परिचय
मध्य प्रदेश के खंडवा और खरगोन जैसे जिलों में किसान खेती में नए बदलाव अपना रहे हैं, जिससे उनकी पैदावार और आमदनी में वृद्धि हो रही है। मिट्टी परीक्षण, आधुनिक सिंचाई प्रणाली, मिश्रित खेती और जैविक खेती जैसी तकनीकों को अपनाकर खेती अधिक लाभदायक बनाई जा सकती है। कृषि वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों की सलाह से किसान अपनी फसल का सही प्रबंधन कर सकते हैं और बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।
खेती के नए और लाभकारी तरीके
- जैविक और प्राकृतिक खेती: जैविक खेती में रासायनिक खादों और कीटनाशकों का उपयोग नहीं किया जाता, जिससे उत्पादन की गुणवत्ता में वृद्धि होती है।
- उन्नत बीज और सही बुवाई: उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का चयन और उचित समय पर बुवाई करने से फसल उत्पादन में बढ़ोतरी होती है।
- मिश्रित खेती और फसल चक्र: मिश्रित खेती से मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है और फसल उत्पादन में विविधता आती है।
- मिट्टी परीक्षण: खेत की मिट्टी का परीक्षण कर सही उर्वरकों का प्रयोग करने से पैदावार अधिक होती है।
- आधुनिक सिंचाई प्रणाली: ड्रिप और स्प्रिंकलर जैसी सिंचाई विधियों से पानी की बचत होती है और फसलों को उचित नमी मिलती है।
- सरकारी योजनाओं और ट्रेनिंग का लाभ: कई सरकारी योजनाएं किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों की मुफ्त ट्रेनिंग देती हैं, जिससे वे नई विधियों को आसानी से अपना सकते हैं।
खरगोन में मूंग की खेती का लाभ
खरगोन जिले में मूंग की खेती किसानों के लिए एक फायदेमंद विकल्प बन चुकी है। गर्मी के मौसम में खाली पड़े खेतों में मूंग की खेती करने से अतिरिक्त आय अर्जित की जा सकती है। मूंग की कुछ खास किस्में, जैसे कि:
- IPM 410-3 (शिखा) – 75-80 दिनों में तैयार होती है।
- IPM 205-7 (विराट) – कम पानी में भी अच्छा उत्पादन देती है।
- MH 421 – जल्दी पकने वाली और अधिक उपज देने वाली किस्म।
मिट्टी परीक्षण और जैविक खेती का महत्व
मिट्टी परीक्षण किसानों के लिए बहुत जरूरी है क्योंकि इससे मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों की जानकारी मिलती है। जैविक खाद और हरी खाद का उपयोग करने से मिट्टी की गुणवत्ता बनी रहती है और रासायनिक खादों पर निर्भरता कम होती है।
बिना रासायनिक खाद के लाखों की कमाई
मध्य प्रदेश के कई किसान बिना रासायनिक खाद के जैविक तरीके से खेती कर लाखों की कमाई कर रहे हैं। जैविक विधियों से खेती करने पर फसल की गुणवत्ता बेहतर होती है और उत्पादों की बाजार में मांग अधिक होती है।
खेती में आधुनिक तकनीक अपनाने से लाभ
- संरक्षित खेती: ग्रीनहाउस और पॉलीहाउस जैसी तकनीकों का उपयोग कर फसलों की गुणवत्ता और उत्पादन बढ़ाया जा सकता है।
- सटीक कृषि (प्रिसीजन फार्मिंग): ड्रोन और सेंसर तकनीक का उपयोग कर किसानों को उनकी फसल की स्थिति की सटीक जानकारी मिलती है।
- फसल बीमा और सरकारी सहायता: प्राकृतिक आपदाओं से बचाव के लिए सरकार द्वारा दी जाने वाली बीमा योजनाओं का लाभ उठाया जा सकता है।
