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Mansoon > Blog > Blog > आम में मंजर की संख्या और गुणवत्ता को कैसे बनाए रखें: जानिए वैज्ञानिक विधियां
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आम में मंजर की संख्या और गुणवत्ता को कैसे बनाए रखें: जानिए वैज्ञानिक विधियां

mansoon.info
Last updated: 2025/03/28 at 8:48 PM
By mansoon.info

Mango Farming: आम में मंजर (फूलों का गुच्छा) आना एक महत्वपूर्ण चरण होता है, जो फसल के उत्पादन और गुणवत्ता को सीधे प्रभावित करता है। उत्तर भारत में आम के बागों में फरवरी से अप्रैल के बीच मंजर आना शुरू हो जाता है। लेकिन यदि इस दौरान मौसम, पोषण, कीट और रोगों का सही प्रबंधन न किया जाए, तो मंजर की गुणवत्ता और संख्या दोनों प्रभावित हो सकते हैं, जिससे उत्पादन पर सीधा असर पड़ता है।

वैज्ञानिक विधियों और सही प्रबंधन तकनीकों को अपनाकर किसान मंजर झड़ने की समस्या को कम कर सकते हैं और आम की अधिक उपज प्राप्त कर सकते हैं। आइए जानते हैं कि मंजर की संख्या और गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए कौन-कौन से उपाय जरूरी हैं।

1. मंजर आने का सही समय और चरण

आम में मंजर आने की प्रक्रिया आमतौर पर फरवरी से अप्रैल के बीच होती है।

मंजर बनने के प्रमुख चरण:

  • पहला चरण: छोटे-छोटे पुष्प गुच्छों का बनना शुरू होता है।

  • दूसरा चरण: फूल खिलने लगते हैं और परागण की प्रक्रिया तेज हो जाती है।

  • तीसरा चरण: फूलों में फल बनने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है।

  • चौथा चरण: मंजर का झड़ना और बचा हुआ हिस्सा फलों में बदल जाता है।

इन सभी चरणों के दौरान सही पोषण, सिंचाई और कीट नियंत्रण की आवश्यकता होती है ताकि मंजर झड़ने से बचाया जा सके और उत्पादन में वृद्धि हो सके।

2. मंजर की संख्या और गुणवत्ता बनाए रखने के लिए पोषण प्रबंधन

मंजर की गुणवत्ता और संख्या को बनाए रखने के लिए सही पोषण आवश्यक है।

आवश्यक पोषक तत्व:

  • नाइट्रोजन (N): पत्तियों और मंजर के विकास के लिए आवश्यक।

  • फॉस्फोरस (P): फूलों की वृद्धि और परागण में सहायक।

  • पोटैशियम (K): फलों की गुणवत्ता और आकार को बेहतर बनाता है।

  • जिंक और बोरॉन: मंजर की गुणवत्ता बनाए रखने और फूल झड़ने की समस्या को रोकने में मददगार।

खाद प्रबंधन के महत्वपूर्ण टिप्स:

  • फूल आने से 20-25 दिन पहले नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटैशियम का संतुलित उपयोग करें।

  • जिंक और बोरॉन का छिड़काव करें ताकि मंजर झड़ने की समस्या कम हो।

  • फूल आने के समय 2 प्रतिशत पोटैशियम नाइट्रेट का छिड़काव करें ताकि मंजर की गुणवत्ता बनी रहे।

  • बोरॉन और जिंक सल्फेट का 0.2 प्रतिशत घोल छिड़कने से फूलों की संख्या और परागण में वृद्धि होती है।

3. सिंचाई प्रबंधन का सही तरीका

मंजर आने के दौरान सही सिंचाई प्रबंधन करना बेहद आवश्यक है।

सिंचाई करते समय ध्यान देने योग्य बातें:

  • फूल आने से पहले हल्की सिंचाई करें ताकि मिट्टी में नमी बनी रहे।

  • मंजर आने के समय अत्यधिक सिंचाई से बचें, क्योंकि इससे फूल झड़ने की संभावना बढ़ जाती है।

  • ड्रिप इरिगेशन का उपयोग करें ताकि पौधों को सही मात्रा में पानी मिल सके और पानी की बर्बादी न हो।

  • मल्चिंग तकनीक अपनाएं ताकि मिट्टी में नमी बनी रहे और पौधों को आवश्यक पोषण मिलता रहे।

सिंचाई का सही समय:

  • मंजर बनने से पहले हल्की सिंचाई करें।

  • फूल खिलने के दौरान 7-10 दिनों के अंतराल पर हल्की सिंचाई करें।

  • फलों के बनने के दौरान पानी की मात्रा बढ़ा दें ताकि फलों का सही विकास हो सके।

4. कीट और रोग प्रबंधन

मंजर के समय कीट और रोगों का प्रभाव आम की फसल पर भारी पड़ सकता है।

आम में लगने वाले प्रमुख कीट:

