बुंदेलखंड क्षेत्र में खेती से जुड़े बहुत से चुनौतियाँ हैं, लेकिन कुछ किसान ऐसे हैं जिन्होंने इन चुनौतियों को मात देकर अपनी किस्मत बदल दी है। सागर जिले के बिजोरा गांव के ज्ञानेश्वर रावत इसका बेहतरीन उदाहरण हैं। 27 साल पहले, जब उन्होंने लहसुन की खेती की शुरुआत की थी, तब शायद ही उन्होंने कल्पना की होगी कि यह उन्हें एक दिन लाखों की कमाई का रास्ता दिखाएगा। आज वे “लहसुन किंग” के नाम से प्रसिद्ध हो गए हैं।
ज्ञानेश्वर रावत के लिए लहसुन की खेती कोई नई बात नहीं थी, क्योंकि उनके बड़े भाई एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट में असिस्टेंट डायरेक्टर थे। भाई के सुझाव पर उन्होंने 50 किलो लहसुन के बीज से खेती शुरू की थी, और आज वे 7 एकड़ जमीन में 30 क्विंटल लहसुन की पैदावार कर रहे हैं। इस साल उन्होंने 20 लाख रुपये का शुद्ध मुनाफा कमाया, जो किसी भी किसान के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।
लहसुन की खेती से अधिक मुनाफा: गेहूं और चने की तुलना में
बुंदेलखंड में किसान पारंपरिक फसलों जैसे गेहूं और चने की खेती करते हैं, लेकिन ज्ञानेश्वर रावत ने लहसुन को अपनी प्रमुख फसल बना लिया। उनका कहना है कि लहसुन की खेती गेहूं और चने के मुकाबले कहीं अधिक मुनाफे वाली है। वे बताते हैं, “लहसुन से हमें दोगुना से चार गुना अधिक मुनाफा मिलता है, और यह नुकसान का कोई सवाल ही नहीं होता।”
पिछले साल उन्होंने 7 एकड़ में लहसुन की खेती की थी, जिसमें 20 लाख रुपये का शुद्ध मुनाफा हुआ था। यह मुनाफा सिर्फ खेती की गुणवत्ता और मेहनत के कारण नहीं था, बल्कि सही बीज, सही मौसम और तकनीकी जानकारी का भी इसमें बड़ा योगदान था।
लहसुन की खेती में सटीक जानकारी और मेहनत का महत्व
ज्ञानेश्वर रावत का कहना है कि लहसुन की खेती में सफलता पाने के लिए सिर्फ मेहनत नहीं, बल्कि सही जानकारी भी जरूरी है। उन्होंने बताया कि पहले कुछ सालों में उन्हें खेती की समस्याओं से जूझना पड़ा था, लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने सही तकनीकों को अपनाया और अब लहसुन की खेती में पूरी तरह से माहिर हो गए हैं।
उनके अनुसार, लहसुन की खेती के लिए सही जलवायु, बीज की गुणवत्ता, और उपजाऊ मिट्टी का होना बेहद आवश्यक है। साथ ही, फसल की देखभाल में कोई कमी न हो, इस पर विशेष ध्यान दिया जाता है। “हमारे पास बीजों की अच्छी गुणवत्ता होती है, जो फसल को रोगमुक्त बनाए रखती है।” वे बताते हैं।
कृषि विभाग से मिली मदद
ज्ञानेश्वर रावत का मानना है कि उनके बड़े भाई, जो कृषि विभाग में कार्यरत थे, ने उन्हें सही दिशा दिखाई। शुरूआत में थोड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन सही मार्गदर्शन और कृषि विभाग से मिली मदद ने उन्हें न सिर्फ आत्मनिर्भर बनाया, बल्कि एक सफल किसान भी बना दिया।
वे आगे कहते हैं, “मेरे बड़े भाई ने हमेशा मुझे कृषि से संबंधित नए-नए तरीके और तकनीकें सिखाईं। उनका मार्गदर्शन मेरे लिए बहुत फायदेमंद साबित हुआ।”
लहसुन के बाजार की स्थिति
लहसुन की खेती ने न केवल ज्ञानेश्वर रावत की जिंदगी बदली है, बल्कि पूरे क्षेत्र के किसानों के लिए यह एक प्रेरणा बन गई है। बुंदेलखंड में लहसुन की भारी मांग है, और इसे देशभर में बेचा जाता है। ज्ञानेश्वर रावत की तरह कई किसान अब लहसुन की खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं। वे बताते हैं, “हमारे इलाके में लहसुन की भारी डिमांड है। इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसका उत्पादन आसानी से बिक जाता है।”
उनकी सलाह है कि किसान अगर लहसुन की खेती में सही तकनीकी ज्ञान और मेहनत लगाएंगे तो वह भी इस क्षेत्र में सफलता पा सकते हैं।
आधुनिक खेती की ओर कदम
ज्ञानेश्वर रावत अब खेती के पारंपरिक तरीकों से बाहर निकलकर आधुनिक कृषि तकनीकों का उपयोग कर रहे हैं। वे ड्रिप इरिगेशन, जैविक उर्वरक और उन्नत बीजों का उपयोग करते हैं, जिससे न केवल उनकी उपज में वृद्धि होती है, बल्कि लागत भी कम होती है।
“आजकल हम ड्रिप इरिगेशन का उपयोग करते हैं, जिससे पानी की बचत होती है और फसल को सही मात्रा में जल मिल जाता है। जैविक उर्वरकों के उपयोग से मिट्टी की गुणवत्ता भी बनी रहती है।” रावत कहते हैं।
संकल्प और प्रेरणा
ज्ञानेश्वर रावत का जीवन केवल मेहनत और लगन का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह साबित करता है कि अगर किसी किसान को सही मार्गदर्शन और संसाधन मिले, तो वह किसी भी स्थिति में अपनी किस्मत बदल सकता है। उनका कहना है, “अगर किसानों को सही जानकारी और संसाधन मिले, तो वे भी अपनी खेती से अच्छे परिणाम पा सकते हैं।”
निष्कर्ष
ज्ञानेश्वर रावत का यह सफर हमें यह सिखाता है कि कृषि में सफलता पाने के लिए सिर्फ पारंपरिक तरीके ही नहीं, बल्कि आधुनिक तकनीकों का भी इस्तेमाल करना आवश्यक है। यदि हम अपने कृषि व्यवसाय को सही दिशा में चलाएं और सही तकनीकों का इस्तेमाल करें, तो कोई कारण नहीं है कि हम मुनाफा न कमा सकें।
सागर के इस किसान की सफलता की कहानी न केवल बुंदेलखंड के किसानों के लिए, बल्कि पूरे देश के किसानों के लिए एक प्रेरणा बन चुकी है।
