation
Notification Show More
Aa
Aa
MansoonMansoon
  • Agribusiness
  • A to Z Farming
  • Success Story
  • Desi Jugaad
  • Profitable Farming Ideas
  • Irrigation
  • Agribusiness
  • A to Z Farming
  • Success Story
  • Desi Jugaad
  • Profitable Farming Ideas
  • Irrigation
Mansoon > Blog > Blog > जैविक और प्राकृतिक: भारत में जैविक कीटनाशकों की मांग बढ़ी, लेकिन रासायनिक उपकरणों की मांग अभी भी बनी हुई है!
Blog

जैविक और प्राकृतिक: भारत में जैविक कीटनाशकों की मांग बढ़ी, लेकिन रासायनिक उपकरणों की मांग अभी भी बनी हुई है!

mansoon.info
Last updated: 2025/02/12 at 9:21 PM
By mansoon.info

भारत में जैविक कीटनाशकों की खपत में वृद्धि एक सकारात्मक संकेत है, लेकिन रासायनिक कीटनाशकों की निरंतर खपत यह दर्शाती है कि जैविक कृषि की ओर बदलाव बहुत धीमा हो रहा है।

Contents
रासायनिक कीटनाशकों का निरंतर उपयोग:रासायनिक कीटनाशकों की खपत क्षेत्र में:जैविक कीटनाशकों का बढ़ता रुझान:जैविक कीटनाशकों का खपत क्षेत्र में:रासायनिक और जैविक कीटनाशकों की वृद्धि के कारण:

भारत में कीटनाशकों की खपत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह कृषि उत्पादन, खाद्य सुरक्षा और पर्यावरणीय स्थिरता से सीधे जुड़ा हुआ है। जैविक कीटनाशकों का उपयोग धीरे-धीरे बढ़ रहा है, जबकि रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग पिछले नौ वर्षों में स्थिर रहा है। हालाँकि, पारंपरिक रासायनिक कीटनाशकों की तुलना में जैविक कीटनाशकों की कुल खपत अभी भी बहुत कम है।

रासायनिक कीटनाशकों का निरंतर उपयोग:

पिछले नौ वर्षों में भारत ने औसतन 60,000 मीट्रिक टन रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग किया है। यह प्रवृत्ति दिखाती है कि किसान अभी भी रासायनिक कीटनाशकों पर निर्भर हैं। भारत में इनकी खपत 1953–1954 में मात्र 154 मीट्रिक टन थी, जो 1994–1995 में 80,000 मीट्रिक टन हो गई। हालाँकि, सरकारी नीतियों, जैविक विकल्पों का प्रोत्साहन और एकीकृत कीट प्रबंधन (IPM) जैसे उपायों के कारण यह 1999-2000 में घटकर 54,135 मीट्रिक टन रह गया।

2000 के दशक के बाद, रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग कम हो गया। २०१२-१३ में इसकी सबसे कम मात्रा 45,619 मीट्रिक टन थी, जबकि २०१७-१८ में इसकी सबसे अधिक मात्रा 63,406 मीट्रिक टन थी। इससे स्पष्ट होता है कि कृषि उत्पादकता में रासायनिक कीटनाशकों का अभी भी महत्वपूर्ण योगदान है और किसान धीरे-धीरे रासायनिक कीटनाशकों को अपना रहे हैं।

रासायनिक कीटनाशकों की खपत क्षेत्र में:

महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश भारत में रासायनिक कीटनाशकों का लगभग 40% खपत करते हैं। सालाना 10,000 मीट्रिक टन से अधिक रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग इन दोनों राज्यों ने किया है। 2000–2015 के बाद से, इन राज्यों ने कुल खपत में 38–42 प्रतिशत से 42.4 प्रतिशत का योगदान दिया है। तीसरे स्थान पर पंजाब है, जो औसतन 5525 मीट्रिक टन से अधिक खपत करता है।

जैविक कीटनाशकों का बढ़ता रुझान:

सरकार द्वारा जैविक कृषि को बढ़ावा देने के प्रयासों और किसानों में बढ़ती जागरूकता के चलते, 2015-16 और 2021-22 के बीच जैविक कीटनाशकों की खपत 40% से अधिक बढ़ी है। 2021-22 में इनकी राष्ट्रीय खपत 8,898.92 मीट्रिक टन हो गई, जबकि 2015-16 में 6,148 मीट्रिक टन थी। यह वृद्धि लगभग ४५ प्रतिशत है। जैविक कीटनाशक अभी भी कुल कीटनाशक खपत में कम हैं। 2015-16 में जैविक कीटनाशकों का योगदान 10.8% था, जबकि 2021-22 में यह केवल 15% था। यह दिखाता है कि जैविक कीटनाशकों का उपयोग बढ़ रहा है, लेकिन रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग अभी भी अधिक है।

