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Mansoon > Blog > Blog > बिहार में फलों का उत्पादन: कृषि तकनीकों और मौसम के प्रभाव पर विस्तृत अध्ययन
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बिहार में फलों का उत्पादन: कृषि तकनीकों और मौसम के प्रभाव पर विस्तृत अध्ययन

mansoon.info
Last updated: 2025/02/16 at 10:23 PM
By mansoon.info

प्रमुख फलों का तुलनात्मक अध्ययन

1) आम (Mango):
फलों का राजा आम है। दरभंगा, बिहार आम की राजधानी मानी जाती है। बिहार में 162.45 हेक्टेयर में आम की खेती की गई, जिससे 1572.51 हजार टन उत्पादन हुआ और उत्पादकता 9.67 टन प्रति हेक्टेयर रही। भारत में 2399.78 हेक्टेयर में आम की खेती की गई, जिसमें 21788.64 हजार टन उत्पादन हुआ और औसत उत्पादकता 9.07 टन प्रति हेक्टेयर रही। बिहार में आम की उत्पादकता राष्ट्रीय औसत से अधिक है, जो इसकी बेहतर जलवायु परिस्थितियों और नवीन कृषि प्रणालियों का प्रमाण है।

Contents
प्रमुख फलों का तुलनात्मक अध्ययननिकास:सुझाव:

2) केला (Banana):
बिहार में 43.60 हजार हेक्टेयर में केले की खेती हुई, जिससे 2003.37 हजार टन उत्पादन हुआ और उत्पादकता 45.94 टन प्रति हेक्टेयर रही। भारत में 992.50 हजार हेक्टेयर में केले की खेती हुई, जिसमें 37378.25 हजार टन उत्पादन हुआ और औसत उत्पादकता 37.66 टन प्रति हेक्टेयर रही। बिहार की केला उत्पादकता राष्ट्रीय औसत से अधिक है, जो इसकी उच्च गुणवत्ता और बेहतर खेती की वजह से है। पूसा में डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय का केला अनुसंधान केंद्र, गोरौल, महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।

3) लीची (Litchi):
लीची का नाम फलों की रानी है। बिहार में 36,70 हेक्टेयर में लीची की खेती की गई, जिससे 308.27 हजार टन उत्पादन हुआ और 8.39 टन प्रति हेक्टेयर उत्पादकता रही। राष्ट्रीय स्तर पर 98.04 हेक्टेयर में लीची की खेती की गई, जिसमें 724.89 हजार टन उत्पादन हुआ और 7.39 टन प्रति हेक्टेयर उत्पादकता रही। राष्ट्रीय औसत से अधिक लीची उत्पादक बिहार राज्य है। बिहार पूरे लीची क्षेत्र का लगभग 60 प्रतिशत है। मुजफ्फरपुर में सर्वश्रेष्ठ लीची मिलती है।

4) पपीता (Papaya):
बिहार में 3,320 हेक्टेयर में पपीते की खेती की गई, जिससे 98,53 हजार टन उत्पादन हुआ और 29.67 टन प्रति हेक्टेयर उत्पादकता रही। भारत में 141.12 हजार हेक्टेयर में पपीते की खेती की गई, जिसमें 5201.79 हजार टन उत्पादन हुआ और 36.86 टन प्रति हेक्टेयर उत्पादकता रही। बिहार में पपीते की उत्पादकता राष्ट्रीय औसत से कम है, इसलिए इस क्षेत्र में सुधार की जरूरत है।

5) आंवला (Amla):
बिहार में 3.44 हेक्टेयर में आंवला की खेती की गई, 15.64 हजार टन उत्पादन हुआ और 4.54 टन प्रति हेक्टेयर उत्पादकता रही। भारत में आंवला की खेती 106.60 हजार हेक्टेयर में हुई, जो 1352.47 हजार टन उत्पादन और औसत 12.68 टन प्रति हेक्टेयर उत्पादकता थी। बिहार की आंवला उत्पादकता राष्ट्रीय औसत से बहुत कम है, जो नवीनतम तकनीकों और उर्वरकों का सही उपयोग करने की जरूरत है।

6) अमरूद (Guava):
बिहार में 29,85 हेक्टेयर में अमरूद की खेती की गई, जिससे 434,87 हजार टन उत्पादन हुआ और 14.56 टन उपज प्रति हेक्टेयर मिली। राष्ट्रीय स्तर पर 352.49 हजार हेक्टेयर में अमरूद की खेती हुई, जिसमें 5428.73 हजार टन उत्पादन हुआ और 15.40 टन प्रति हेक्टेयर उत्पादकता रही। राष्ट्रीय औसत की तुलना में बिहार की अमरूद उत्पादकता थोड़ी कम है।

7) खरबूजा (Muskmelon):
बिहार में खरबूजे की खेती 3,88 हेक्टेयर में हुई, जिससे 22,61 हजार टन उत्पादन हुआ और 5.82 टन उपज प्रति हेक्टेयर हुई। भारत में प्रति हेक्टेयर 67.32 हजार हेक्टेयर में 1519.57 हजार टन उत्पादन हुआ, औसत उत्पादकता 22.57 टन रही। राष्ट्रीय औसत से बिहार की उत्पादकता काफी कम है।

निकास:

राष्ट्रीय स्तर पर, बिहार लीची, आम और केले के उत्पादन में राष्ट्रीय औसत से अधिक है। हालाँकि, आंवला, खरबूजा, पपीता और तरबूज की उत्पादकता राष्ट्रीय औसत से कम है, जो बेहतर कृषि तकनीक और अनुसंधान की जरूरत है।

सुझाव:

  1. प्रभावी उन्नत कृषि तकनीकों का प्रयोग: आधुनिक बागवानी तकनीकों को अपनाकर उत्पादकता में वृद्धि की जा सकती है।
  2. सिंचाई सुविधाओं में सुधार: जल संसाधनों का समुचित उपयोग करके उपज को बढ़ाया जा सकता है।
  3. उर्वरक और जैविक खाद का उचित उपयोग: संतुलित उर्वरक और जैविक खाद के प्रयोग से मिट्टी की उर्वरता बनाए रखी जा सकती है।
  4. फसल सुरक्षा उपायों का पालन: फलों को कीट एवं रोगों से बचाने के लिए जैविक और रासायनिक नियंत्रण उपायों का प्रभावी उपयोग करना आवश्यक है।
  5. बाजार व्यवस्था का सुदृढ़ीकरण: किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने के लिए विपणन सुविधाओं का विस्तार किया जाना चाहिए।

यदि इन उपायों को अपनाया जाए, तो बिहार का फल उत्पादन राष्ट्रीय स्तर पर और भी अधिक प्रभावशाली हो सकता है।

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