छपरा के प्रगतिशील किसान ने आत्मा सारण से प्रशिक्षण लेकर खेती में गढ़ी सफलता की नई कहानी
छपरा के किसान छोटेलाल शाह ने यह साबित कर दिया कि अगर सही मार्गदर्शन और मेहनत के साथ खेती की जाए, तो यह न केवल आत्मनिर्भरता की ओर ले जा सकती है, बल्कि अच्छी कमाई का भी जरिया बन सकती है। उन्होंने आत्मा सारण (ATMA Saran) से प्रशिक्षण लेकर 2014 में जैविक खेती की शुरुआत की। आज वे हाइब्रिड बैंगन और मशरूम उत्पादन के जरिए लाखों रुपये की कमाई कर रहे हैं। उनकी सफलता में उनकी पत्नी राधिका देवी का भी महत्वपूर्ण योगदान है, जो मशरूम उत्पादन में उनकी मदद कर रही हैं।
आइए जानते हैं कि छोटेलाल शाह ने जैविक खेती और आधुनिक तकनीकों को अपनाकर कैसे अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत किया।
कैसे मिली जैविक खेती की प्रेरणा?
छोटेलाल शाह पारंपरिक खेती से जुड़े थे, लेकिन कम पैदावार और लागत अधिक होने के कारण उन्हें विशेष लाभ नहीं मिल पा रहा था। इसी दौरान उन्होंने आत्मा सारण (ATMA Saran) से जैविक खेती का प्रशिक्षण लिया और सीखा कि कैसे रासायनिक खादों के बजाय प्राकृतिक खाद और जैविक तकनीकों से अधिक उपज ली जा सकती है।
जैविक खेती अपनाने के प्रमुख कारण:
1 रासायनिक खादों और कीटनाशकों से बचाव – इससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है।
2 कम लागत, अधिक मुनाफा – जैविक खेती में कम लागत लगती है और उत्पादन अच्छा होता है।
3 बढ़ती मांग और उच्च मूल्य – जैविक उत्पादों की बाजार में अधिक मांग रहती है, जिससे किसानों को अच्छे दाम मिलते हैं।
हाइब्रिड बैंगन की खेती से बढ़ी आमदनी
छोटेलाल शाह ने जैविक खेती के साथ-साथ हाइब्रिड बैंगन की खेती शुरू की। हाइब्रिड बैंगन अधिक पैदावार देता है और बाजार में इसकी अच्छी कीमत मिलती है।
हाइब्रिड बैंगन की खेती की विशेषताएं:
- हाइब्रिड बैंगन का उत्पादन पारंपरिक बैंगन से दो से तीन गुना अधिक होता है।
- रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होने के कारण फसल सुरक्षित रहती है।
- जैविक तरीके से उगाने पर बाजार में आम बैंगन की तुलना में 20-30% अधिक कीमत मिलती है।
- प्रति एकड़ फसल से किसान 1.5 से 2 लाख रुपये तक की कमाई कर सकते हैं।
छोटेलाल शाह की मेहनत रंग लाई और आज वे बैंगन की खेती से हर सीजन में अच्छा लाभ कमा रहे हैं।
मशरूम उत्पादन से हुई अतिरिक्त आय
छोटेलाल शाह की पत्नी राधिका देवी ने मशरूम उत्पादन में रुचि दिखाई और अपने पति की मदद करने लगीं। आज वे घर पर ही मशरूम उत्पादन कर रही हैं और इससे अच्छी कमाई कर रही हैं।
मशरूम उत्पादन की खास बातें:
- मशरूम की खेती के लिए बहुत अधिक जगह की जरूरत नहीं होती।
- बाजार में ताजा और प्रोसेस्ड मशरूम की मांग तेजी से बढ़ रही है।
- मशरूम उत्पादन में लागत कम आती है और मुनाफा अधिक होता है।
