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Mansoon > Blog > Blog > फालसा की खेती: कम लागत में अधिक मुनाफे की गारंटी
BlogHigh-Profit Farming

फालसा की खेती: कम लागत में अधिक मुनाफे की गारंटी

mansoon.info
Last updated: 2025/03/23 at 9:10 PM
By mansoon.info

फालसा (Grewia Subinaequalis) गर्म और शुष्क जलवायु में उगाई जाने वाली पोषण और औषधीय गुणों से भरपूर फल वाली फसल है। फालसा की खेती कम पानी, कम लागत और कम देखभाल में अधिक मुनाफा देती है, जिससे किसानों के लिए यह एक लाभदायक व्यवसाय साबित हो सकती है।

Contents
फालसा क्या है और इसकी खेती क्यों फायदेमंद है?भारत में फालसा की खेती की स्थितिफालसा की खेती की सही तकनीक1. जलवायु और मिट्टी का चयन2. बीज और पौधों का चयन3. रोपाई और दूरी4. सिंचाई प्रबंधनफालसा की देखभाल और फसल प्रबंधन1. खाद और उर्वरक का प्रयोग:2. खरपतवार और कीट प्रबंधन:3. परागण और फूलन प्रबंधन:फालसा की फसल कटाई और प्रसंस्करण1. फसल की कटाई का सही समय:2. प्रसंस्करण और विपणन:फालसा की खेती से करोड़ों की कमाई कैसे संभव है?सरकार की योजनाएं और वित्तीय सहायतानिष्कर्ष: फालसा की खेती से किसानों की तकदीर बदलेगी!

फालसा के फल का उपयोग ताजे फल के रूप में खाने के अलावा जूस, स्क्वैश, शरबत और औषधीय उत्पादों के निर्माण में भी किया जाता है। इसकी बाजार में अच्छी मांग है और किसान सही तकनीकों को अपनाकर उत्पादन बढ़ाकर अच्छी आमदनी कर सकते हैं।


फालसा क्या है और इसकी खेती क्यों फायदेमंद है?

फालसा (Grewia Subinaequalis) एक झाड़ीदार पौधा है, जो भारत में उत्तर प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, पंजाब और हरियाणा में बड़े पैमाने पर उगाया जाता है। इसकी झाड़ियां 1.5-3 मीटर तक ऊंची होती हैं और इसके फल छोटे, गोल और स्वाद में खट्टे-मीठे होते हैं।

1  कम लागत, अधिक मुनाफा: फालसा की खेती में पानी और उर्वरकों की जरूरत बहुत कम होती है, जिससे कम लागत में अधिक उत्पादन संभव होता है।
2  गर्म और शुष्क जलवायु के अनुकूल: फालसा गर्म और सूखी जलवायु में भी अच्छा उत्पादन देता है, जिससे यह पानी की कमी वाले क्षेत्रों के लिए आदर्श फसल बन जाती है।
3  औषधीय गुणों से भरपूर: फालसा के फल में विटामिन C, आयरन, कैल्शियम और एंटीऑक्सिडेंट प्रचुर मात्रा में होते हैं। यह गर्मी में ठंडक पहुंचाने और पेट के विकारों को दूर करने में मदद करता है।
4 बहुउपयोगी फसल: फालसा के फलों से जूस, स्क्वैश, शरबत, जैम और औषधीय उत्पाद तैयार किए जाते हैं, जिससे किसान अतिरिक्त मुनाफा कमा सकते हैं।


भारत में फालसा की खेती की स्थिति

फालसा की खेती भारत के कई राज्यों में की जाती है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां गर्म और शुष्क जलवायु होती है। उत्तर प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, पंजाब और हरियाणा में किसान फालसा की खेती से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं।

फालसा की खेती क्यों हो रही है लोकप्रिय?
1  कम पानी की आवश्यकता: फालसा की खेती सूखे और कम सिंचाई वाले क्षेत्रों में भी की जा सकती है।
2  उपज में निरंतरता: एक बार फसल तैयार होने के बाद, फालसा की झाड़ियां 5-7 वर्षों तक फल देती हैं।
3  बढ़ती बाजार मांग: फालसा का जूस और शरबत गर्मी के मौसम में बाजार में काफी मांग में रहता है।


फालसा की खेती की सही तकनीक

फालसा की खेती से अधिक मुनाफा पाने के लिए सही तकनीक और देखभाल जरूरी है।

1. जलवायु और मिट्टी का चयन

  • फालसा की खेती के लिए गर्म और शुष्क जलवायु उपयुक्त है।

  • 25°C से 38°C तापमान इसके विकास के लिए सबसे अच्छा है।

  • फालसा को बलुई-दोमट मिट्टी सबसे ज्यादा पसंद है।

  • मिट्टी का pH स्तर 6.5-7.5 के बीच होना चाहिए।

2. बीज और पौधों का चयन

  • फालसा की खेती के लिए बीज या कलम से पौधे तैयार किए जा सकते हैं।

  • बीजों को मार्च-अप्रैल में बोया जाता है और 15-20 दिनों में अंकुरण हो जाता है।

  • कलम विधि से पौधे लगाने पर 6-8 महीनों में पौधे फसल देने लगते हैं।

3. रोपाई और दूरी

  • पौधों की रोपाई जून-जुलाई में मानसून के समय करना उचित होता है।

  • पौधों के बीच की दूरी 3 मीटर x 3 मीटर होनी चाहिए ताकि पौधों को फैलने की जगह मिले।

