भारतीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है, जो रोजगार, आय और जीवन यापन का प्रमुख साधन है. कृषि देश के विभिन्न उद्योगों का आधार है, खाद्यान्न और चारे की आपूर्ति करती है और परिवहन व्यवस्था को प्रभावित करती है. कृषि उत्पादन का विदेशी व्यापार में महत्वपूर्ण योगदान है, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रगति और समृद्धि होती है.
कृषि भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था की बुनियाद है। भारतीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था में कृषि हमेशा से सर्वोच्च स्थान पर रही है। ग्रामीण उद्योग धंधे, जो प्रधान व्यवसाय है, ग्रामीणों का आय का सबसे बड़ा स्रोत है और रोजगार और जीवन यापन का प्रमुख साधन है। संक्षेप में, भारतीय अर्थव्यवस्था का पुनर्जागरण और विकास कृषि पर निर्भर है।
भारत गाँवों से बना है। कृषि देश की करीब 70% जनसंख्या का जीवन शैली है। यहां की पूरी ग्रामीण अर्थव्यवस्था कृषि पर निर्भर है।
भारतीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था में कृषि के महत्व
1) रोजगार या जीवन निर्वाह का साधन :
कृषि ग्रामीण समाज का जीवन है। यहां के लोगों का मुख्य काम कृषि है। यहां की जनसंख्या खेती पर निर्भर है। इसके अलावा, बहुत से लोग कृषि उत्पादों के व्यापार, परिवहन, आदि में काम करके अपना जीवन चलाते हैं। इस प्रकार, देश की लगभग 59% जनसंख्या प्रत्यक्ष रूप से कृषि व्यवसाय में शामिल है।
2) आय का प्रमुख स्रोत :
कृषि ग्रामीणों की आय का मुख्य स्रोत और उनकी आजीविका का मुख्य साधन है। ग्रामीणों की आय और रहन-सहन कृषि उत्पादकता और गुणवत्ता से प्रभावित होते हैं। कृषि में उच्च उत्पादकता कृषि आय और जीवन स्तर को बढ़ाती है, जबकि कम उत्पादकता कृषि आय और जीवन स्तर को कम करती है।
3) आर्थिक गतिविधियों की प्रमुख निर्धारक :
कृषि क्षेत्र की गतिविधियां मुख्य रूप से ग्रामीणों की रोजगार और अन्य आर्थिक तत्वों पर प्रभाव डालती हैं। कृषि ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था की गतिशीलता, निष्प्रवाहता, प्रगति और प्रतिगति को निर्धारित करती है। स्पष्ट है कि कृषि की प्रगति ही ग्रामीण भारत की प्रगति पर निर्भर है।
4) खाद्यान्न व चारे की आपूर्ति :
कृषि का सबसे बड़ा योगदान ग्रामीण भारत में देश की बड़ी जनसंख्या को पर्याप्त भोजन उपलब्ध कराना है। कृषि भी देश के लगभग 43,15 करोड़ पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था करती है। इसलिए कृषि मानव और पशु दोनों के जीवन का आधार है।
5) उद्योगों का आधार :
देश की बहुत सी छोटी और बड़ी कंपनियां कृषि से आती हैं। पटसन, चीनी, वस्त्र, तेल आदि महत्वपूर्ण उद्योग कृषि पर निर्भर हैं। कृषि भी कई कुटीर उद्योगों (जैसे तेल पेरना, धान कूटना) का कच्चा माल है। कृषि व्यापार केवल पशुपालन, चमड़ा और खाद्य उद्योग पर निर्भर है। कृषि व्यवसाय भी उर्वरक और कृषि यंत्र बनाने वाले उद्योगों पर निर्भर करता है। इसलिए: देश की औद्योगिक विकास दर को बढ़ाना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
6) परिवहन के साधनों की आय का स्रोत :
देश में कृषि उत्पादन में व्यापक अंतर है। रेल, मोटर आदि परिवहन साधनों की आय का एक बड़ा हिस्सा कृषि उत्पादों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने से प्राप्त होता है, जो इन प्रादेशिक अंतरों से जुड़ा हुआ है। इस तरह देश का परिवहन प्रणाली कृषि पर भी असर डालता है।
7) सामान्य मूल्य स्तर पर प्रभाव :
हमारे देश में खाद्यान्न की मांग आय से अधिक है। ग्रामीणों का खाद्यान्न उपभोग भी कम है क्योंकि उनकी आय कम है। खाद्यान्न उत्पादन में गिरावट से कृषि मूल्य में भी गिरावट आती है, जो सामान्य मूल्य स्तर पर बुरा प्रभाव डालता है। इसलिए कृषि उत्पादन और कृषि मूल्य गहरे संबंध में हैं।
8) विदेशी व्यापार में महत्व :
भारत की कृषि विदेशी व्यापार में महत्वपूर्ण योगदान देती है। हम विदेशों में चाय, काफी, तंबाकू, मसाले आदि निर्यात करते हैं और बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा प्राप्त करते हैं। कृषि और कृषि से संबंधित उत्पादों का लगभग 24% देश के कुल उत्पादन निर्यात का हिस्सा है। कुल मिलाकर, कृषि ग्रामीण संपन्नता और भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रगति का प्रतीक है। कृषि की संपत्ति देश की संपत्ति को प्रतिबिंबित करती है।
