भारत में खेती को लाभकारी बनाने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार लगातार नई योजनाएं ला रही है। इसी दिशा में सरकार ने मल्चिंग तकनीक को अपनाने पर 50% तक का अनुदान देने की घोषणा की है। इस योजना का उद्देश्य किसानों को खरपतवार नियंत्रण, नमी संरक्षण और मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने में मदद करना है, जिससे उनकी फसल की पैदावार में बढ़ोतरी हो सके।
मल्चिंग तकनीक एक ऐसी विधि है, जिसमें मिट्टी की सतह को किसी जैविक या अजैविक सामग्री से ढका जाता है, जिससे फसल को अनुकूल वातावरण मिलता है और उत्पादन लागत कम हो जाती है।
आइए, विस्तार से जानते हैं कि मल्चिंग तकनीक क्या है, इसके क्या फायदे हैं और किसान इस पर मिलने वाले अनुदान का लाभ कैसे उठा सकते हैं।
1. मल्चिंग तकनीक क्या है?
मल्चिंग तकनीक में खेत की मिट्टी को किसी विशेष सामग्री से ढका जाता है, जिससे उसमें नमी बनी रहती है और खरपतवार कम होते हैं।
मल्चिंग के प्रकार:
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जैविक मल्चिंग (Organic Mulching):
- इसमें पत्तियां, घास, भूसा, लकड़ी की बुराद, नारियल के छिलके आदि का उपयोग किया जाता है।
- यह मिट्टी में धीरे-धीरे मिलकर उसकी उर्वरता बढ़ाता है।
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अजैविक मल्चिंग (Inorganic Mulching):
- इसमें प्लास्टिक शीट, पॉलीथीन, रबर, कागज आदि का उपयोग किया जाता है।
- यह नमी को अधिक समय तक बनाए रखता है और खरपतवार को बढ़ने से रोकता है।
सरकार द्वारा दिए जाने वाले अनुदान में मुख्य रूप से प्लास्टिक मल्चिंग शीट पर सब्सिडी दी जा रही है, जिससे फसलों को अधिक सुरक्षा और किसानों को अधिक लाभ मिल सके।
2. मल्चिंग तकनीक के फायदे
सरकार मल्चिंग को बढ़ावा इसलिए दे रही है क्योंकि इसके कई फायदे हैं, जो किसानों की आय को दोगुना करने में मदद कर सकते हैं।
(1) फसल उत्पादन में वृद्धि
- मिट्टी की नमी बनी रहने से फसल को पर्याप्त पानी मिलता है, जिससे पैदावार बढ़ती है।
- खरपतवार नष्ट होने से फसल को अधिक पोषक तत्व मिलते हैं, जिससे उसकी गुणवत्ता भी बढ़ती है।
(2) जल संरक्षण और कम सिंचाई लागत
- मल्चिंग से मिट्टी में नमी लंबे समय तक बनी रहती है, जिससे पानी की बचत होती है।
- खासकर उन क्षेत्रों में जहां पानी की समस्या है, यह तकनीक बहुत फायदेमंद साबित हो सकती है।
(3) खाद और उर्वरकों की कम आवश्यकता
- जैविक मल्चिंग मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखती है, जिससे उर्वरकों की आवश्यकता कम पड़ती है।
- इससे किसानों की खेती पर होने वाला खर्च घटता है।
(4) खरपतवार और कीटों पर नियंत्रण
- प्लास्टिक मल्चिंग से खरपतवार उगने की संभावना बहुत कम हो जाती है, जिससे किसानों को बार-बार निराई-गुड़ाई करने की जरूरत नहीं पड़ती।
- यह फसलों को कीटों और रोगों से बचाने में भी मदद करता है।
(5) मिट्टी के कटाव को रोकता है
- मल्चिंग से खेतों की मिट्टी कटने से बचती है और उसका उपजाऊपन बना रहता है।
3. सरकार द्वारा दी जा रही सहायता और अनुदान
सरकार किसानों को मल्चिंग तकनीक अपनाने पर 50% तक की सब्सिडी दे रही है।
योजना के अंतर्गत मिलने वाले लाभ:
- प्लास्टिक मल्चिंग शीट की खरीद पर 50% अनुदान।
- छोटे और सीमांत किसानों के लिए विशेष अनुदान योजनाएं।
- ड्रिप इरिगेशन और मल्चिंग तकनीक के संयुक्त उपयोग पर अतिरिक्त सब्सिडी।
- प्राकृतिक और जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए विशेष सहायता।
4. कौन-कौन इस योजना का लाभ उठा सकता है?
- सभी प्रकार के किसान (छोटे, मध्यम और बड़े किसान)।
- वे किसान जो सब्जियों, फूलों, औषधीय पौधों, फलों और जैविक खेती में मल्चिंग तकनीक का उपयोग करना चाहते हैं।
- वे किसान जो कम पानी वाले क्षेत्रों में खेती कर रहे हैं और जल संरक्षण की आवश्यकता महसूस कर रहे हैं।
5. योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन कैसे करें?
जो किसान इस योजना का लाभ उठाना चाहते हैं, वे नीचे दिए गए तरीकों से आवेदन कर सकते हैं:
ऑनलाइन आवेदन:
- किसान राज्य सरकार की कृषि विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।
- आवेदन करने के लिए आधार कार्ड, भूमि रिकॉर्ड और बैंक खाता विवरण जमा करना होगा।
ऑफलाइन आवेदन:
- किसान अपने नजदीकी कृषि विभाग कार्यालय में जाकर आवेदन कर सकते हैं।
- कृषि अधिकारी किसानों को इस योजना के बारे में पूरी जानकारी देंगे और उनके आवेदन की प्रक्रिया में मदद करेंगे।
कृषि मेलों और जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से आवेदन:
- सरकार समय-समय पर किसान मेलों और प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन करती है, जहां किसान योजना से जुड़ी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और आवेदन कर सकते हैं।
6. किन फसलों के लिए मल्चिंग तकनीक अधिक फायदेमंद है?
- सब्जियां – टमाटर, मिर्च, शिमला मिर्च, बैंगन, प्याज, गोभी
- फूलों की खेती – गुलाब, गेंदा, रजनीगंधा
- फलों की खेती – केला, तरबूज, खरबूजा, पपीता, अंगूर
- औषधीय पौधे – तुलसी, एलोवेरा, अश्वगंधा
निष्कर्ष
मल्चिंग तकनीक अपनाकर किसान अपनी फसल उत्पादन को बढ़ा सकते हैं, लागत को कम कर सकते हैं और अपनी आय में बढ़ोतरी कर सकते हैं।
हरियाणा सरकार द्वारा दी जा रही 50% अनुदान योजना किसानों के लिए एक बड़ा अवसर है, जिससे वे आधुनिक खेती को अपनाकर अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
अगर आप किसान हैं, तो इस योजना का पूरा लाभ उठाएं और खेती को उन्नत और अधिक फायदेमंद बनाएं!
