आज नवादा गांव किसानों के समृद्ध गांव के तौर पर जाना जाता है. कभी नक्सलियों के गढ़ रहे इस गांव की कहानी, किसानों की मेहनत और जज्बे की मिसाल बन गई है.
नवादा गांव की नई पहचान:
- किसानों की मेहनत से बदली गांव की तस्वीर.
- कभी नक्सली गढ़ रहा नवादा अब कृषि का स्वर्ग है.
- खेती ने नक्सलियों के खौफ को मिटा दिया.
खेती की धमक ने दबा दी बंदूकों की आवाज
झारखंड की धरती में जब खेती की धमक गूंजी तो नक्सलियों की बंदूकों की आवाजें फीकी पड़ गईं. एक ऐसा गांव, जो कभी लाल आतंक के साए में जीता था, आज खेती-किसानी के दम पर अपनी नई पहचान बना चुका है. हजारीबाग जिले के कटकमसांडी प्रखंड का नवादा गांव, जो कभी हार्डकोर नक्सलियों के लिए सेफ जोन हुआ करता था, आज किसानों की मेहनत के दम पर कृषि का स्वर्ग बन चुका है.
कभी दहशत में रहते थे गांव वाले
नवादा गांव की गलियों में एक वक्त नक्सलियों की जन अदालतें लगती थीं. लोग दहशत में थे, गांव में सन्नाटा पसरा रहता था. डर के कारण लोग यहां कदम तक रखने से हिचकते थे. लेकिन आज तस्वीर बिल्कुल उलट चुकी है. यहां के किसानों ने अपनी सूझबूझ और मेहनत के बल पर इस गांव की किस्मत ही बदल दी है. अब इस गांव की पहचान है हरियाली से लहलहाते खेत और व्यापारिक स्तर पर उगाई जाने वाली सब्जियां.
खेती बनी बदलाव का हथियार
गांव के ही युवा किसान चंदन कुमार मेहता बताते हैं कि लगभग दो दशक पहले तक नवादा गांव नक्सली गतिविधियों के लिए चर्चित था. लोग खेती से दूर थे, क्योंकि खेतों तक पहुंचने में भी खतरा था. लेकिन जैसे ही सरकार ने नक्सलियों पर शिकंजा कसा, किसानों ने भी खेती को अपना हथियार बना लिया. खेती का यह हथियार इतना मजबूत साबित हुआ कि उसने बंदूकों के खौफ को पूरी तरह मिटा दिया.
सरकारी योजनाओं ने बढ़ाया हौसला
सरकार ने भी इस गांव के किसानों की मदद के लिए कई योजनाएं चलाईं. सिंचाई सुविधाओं का विस्तार हुआ, किसानों को सस्ते दर पर खाद-बीज उपलब्ध कराए गए. कृषि वैज्ञानिकों ने गांव में आकर किसानों को उन्नत खेती के गुर सिखाए. देखते ही देखते यह गांव आत्मनिर्भर बन गया.
अब दूसरे गांव भी अपना रहे यह मॉडल
नवादा की सफलता की कहानी अब अन्य गांवों तक भी पहुंच रही है. आसपास के गांवों के किसान भी यहां के सफल किसानों से प्रेरणा लेकर उन्नत खेती अपना रहे हैं. खेती के नए-नए तरीके सीख रहे हैं और जैविक खेती को बढ़ावा दे रहे हैं.
आज की खेती: सब्जियों और फलों का हब
आज नवादा गांव में आलू, टमाटर, गोभी, मिर्च जैसी सब्जियों के साथ-साथ फल भी उगाए जा रहे हैं. ये फसलें केवल स्थानीय बाजारों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि राज्य के अन्य हिस्सों और पड़ोसी राज्यों तक भी पहुंच रही हैं. इससे किसानों की आय में जबरदस्त वृद्धि हुई है.
गांव के युवाओं की नई सोच
गांव के युवा अब केवल नौकरी की तलाश में नहीं हैं. वे खेती को एक व्यवसाय के रूप में देख रहे हैं. कई युवा आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर खेती को और ज्यादा उन्नत बना रहे हैं. वे जैविक खेती, ग्रीनहाउस तकनीक और ड्रिप सिंचाई जैसी नई पद्धतियों को अपना रहे हैं.
अर्थव्यवस्था में आया सुधार
खेती-किसानी के चलते नवादा गांव की अर्थव्यवस्था में भी जबरदस्त सुधार हुआ है. जहां पहले गांव के लोग मजदूरी के लिए दूसरे राज्यों का रुख करते थे, अब वे अपने ही गांव में बेहतर आय अर्जित कर रहे हैं. गांव में छोटे पैमाने पर कृषि आधारित उद्योग भी विकसित हो रहे हैं, जिससे रोजगार के नए अवसर पैदा हो रहे हैं.
नवादा बना प्रेरणा का स्रोत
आज नवादा गांव सिर्फ हजारीबाग ही नहीं, बल्कि पूरे झारखंड और देशभर के किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया है. यह गांव साबित करता है कि अगर मेहनत और लगन हो, तो किसी भी समस्या को हराया जा सकता है. खेती न केवल पेट भरने का जरिया है, बल्कि एक सशक्त समाज के निर्माण का आधार भी है.
निष्कर्ष
नवादा गांव की कहानी सिर्फ एक गांव की कहानी नहीं है, बल्कि यह उन सभी किसानों के लिए प्रेरणा है, जो मेहनत और लगन से अपनी तकदीर बदलना चाहते हैं. खेती ने इस गांव को नक्सलवाद के डर से निकालकर आत्मनिर्भरता और समृद्धि की राह पर ला दिया है. यह बदलाव दिखाता है कि अगर सही रणनीति और मेहनत हो, तो कोई भी गांव खुद को बदल सकता है और विकास की नई ऊंचाइयों तक पहुंच सकता है.