- मशरूम का उपयोग पाउडर, सूप और अन्य उत्पादों में किया जाता है, जिससे इसकी बाजार में अच्छी कीमत मिलती है।
राधिका देवी के इस योगदान से परिवार की कुल आय में 30-40% की वृद्धि हुई है।
खेती में नवाचार: आधुनिक तकनीकों का उपयोग
छोटेलाल शाह केवल पारंपरिक तरीकों से खेती नहीं करते, बल्कि उन्होंने आधुनिक कृषि तकनीकों को भी अपनाया है।
1. मल्चिंग तकनीक:
- इस तकनीक से मिट्टी की नमी बनी रहती है और फसल तेजी से बढ़ती है।
- खरपतवार की समस्या कम होती है, जिससे लागत कम आती है।
2. ड्रिप इरिगेशन सिस्टम:
- पानी की बर्बादी को रोकने के लिए ड्रिप सिंचाई अपनाई गई।
- इससे पानी का 50% तक की बचत होती है और फसल को जरूरत के अनुसार नमी मिलती है।
3. जैविक खाद और कीटनाशकों का उपयोग:
- वर्मी कम्पोस्ट, गोबर खाद और नीम तेल जैसे प्राकृतिक उत्पादों का उपयोग किया जाता है।
- इससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है और फसल रसायनों के बिना सुरक्षित रहती है।
बाजार और बिक्री रणनीति: सीधा ग्राहकों तक पहुंच
छोटेलाल शाह ने पारंपरिक मंडी सिस्टम से हटकर सीधे ग्राहकों को जैविक सब्जियां बेचने का निर्णय लिया।
बिक्री के प्रमुख तरीके:
- स्थानीय मंडियों में जैविक उत्पादों की ब्रांडिंग करके बेचना।
- होटल और रेस्टोरेंट से टाई-अप करना, जहां जैविक उत्पादों की अधिक मांग रहती है।
- ऑनलाइन प्लेटफॉर्म (WhatsApp, Facebook, Instagram) के जरिए सीधा उपभोक्ताओं तक पहुंचना।
उनकी इस रणनीति से बिचौलियों का खर्च बचता है और उन्हें सीधा लाभ मिलता है।
कम लागत में ज्यादा मुनाफे का मॉडल – किसानों के लिए प्रेरणा
छोटेलाल शाह और उनकी पत्नी की मेहनत का ही नतीजा है कि वे आज जैविक खेती और हाइब्रिड बैंगन की खेती से लाखों की कमाई कर रहे हैं।
सफलता की कुंजी:
1 जैविक खेती और प्राकृतिक खादों का उपयोग।
2 हाइब्रिड बैंगन और मशरूम उत्पादन से अतिरिक्त आय।
3 आधुनिक कृषि तकनीकों (मल्चिंग, ड्रिप सिंचाई) का उपयोग।
4 सीधा ग्राहकों तक उत्पाद पहुंचाकर अधिक मुनाफा।
छोटेलाल शाह की यह कहानी देशभर के किसानों के लिए प्रेरणा है कि अगर सही तकनीक और मेहनत से खेती की जाए, तो यह एक फायदेमंद व्यवसाय बन सकता है।
निष्कर्ष – छोटे किसान भी बन सकते हैं सफल उद्यमी!
छपरा के छोटेलाल शाह ने 2014 में आत्मा सारण से प्रशिक्षण लेकर जैविक खेती की शुरुआत की और अपनी मेहनत, आधुनिक तकनीकों और सही बाजार रणनीति से खुद को एक सफल किसान के रूप में स्थापित किया।
आज वे हाइब्रिड बैंगन की खेती और मशरूम उत्पादन से सालाना लाखों रुपये की कमाई कर रहे हैं। उनकी कहानी यह साबित करती है कि अगर किसान पारंपरिक तरीकों से हटकर नवाचार और आधुनिक तकनीकों को अपनाएं, तो खेती से बेहतरीन मुनाफा कमाया जा सकता है।