जैविक कीटनाशकों का खपत क्षेत्र में:

भारत में जैविक कीटनाशकों का प्रयोग असमान है। पश्चिम बंगाल, राजस्थान और महाराष्ट्र इस क्षेत्र में अग्रणी हैं। 2019 से 2020 तक महाराष्ट्र जैविक कीटनाशकों का सबसे बड़ा उपभोक्ता था, लेकिन 2016 से 2017 तक इसकी खपत में कमी आई। 2016-17 में महाराष्ट्र ने जैविक कीटनाशकों का 1,454 मीट्रिक टन उपयोग किया था, लेकिन पिछले दो वर्षों में यह 1,000 मीट्रिक टन से कम था। 2021-22 में इसका राष्ट्रीय खपत में योगदान 10.5% रह गया।

इसके विपरीत, राजस्थान अब जैविक कीटनाशकों का सबसे बड़ा खरीदार है। २०२०-२१ के बाद से यह राज्य महाराष्ट्र को पीछे छोड़ दिया है। पिछले तीन वर्षों में पश्चिम बंगाल ने 1,000 मीट्रिक टन से अधिक जैविक कीटनाशकों का उपयोग किया है।

पूर्वोत्तर राज्यों में जैविक कीटनाशकों का उपयोग बढ़ा है। 2015-16 से 2021-22 के बीच, सिक्किम और मेघालय ने जैविक कीटनाशकों की खपत में लगभग 100 गुना वृद्धि दर्ज की। 2021-22 में इनकी वार्षिक खपत 1,268 मीट्रिक टन हो गई, जो राष्ट्रीय खपत का 14.2% था, लेकिन 2015-16 में यह 15 मीट्रिक टन से भी कम था।

रासायनिक और जैविक कीटनाशकों की वृद्धि के कारण:

कृषि उत्पादकता के बारे में चिंता – भारतीय किसान अभी भी रासायनिक कीटनाशकों पर निर्भर हैं, जो अधिक उपज और त्वरित प्रभाव देते हैं। किसान जैविक कीटनाशकों को प्राथमिकता नहीं देते क्योंकि उनका प्रभाव धीमा होता है।

सरकारी नियम और जनजागरूकता— जैविक कृषि को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने कई योजनाएँ बनाई हैं, लेकिन जागरूकता और सही मार्गदर्शन की कमी के कारण कई किसान अभी भी जैविक कीटनाशकों को अपनाने में संकोच कर रहे हैं।

मूल्य और उपलब्धता— रासायनिक कीटनाशक सस्ता और आसानी से उपलब्ध होते हैं, जबकि जैविक कीटनाशक आमतौर पर महंगे और कम उपलब्ध होते हैं।

भूक्षेत्र की भौगोलिक स्थिति कुछ स्थानों में जलवायु और मिट्टी की स्थिति ऐसी है कि जैविक कीटनाशकों का प्रभाव कम होता है, इसलिए किसानों को पारंपरिक उपायों पर निर्भर करना पड़ता है।

Share This Article
Facebook Twitter Whatsapp Whatsapp Telegram Copy Link
Leave a comment Leave a comment

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You Might Also Like

Blog

300 एकड़ की टमाटर की फसल बर्बाद! जानिए इस खतरनाक वायरस के बारे में

1
Blog

क्या आप किसान हैं? सरकार की ये 5 योजनाएं आपको बना सकती हैं मालामाल!

Blog

कम लागत, ज्यादा मुनाफा जानिए मक्का की खेती के आधुनिक तरीके

Blog

जैविक और रासायनिक उपाय: प्याज की फसल को बचाने के लिए क्या करें

Blog

केले की इस खास किस्म की करें खेती, हो जाएंगे मालामाल!

Blog

फूलों की खेती से होगी बंपर कमाई, जानें कैसे उठा सकते हैं अनुदान का लाभ

Blog

हिम्मत की मिसाल: एक पैर गंवाया, पर हौसला नहीं – सब्जी की खेती से रची सफलता की नई कहानी सड़क हादसे के बाद भी नहीं मानी हार

Blog

धान की उन्नत किस्में: किसानों की पहली पसंद, अब घर बैठे पूसा से करें ऑर्डर

Show More
Mansoon

Explore innovative farming techniques, success stories, agribusiness insights, irrigation tips, and high-profit farming ideas for a thriving agricultural journey

Copyrights 2025 | All Rights Reserved by QuickZip | Designed by QuickZip
  • About us
  • Contact
  • Disclaimer
  • Terms and Conditions
  • Privacy policies
Welcome Back!

Sign in to your account

Lost your password?