मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले के खकनार क्षेत्र में इस समय एक गंभीर संकट छाया हुआ है, जहां लगभग 1000 एकड़ क्षेत्र में तरबूज की खेती होती है। इस क्षेत्र की तरबूज की खास मिठास और गुणवत्ता के कारण यह न केवल देशभर में बल्कि विदेशों में भी एक प्रसिद्ध नाम बन चुका है। हर साल यहां से बड़े पैमाने पर तरबूज का निर्यात किया जाता था, लेकिन इस बार स्थिति कुछ अलग है। किसानों के लिए खुशियों का प्रतीक मानी जाने वाली यह फसल अब उनकी चिंता और आंसुओं का कारण बन चुकी है। इस बार वायरस के हमले से तरबूज की फसल बुरी तरह से प्रभावित हो गई है, जिससे किसानों को लाखों रुपए का नुकसान हो गया है।
वायरस के हमले से फसल में आयी तबाही
यहां की तरबूज की खेती कई सालों से किसानों की मुख्य आय का जरिया रही है, लेकिन इस बार मौसम ने उन्हें धोखा दे दिया। खकनार क्षेत्र में लगी करीब 1000 एकड़ की तरबूज की फसल पर वायरस का हमला हो गया है, जिसके कारण पूरी फसल में तेजी से बीमारी फैल गई और कई क्षेत्रों में तरबूज की फसल सड़ने लगी है। इस वायरस के कारण तरबूजों का आकार छोटा हो गया, उनमें रंग और स्वाद की कमी आई और आखिरकार यह पूरी फसल बर्बाद हो गई। किसानों का कहना है कि इस वायरस ने न सिर्फ फसल की गुणवत्ता को प्रभावित किया, बल्कि इसके कारण व्यापार और बाजार भी बुरी तरह से प्रभावित हो सकते हैं।
किसानों की परेशानियां और मुआवजे की मांग
किसानों के लिए यह स्थिति बेहद कठिन हो गई है। उनके पास अब न तो अपनी फसल बेचने का कोई रास्ता बचा है और न ही उन्हें किसी प्रकार का सरकारी सहारा मिल रहा है। इस विपत्ति से निपटने के लिए किसानों ने जिला प्रशासन से तत्काल फसल सर्वे और मुआवजे की मांग की है ताकि वे जल्द से जल्द अपनी बर्बाद फसल की भरपाई कर सकें और अगली फसल की बुवाई कर सकें। हालांकि, अभी तक प्रशासन से कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है, जिससे किसानों में नाराजगी और असंतोष की स्थिति बढ़ती जा रही है।
खेतों में विरोध प्रदर्शन और फसल उखाड़ने का निर्णय
जब प्रशासन से कोई मदद नहीं मिली, तो किसानों ने अपनी दुखभरी स्थिति को सार्वजनिक करने और दबाव बनाने के लिए एक कदम और बढ़ाया। उन्होंने खेतों में खुद अपनी बर्बाद हो चुकी फसल को उखाड़कर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। किसानों का कहना है कि वे अब अपने बच्चों और परिवार का भरण-पोषण नहीं कर सकते और उनके पास इस संकट से उबरने का कोई रास्ता नहीं बचा है। उनका कहना है कि अगर सरकार समय रहते मुआवजा और सहायता नहीं देती, तो वे और भी ज्यादा मुश्किलों का सामना करने के लिए मजबूर हो जाएंगे।
किसान किशोर वासनकर का दर्द
लोकल 18 की टीम ने खकनार क्षेत्र के एक किसान किशोर वासनकर से भी बातचीत की, जिन्होंने बताया कि खकनार क्षेत्र में 1000 एकड़ से अधिक क्षेत्र में तरबूज की खेती की जाती है। इस बार वायरस के कारण इस क्षेत्र के 200 से अधिक किसान बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। उन्होंने बताया कि तरबूज की यह फसल बहुत ही खास मानी जाती है, क्योंकि यह खास मौसम और मिट्टी में उगती है, लेकिन इस बार पूरी फसल पर वायरस का हमला हो गया है और इससे किसानों का भारी नुकसान हुआ है।
व्यापार और बाजार पर संकट
बुरहानपुर का तरबूज सिर्फ स्थानीय बाजार में ही नहीं, बल्कि विदेशों तक जाता है। यह न केवल किसानों के लिए आय का प्रमुख साधन है, बल्कि इससे जुड़े व्यापारियों, परिवहन उद्योग, और अन्य सेवाओं को भी जबर्दस्त धक्का लग सकता है। अब तक बुरहानपुर से देश-विदेश में तरबूज की जो सप्लाई हो रही थी, उसमें भी कमी आ सकती है। किसान डर रहे हैं कि इस बार का संकट केवल उनके लिए नहीं, बल्कि पूरी आर्थिक श्रृंखला के लिए एक बड़ी समस्या बन सकता है।
क्या होगा बुरहानपुर के तरबूज का भविष्य?
बुरहानपुर के किसानों के लिए इस बार का संकट बहुत बड़ी चुनौती बन चुका है। उनका कहना है कि अगर प्रशासन समय रहते कोई ठोस कदम नहीं उठाता है, तो वे अगली फसल की बुवाई में भी असमर्थ हो सकते हैं। इस समय किसानों को दोहरी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है – एक तो फसल की बर्बादी और दूसरा, आगामी समय में कृषि गतिविधियों को फिर से पटरी पर लाना। अब यह देखना यह होगा कि प्रशासन इस संकट के समय में किसानों के लिए क्या कदम उठाता है और वे अपने हक के लिए आगे बढ़ने में सफल होते हैं या नहीं।
किसान संघर्ष और उम्मीदों का दौर
किसानों का संघर्ष केवल उनकी फसल के लिए नहीं है, बल्कि यह उनके अस्तित्व की लड़ाई है। उन्हें इस संकट से उबरने के लिए सहायता की जरूरत है, ताकि वे फिर से अपनी मेहनत से खेती कर सकें और अपने परिवार का भरण-पोषण कर सकें। जब तक यह मुद्दा सुलझता नहीं है, तब तक किसानों का संघर्ष जारी रहेगा।
संभावनाएं और समाधान
किसानों को इस संकट से उबरने के लिए पहले तो सरकार को तुरंत एक्शन लेना होगा। फसल सर्वे और मुआवजा देने के साथ-साथ किसानों को नई तकनीकों और वायरस से निपटने के उपायों के बारे में जानकारी देना भी जरूरी है। इसके अलावा, बुरहानपुर की तरबूज की खेती को एक नई दिशा देने के लिए शोध कार्यों और विशेष कृषि योजनाओं का भी समर्थन किया जा सकता है। अगर प्रशासन और सरकार समय रहते इस मुद्दे पर ध्यान देती है, तो बुरहानपुर के किसानों के लिए एक उज्जवल भविष्य की संभावना बनी रह सकती है।