  • मैंगो हॉपर्स: ये कीट मंजर से रस चूसकर फूलों को नुकसान पहुंचाते हैं।

    • इमिडाक्लोप्रिड या डाइमेथोएट का छिड़काव करें।

  • पाउडरी मिल्ड्यू: यह रोग मंजर और पत्तियों को प्रभावित करता है।

    • सल्फर आधारित फफूंदनाशक का छिड़काव करें।

  • थ्रिप्स: ये कीट फूलों की पंखुड़ियों को नुकसान पहुंचाते हैं।

    • नीम तेल का छिड़काव करें।

रोग प्रबंधन के महत्वपूर्ण उपाय:

  • पाउडरी मिल्ड्यू से बचाव के लिए सल्फर और कॉपर ऑक्सीक्लोराइड का छिड़काव करें।

  • एंथ्रेक्नोज रोग को रोकने के लिए मैन्कोजेब का 0.2 प्रतिशत घोल छिड़कें।

  • मंजर झड़ने की समस्या से बचने के लिए जैविक कीटनाशकों और फफूंदनाशकों का प्रयोग करें।

5. मंजर झड़ने की समस्या से बचाव

मंजर झड़ने की समस्या आमतौर पर पानी की कमी, पोषण की कमी और कीट प्रकोप के कारण होती है।

मंजर झड़ने से बचाव के लिए अपनाएं ये उपाय:

  • पोषण की कमी को दूर करने के लिए जैविक खाद और उर्वरकों का सही मात्रा में उपयोग करें।

  • सिंचाई का सही प्रबंधन करें और मिट्टी में नमी बनाए रखें।

  • फूल झड़ने की समस्या से बचने के लिए बोरॉन और जिंक सल्फेट का छिड़काव करें।

  • परागण को बढ़ाने के लिए मधुमक्खियों की संख्या बढ़ाएं ताकि मंजर की संख्या और गुणवत्ता में सुधार हो।

6. मौसम प्रबंधन और पर्यावरणीय कारक

उत्तर भारत में मार्च-अप्रैल के दौरान मौसम में उतार-चढ़ाव आमतौर पर मंजर को प्रभावित करता है।

मौसम से बचाव के उपाय:

  • हवा और तूफान से बचाव के लिए बगीचे के चारों ओर वायु अवरोध लगाएं।

  • अत्यधिक गर्मी से बचाने के लिए मल्चिंग तकनीक का उपयोग करें।

  • ठंड और ओलावृष्टि से बचाव के लिए पौधों को ढककर रखें।

7. फूलों में परागण बढ़ाने के उपाय

आम के फूलों में परागण की प्रक्रिया को बेहतर बनाने के लिए मधुमक्खियों और अन्य परागणकर्ता कीटों का संरक्षण आवश्यक है।

परागण बढ़ाने के उपाय:

  • फूलों वाले अन्य पौधों को खेतों के आसपास लगाएं ताकि मधुमक्खियों को आकर्षित किया जा सके।

  • रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग फूल आने के समय न करें ताकि मधुमक्खियों की संख्या प्रभावित न हो।

  • जैविक कीटनाशकों का उपयोग करें ताकि परागण की प्रक्रिया बेहतर हो सके।

8. फलों के विकास और आकार में सुधार के उपाय

मंजर बनने के बाद फलों के सही विकास और आकार के लिए पोषण और कीटनाशकों का सही प्रबंधन आवश्यक है।

फलों के विकास को बढ़ाने के तरीके:

  • नाइट्रोजन और पोटैशियम का संतुलित प्रयोग करें ताकि फलों का विकास सही ढंग से हो।

  • फलों के बनने के समय हल्की सिंचाई करें ताकि पौधों को सही पोषण मिल सके।

  • फलों की गुणवत्ता में सुधार के लिए बोरॉन और मैग्नीशियम सल्फेट का छिड़काव करें।

9. मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने के उपाय

मंजर आने के दौरान मिट्टी की उर्वरता बनाए रखना जरूरी है ताकि पौधों को सही पोषण मिलता रहे।

मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने के तरीके:

  • जैविक खाद और वर्मी कम्पोस्ट का प्रयोग करें ताकि मिट्टी में आवश्यक पोषक तत्व बने रहें।

  • मल्चिंग तकनीक अपनाएं ताकि मिट्टी में नमी बनी रहे और पौधों को आवश्यक पोषण मिलता रहे।

  • मिट्टी परीक्षण कराकर आवश्यक उर्वरकों का सही मात्रा में प्रयोग करें।

निष्कर्ष

आम में मंजर की संख्या और गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए सही पोषण, सिंचाई, कीट और रोग प्रबंधन का ध्यान रखना जरूरी है। वैज्ञानिक विधियों और सही देखभाल के माध्यम से मंजर झड़ने की समस्या को कम करके किसान अधिक उत्पादन और बेहतर गुणवत्ता प्राप्त कर सकते हैं।

मंजर की संख्या और गुणवत्ता बनाए रखने के लिए मार्च-अप्रैल के महीनों में पोषण प्रबंधन, मौसम नियंत्रण और परागण में सुधार पर विशेष ध्यान देना चाहिए। सही समय पर कीट और रोग प्रबंधन अपनाकर आम की फसल से अधिकतम लाभ प्राप्त किया जा सकता है। Click Here

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