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Mansoon > Blog > Blog > डॉ. राजबीर सिंह की आईसीएआर में उप महानिदेशक के रूप में नियुक्ति: कृषि क्षेत्र को मिलेगी नई दिशा
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डॉ. राजबीर सिंह की आईसीएआर में उप महानिदेशक के रूप में नियुक्ति: कृषि क्षेत्र को मिलेगी नई दिशा

mansoon.info
Last updated: 2025/02/25 at 9:58 PM
By mansoon.info

भारतीय कृषि अनुसंधान और विस्तार क्षेत्र में डॉ. राजबीर सिंह की नियुक्ति एक महत्वपूर्ण कदम है। उनके अनुभव और वैज्ञानिक ज्ञान से भारत में जलवायु-स्मार्ट और टिकाऊ कृषि को बढ़ावा मिलेगा। आईसीएआर में उनकी नई भूमिका किसानों, वैज्ञानिकों और नेताओं के लिए एक प्रभावशाली नेतृत्व साबित होगी।

Contents
आईसीएआर में नई भूमिका:डॉ. राजबीर सिंह का करियर और उपलब्धियां:महत्वपूर्ण पुरस्कार और सम्मान:अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय योगदान:शोध रुचियां और विशेषज्ञता:Conclusion:

आईसीएआर में नई भूमिका:

डॉ. राजबीर सिंह को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) में कृषि विस्तार उप महानिदेशक के रूप में नियुक्त किया गया है। इससे पहले, वे आईसीएआर के केएबी-II, नई दिल्ली में प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन (NRM) डिवीजन में कृषि विज्ञान, कृषि वानिकी और जलवायु परिवर्तन में अपने सफल कार्यकाल के कारण पहचान बना चुके हैं। उनके नेतृत्व में आईसीएआर के कार्यों में स्थिरता, जलवायु अनुकूलन और किसानों के लाभ में वृद्धि को प्राथमिकता दी जाएगी।

डॉ. राजबीर सिंह का करियर और उपलब्धियां:

डॉ. राजबीर सिंह का करियर कृषि अनुसंधान और विस्तार क्षेत्र में 30 वर्षों से भी अधिक का है। इस दौरान उन्होंने विभिन्न महत्वपूर्ण संस्थानों में काम किया और कृषि क्षेत्र के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी कार्यशैली और दृष्टिकोण ने कृषि प्रौद्योगिकी और जलवायु परिवर्तन जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर महत्वपूर्ण सुधार किए हैं।

उनकी प्रमुख भूमिकाएँ निम्नलिखित हैं:

  • 1995-2004: सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट हार्वेस्ट इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, अबोहर में वैज्ञानिक और वरिष्ठ वैज्ञानिक के रूप में काम किया।
  • 2008-2012: भारतीय जल प्रबंधन संस्थान, भुवनेश्वर में प्रधान वैज्ञानिक के रूप में कार्यरत रहे।
  • 2015-2023: आईसीएआर के कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, लुधियाना में निदेशक के रूप में कार्य किया।
  • आईसीएआर के एनआरएम डिवीजन, नई दिल्ली में प्रधान वैज्ञानिक के रूप में भी योगदान दिया।

इन कार्यों के माध्यम से उन्होंने कृषि तकनीकों और नीतियों के विकास में अहम भूमिका निभाई।

महत्वपूर्ण पुरस्कार और सम्मान:

डॉ. सिंह को कृषि विज्ञान और अनुसंधान के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार न केवल उनके कार्य के महत्व को प्रमाणित करते हैं, बल्कि उनके दृष्टिकोण और समर्पण को भी दर्शाते हैं। प्रमुख पुरस्कार और सम्मान इस प्रकार हैं:

  • 2022: रफी अहमद किदवई पुरस्कार (कृषि विज्ञान में उत्कृष्ट अनुसंधान के लिए)
  • 2019: नानाजी देशमुख आईसीएआर पुरस्कार (उत्कृष्ट अंतःविषय टीम अनुसंधान के लिए)
  • 2016: स्वामी सहजानंद सरस्वती उत्कृष्ट विस्तार वैज्ञानिक पुरस्कार

इसके अलावा, पंजाब के मुख्यमंत्री ने भी उनके योगदान को सराहा, विशेष रूप से पराली प्रबंधन और कृषि विज्ञान केंद्रों (KVK) को सशक्त बनाने में उनके काम के लिए।

अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय योगदान:

डॉ. राजबीर सिंह का योगदान केवल राष्ट्रीय स्तर तक सीमित नहीं है, बल्कि उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 2023 में उन्होंने सीओपी-28 (दुबई, यूएई) में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा बनकर जलवायु परिवर्तन और जलवायु-स्मार्ट कृषि पर चर्चा की। इसके अलावा, उन्होंने यूएनएफसीसीसी के महत्वपूर्ण कार्यक्रमों में भी भाग लिया है। इसके अलावा, उन्होंने जलवायु-स्मार्ट कृषि, प्राकृतिक खेती और कृषि अनुकूलन रणनीतियों पर कई राष्ट्रीय समितियों में नेतृत्व किया है।

शोध रुचियां और विशेषज्ञता:

डॉ. राजबीर सिंह की शोध रुचियां भारत में स्थायी और टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देने से संबंधित हैं। उन्होंने कृषि प्रणालियों को बेहतर बनाने के लिए कई शोध कार्य किए हैं। उनकी शोध विशेषताओं में निम्नलिखित प्रमुख पहलू शामिल हैं:

  • संरक्षित कृषि (Protected Agriculture): कृषि उत्पादों के संरक्षण के लिए उन्नत तकनीकों का विकास।
  • जलवायु-स्मार्ट कृषि (Climate-Smart Agriculture): जलवायु परिवर्तन के अनुकूल कृषि पद्धतियाँ।
  • परिशुद्ध खेती (Precision Farming): कृषि प्रक्रियाओं को अधिक सटीक बनाने के लिए नई तकनीकें।
  • कृषि प्रणालियां (Farming Systems): विभिन्न कृषि प्रणालियों के प्रभावी संचालन और सुधार के उपाय।
  • प्राकृतिक खेती (Natural Farming): पारंपरिक और पर्यावरण-अनुकूल खेती पद्धतियाँ।

उनकी शोध का उद्देश्य कृषि को अधिक टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल बनाना है, ताकि किसानों को लाभ हो सके और पर्यावरण पर कम दबाव पड़े।

Conclusion:

डॉ. राजबीर सिंह की आईसीएआर में उप महानिदेशक के रूप में नियुक्ति भारतीय कृषि क्षेत्र में एक नई दिशा और दृष्टिकोण लेकर आएगी। उनके अनुभव, नेतृत्व क्षमता और कृषि क्षेत्र में योगदान से यह उम्मीद की जा सकती है कि भारत में जलवायु-स्मार्ट और टिकाऊ कृषि को बढ़ावा मिलेगा, जो कि भविष्य में किसानों और पूरे देश के लिए लाभकारी साबित होगा। उनके दृष्टिकोण और कार्यों से आईसीएआर को एक नई ऊँचाई मिलेगी और भारतीय कृषि क्षेत्र में समृद्धि की ओर एक नया कदम बढ़ेगा।

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