4. सिंचाई प्रबंधन

  • फालसा को कम पानी की जरूरत होती है, इसलिए टपक सिंचाई प्रणाली (Drip Irrigation) का उपयोग सबसे बेहतर है।

  • गर्मियों में 12-15 दिन के अंतराल पर सिंचाई करना चाहिए।

  • मानसून के दौरान सिंचाई की जरूरत कम हो जाती है।


फालसा की देखभाल और फसल प्रबंधन

1. खाद और उर्वरक का प्रयोग:

  • गोबर की खाद, वर्मी कम्पोस्ट और हरी खाद का प्रयोग फसल की गुणवत्ता बढ़ाता है।

  • एनपीके उर्वरक (10:20:10) का संतुलित उपयोग करें।

  • फसल को अच्छी बढ़वार के लिए जैविक उर्वरकों से पोषण मिलता है।

2. खरपतवार और कीट प्रबंधन:

  • खरपतवार नियंत्रण के लिए समय-समय पर निराई-गुड़ाई करना आवश्यक है।

  • कीट और रोगों से बचाव के लिए नीम का तेल और जैविक कीटनाशकों का प्रयोग करें।

  • पाउडरी मिल्ड्यू और फफूंद रोगों से बचाव के लिए सल्फर या कार्बेन्डाजिम का छिड़काव करें।

3. परागण और फूलन प्रबंधन:

  • फालसा में प्राकृतिक परागण मधुमक्खियों और कीटों द्वारा होता है।

  • फसल में फूल आने के समय परागण को बढ़ावा देने के लिए खेत में मधुमक्खियों का प्रबंधन करना चाहिए।


फालसा की फसल कटाई और प्रसंस्करण

1. फसल की कटाई का सही समय:

  • फालसा की फसल रोपाई के 10-12 महीनों बाद तैयार हो जाती है।

  • फसल को मई-जून में तोड़ा जाता है, जब फल बैंगनी रंग के हो जाते हैं।

  • सुबह या शाम के समय फसल की कटाई करने से फलों की ताजगी बनी रहती है।

2. प्रसंस्करण और विपणन:

  • फालसा के फलों से जूस, शरबत, जैम और स्क्वैश बनाए जाते हैं।

  • फालसा जूस और स्क्वैश की गर्मियों में बाजार में काफी मांग रहती है।

  • ऑर्गेनिक फालसा उत्पादों की मांग निरंतर बढ़ रही है, जिससे किसानों को अधिक मुनाफा मिल रहा है।


फालसा की खेती से करोड़ों की कमाई कैसे संभव है?

फालसा की कीमत ₹100-₹150 प्रति किलोग्राम तक होती है। एक एकड़ भूमि में फालसा की खेती से 8-10 टन फल का उत्पादन किया जा सकता है।

संभावित आय का अनुमान:

  • 1 एकड़ में 8 टन फालसा का उत्पादन: ₹120 x 8,000 = ₹9.6 लाख प्रति सीजन

  • प्रसंस्करण उत्पादों से अतिरिक्त मुनाफा: फालसा जूस और स्क्वैश से 20-30% अधिक मुनाफा मिलता है।

1  कम लागत और अधिक मुनाफा: फालसा की खेती में कम पानी, कम श्रम और कम लागत लगती है, जिससे किसानों को अच्छा मुनाफा मिलता है।
2  बाजार में उच्च मांग: गर्मी के मौसम में फालसा और उसके उत्पादों की मांग अधिक होने से तेजी से बिक्री होती है।


सरकार की योजनाएं और वित्तीय सहायता

भारत सरकार फालसा की खेती को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चला रही है।

1 राष्ट्रीय बागवानी मिशन (NHM): किसानों को वित्तीय सहायता और तकनीकी मार्गदर्शन प्रदान किया जाता है।
2  प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY): ड्रिप सिंचाई प्रणाली अपनाने के लिए सब्सिडी दी जाती है।
3  मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना (Soil Health Card): किसानों को मृदा परीक्षण और उर्वरक संतुलन की जानकारी दी जाती है।


निष्कर्ष: फालसा की खेती से किसानों की तकदीर बदलेगी!

फालसा की खेती किसानों के लिए एक सुनहरा अवसर है, जिससे वे कम लागत और कम पानी में अधिक मुनाफा कमा सकते हैं।

सही तकनीक, उचित देखभाल और समय पर फसल प्रबंधन से फालसा की खेती पारंपरिक फसलों से कई गुना अधिक मुनाफा देती है।

तो देर किस बात की? फालसा की खेती अपनाएं और अपने आर्थिक भविष्य को मजबूत बनाएं! click here

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