“कृषि शिक्षा दिवस” को समर्पित: कृषि शिक्षा युवा भविष्य के लिए आवश्यक
3 दिसंबर को कृषि शिक्षा दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया है, जिससे युवाओं को कृषि से जोड़ने और भारत में कृषि शिक्षा को आगे बढ़ाने का प्रयास किया जाएगा।
मुख्य उद्देश्य अधिक से अधिक युवाओं को कृषि शिक्षा देकर देश को कृषि क्षेत्र में समृद्ध बनाना है।
इन दिनों यह बदलाव तेज़ी से देखा जा सकता है, लेकिन कई ग्रामीण इलाकों में युवा कृषि की शिक्षा लेकर इसे रोज़गार का माध्यम बना रहे हैं।
फल, फूल, सब्ज़ी, डेयरी, मछली, मधुमक्खी, सुकर आदि खेती से जुड़े कई उद्यमों में युवाओं के बीज काफी लोकप्रिय हो रहे हैं।
कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR):
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) कृषि शिक्षा को बढ़ा रहा है।
देश के पहले कृषि मंत्री और राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद का जन्मदिन इस दिन मनाया जाता है।
केंद्र सरकार ने विश्व बैंक की सहायता और सहयोग से एक करोड़ रुपये की एक राष्ट्रीय कृषि शिक्षा परियोजना शुरू की है।
हमारे देश की युवा पीढ़ी को एक नई दिशा मिलेगी।
राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद:
हमारे देश के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद थे।
प्रसाद, एक अच्छे वकील और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए, और बिहार के क्षेत्र में एक प्रमुख नेता बन गए।
कृषि शिक्षा के लक्ष्य:
यह पिछड़े हुए राज्यों में युवाओं को कृषि शिक्षा के लिए प्रेरित करने के लिए केंद्रों की स्थापना करता है और कृषि पाठ्यक्रम को आधुनिक और आसान बनाता है, साथ ही गुणवत्ता सुनिश्चित करता है।
सरकार ने कृषि शिक्षा प्रणाली को बदलने और सुधारने के लिए कई योजनाएं बनाई हैं।
ताकि कृषि शिक्षा प्राप्त कर रहे विद्यार्थियों को सरकार द्वारा काम मिल सके।
यह प्रयास किया जाएगा कि छात्रों को खेती में दिलचस्पी दिलाने का प्रयास किया जाए, ताकि वे इस क्षेत्र में कुछ रुचि विकसित कर सकें और देश की कृषि में वृद्धि कर सकें।
महत्वपूर्ण विवरण:
इंडियन एग्रीकल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूट (आईएआरआई), पहले पूसा बिहार में, 1911 में इंपीरियल इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च के रूप में स्थापित हुआ था।
1991 में इसका नाम बदलकर इंपीरियल एग्रीकल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूट किया गया और 1936 में बड़े भूकंप के बाद वहां से दिल्ली ले जाया गया।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने कृषि शिक्षा में महत्वपूर्ण सुधार किए हैं:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों की आय को दोगुनी करने का लक्ष्य पूरा करने के लिए बहुत कुछ किया है।
सरकारी और गैर-सरकारी कंपनियां इस काम में लगी हुई हैं।
इस संदर्भ में, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने कृषि शिक्षा में कुछ महत्वपूर्ण सुधार किए हैं:
1) छात्रों को रोजगार दिलाने में मदद करने के लिए चार-वर्षीय स्नातक कृषि शिक्षा को प्रोफेशनल डिग्री का दर्जा।
2) मासिक 1000 रुपये से मासिक 2000 रुपये की राष्ट्रीय प्रतिभा छात्रवृति और स्नातकोत्तर विद्यार्थियों के लिए मासिक 3000 रुपये की नई राष्ट्रीय प्रतिभा छात्रवृति।
3) छात्रों के कौशल को विकसित करने के लिए किसानों से कृषि प्रौद्योगिकी सीखने का अवसर देने वाली एक स्कीम की शुरुआत।
4) बिहार का राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय केंद्रीय विश्वविद्यालय में बदल गया।
चार नए महाविद्यालय इसके तहत स्थापित किए जाएंगे।
5) देश में 75 कृषि विश्वविद्यालय हैं, जिनमें 64 राज्य-स्तरीय, 3 केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, 4 डिम्ड विश्वविद्यालय और 4 केन्द्रीय विश्वविद्यालय शामिल हैं।
6) भारत सरकार और विश्व बैंक द्वारा संचालित राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा कार्यक्रम।
