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Mansoon > Blog > Blog > आम और लीची के स्वस्थ उत्पादन के लिए कीटों, रोगों और पोषण प्रबंधन के उपाय
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आम और लीची के स्वस्थ उत्पादन के लिए कीटों, रोगों और पोषण प्रबंधन के उपाय

mansoon.info
Last updated: 2025/02/05 at 9:35 AM
By mansoon.info

आम और लीची के बेहतर उत्पादन के लिए कीट प्रबंधन और रोग नियंत्रण की रणनीतियाँ

आम लीची और लीची के अच्छे उत्पादन के लिए कीटों और रोगों को नियंत्रित करना, मधुमक्खियों को बचाना, समय पर पोषण और सिंचाई का सही प्रबंधन करना अत्यंत आवश्यक है। यह सुनिश्चित करता है कि परागण अच्छे से हो और अधिक फल लगें। इसके लिए फूलों के खिलने के समय कीटनाशकों का उपयोग बिल्कुल नहीं करना चाहिए। अगर यह सही समय पर किया जाता है, तो उत्पादन अधिक और गुणवत्ता में भी वृद्धि होती है।

Contents
आम और लीची के बेहतर उत्पादन के लिए कीट प्रबंधन और रोग नियंत्रण की रणनीतियाँकीट प्रबंधन:यदि मिलीबग पहले ही पेड़ पर चढ़ चुका हो, तो क्या करें?रोग प्रबंधन:सामान्य देखभाल और पोषण प्रबंधन:

Mango Litchi पशु नियंत्रण: लीची और बिहार में मंजर (फूल) आमतौर पर फरवरी के दूसरे सप्ताह से आना शुरू होता है। फूल आने की यह प्रक्रिया लीची की प्रजाति और तापमान पर निर्भर करती है। बिहार में जनवरी के अंत तक तापमान लगभग 10 डिग्री सेल्सियस तक गिर सकता है, जिससे मंजर आने में समय लग सकता है। आम के लिए वर्तमान वर्ष “ऑन ईयर” है, यानी उच्च उत्पादन की संभावना है। आमतौर पर एक वर्ष अधिक उत्पादन होता है, जबकि अगले वर्ष कम उत्पादन होने की संभावना रहती है, जिसे “ऑफ ईयर” कहा जाता है। इस लेख में आम और लीची उत्पादकों के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए हैं ताकि वे अपने बागों की उचित देखभाल कर सकें और अच्छे परिणाम प्राप्त कर सकें।

 

कीट प्रबंधन:

1) मिलीबग (गुजिया कीट) का प्रबंधन: बिहार में मिलीबग की समस्या हर साल बढ़ रही है। इस कीट से निपटने के लिए दिसंबर-जनवरी के दौरान निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए:

• बाग को अच्छी तरह से साफ करके, हर पेड़ के पास 250 ग्राम क्लोरपायरीफास 5 डी धूल डालें।

• इसके अलावा, कीट को पेड़ पर चढ़ने से रोकने के लिए 45 सेमी चौड़ी एल्काथीन की पट्टी मुख्य तने के चारों ओर सुतली से बांधें।

 

यदि मिलीबग पहले ही पेड़ पर चढ़ चुका हो, तो क्या करें?

इस स्थिति में 30 ईसी या 25 ईसी क्विनाल्फोस को 1.5 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। यह कीट के नियंत्रण में मदद करेगा।

2) मधुमक्खियों और परागण का महत्व: • अगर मंजर आ चुका है और फूल खिलने लगे हैं, तो किसी भी प्रकार के कीटनाशकों का छिड़काव न करें, क्योंकि इससे सिरफिड मक्खियाँ और मधुमक्खियाँ मर सकती हैं, जो परागण में सहायक होती हैं।

• मधुमक्खियाँ बाग में हलचल करती हुई सुनाई देती हैं और वे परागण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होती हैं।

• लीची के बाग में प्रति हेक्टेयर 20-25 मधुमक्खी के बॉक्स रखने से बेहतर परागण होता है और इससे शहद का उत्पादन भी अधिक होता है।

• आम के बाग में मधुमक्खी के बॉक्स रखने से केवल परागण में वृद्धि होती है, लेकिन शहद उत्पादन के लिए यह उतना उपयोगी नहीं होता।

• यदि आप मधुमक्खियों को आकर्षित करना चाहते हैं तो किसी भी कीटनाशक का छिड़काव फूलों के खिलने से पहले या फल बनने के बाद ही करें।

 

रोग प्रबंधन:

1) ब्लॉसम ब्लाइट (फूलों के काले पड़ने की समस्या): अगर फूल काले पड़ने लगे हैं, तो एक ग्राम प्रति लीटर पानी में हेक्साकोनाजोल मिलाकर छिड़काव करें। यह उपाय रोग को नियंत्रित करने में सहायक होगा।

2) हापर (भुनगा) कीट प्रबंधन: • जब पेड़ों से घना छायादार वातावरण होता है, तो हापर कीट अधिक हो सकते हैं। • अगर प्रति बौर 10-12 भुनगा कीट दिखाई दें, तो इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस.एल. @ 1 मिली प्रति 2 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। • यह छिड़काव फूल खिलने से पहले या फल सेटिंग (Fruit Setting) समाप्त होने के बाद करें।

 

सामान्य देखभाल और पोषण प्रबंधन:

1) सिंचाई का महत्व: • फूल खिलते समय सिंचाई नहीं करनी चाहिए, क्योंकि इससे फूल झड़ सकते हैं।

• जब फल मटर के दाने के आकार के हो जाएं, तब सिंचाई शुरू करें और इसके बाद सुनिश्चित करें कि मिट्टी कभी भी पूरी तरह सूखी न हो। यदि मिट्टी पूरी तरह सूख जाती है तो टिकोलों (छोटे फलों) के गिरने की संभावना बढ़ जाती है।

2) पाउडरी मिल्ड्यू (खर्रा रोग) का नियंत्रण: • मंजर आने से पहले घुलनशील गंधक @ 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।

• अगर अब तक छिड़काव नहीं किया गया है, तो हेक्साकोनाजोल को 1 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

• जब तापमान 35°C से अधिक हो जाता है, तो इस रोग की तीव्रता अपने आप कम हो जाती है।

 

1) टिकोलों (छोटे फलों) को गिरने से बचाने के उपाय: • 1 मिली प्रति 3 लीटर पानी में प्लनोफिक्स मिलाकर छिड़काव करें। • फल बनने के बाद नियमित रूप से सिंचाई करें, ताकि मिट्टी में नमी बनी रहे और फल गिरने से बचें।

2) गुम्मा व्याधि से प्रभावित मंजर का प्रबंधन: • गुम्मा व्याधि से प्रभावित मंजर को तुरंत काटकर निकाल दें ताकि यह अन्य स्वस्थ भागों को नुकसान न पहुंचाए।

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