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Mansoon > Blog > Blog > बदलते मौसम और रबी फसलों पर संकट: बिहार के किसानों के सामने नई चुनौती
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बदलते मौसम और रबी फसलों पर संकट: बिहार के किसानों के सामने नई चुनौती

mansoon.info
Last updated: 2025/03/23 at 9:12 PM
By mansoon.info

बिहार में हाल के वर्षों में मौसम के बदलाव और असामान्य तापमान वृद्धि ने किसानों के लिए नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। मौसम का यह बदलाव खासकर रबी फसलों की उत्पादकता पर बुरा असर डाल सकता है। रबी मौसम में मुख्य रूप से गेहूं, दलहन और सब्जियां उगाई जाती हैं, लेकिन तापमान में हो रही अप्रत्याशित वृद्धि और मौसम की अनिश्चितता के कारण इन फसलों की पैदावार में गिरावट की आशंका बढ़ गई है।

Contents
सबसे अधिक प्रभावित फसलें कौन सी हैं?मौसम की मार से बचाव के लिए किसानों को क्या करना चाहिए?1. सिंचाई का सही प्रबंधन:2. जैविक उर्वरकों का प्रयोग करें:3. मल्चिंग (Mulching) अपनाएं:4. फसल चक्र और मिश्रित खेती:मौसम परिवर्तन से बचाव के लिए सरकार की योजनाएंसमय पर कृषि सलाह और वैज्ञानिक मार्गदर्शन जरूरीबिहार के किसानों के लिए आगे का रास्तानिष्कर्ष: किसानों को सतर्क रहने और सही कदम उठाने की जरूरत

क्या है समस्या?
1  तापमान में असामान्य वृद्धि: दिसंबर और जनवरी के महीनों में अपेक्षाकृत अधिक गर्मी हो रही है, जिससे रबी फसलों का विकास प्रभावित हो सकता है।
2 अनिश्चित वर्षा: रबी सीजन में कभी-कभी अनावश्यक बारिश और कभी अत्यधिक सूखा देखने को मिलता है, जिससे फसलों की वृद्धि और उत्पादन पर असर पड़ता 3 ठंड की कमी: गेहूं और दलहन जैसी फसलों के लिए ठंड जरूरी होती है, लेकिन असामान्य रूप से गर्म सर्दियां फसलों की गुणवत्ता और पैदावार को प्रभावित कर सकती हैं।


सबसे अधिक प्रभावित फसलें कौन सी हैं?

1. गेहूं:
गेहूं की फसल को ठंडे मौसम की जरूरत होती है। लेकिन बिहार में तापमान में बढ़ोतरी के कारण गेहूं के दाने समय से पहले पक जाते हैं, जिससे वजन और गुणवत्ता पर असर पड़ता है। अगर तापमान 30 डिग्री सेल्सियस से ऊपर चला जाता है, तो फसल की पकने की प्रक्रिया तेज हो जाती है, जिससे उत्पादन में गिरावट आती है।

2. दलहन:
मसूर, चना और मटर जैसी दलहनी फसलों को भी ठंडे मौसम की जरूरत होती है। तापमान बढ़ने से फूलों का झड़ना, फलियों का न बनना और कीटों का प्रकोप बढ़ जाता है, जिससे उत्पादन में कमी आ सकती है।

3. सब्जियां:
सब्जियों को भी रबी मौसम में ठंडा वातावरण चाहिए होता है। गोभी, मटर, पालक, धनिया, टमाटर जैसी सब्जियां यदि गर्मी में तैयार होती हैं, तो उनकी गुणवत्ता और स्वाद पर असर पड़ता है।


मौसम की मार से बचाव के लिए किसानों को क्या करना चाहिए?

हालांकि मौसम के बदलाव पर किसानों का कोई नियंत्रण नहीं है, लेकिन उचित प्रबंधन और समय पर सावधानियां अपनाकर किसान इस चुनौती का सामना कर सकते हैं।

1. सिंचाई का सही प्रबंधन:

1  टपक सिंचाई और स्प्रिंकलर सिस्टम अपनाएं। यह तकनीक कम पानी में भी फसलों की जरूरत पूरी करती है।
2  फसल की सही समय पर सिंचाई करें ताकि तापमान के प्रभाव को कम किया जा सके।
3  रबी फसलों को फूल आने और दाने बनने के समय सही मात्रा में पानी दें, क्योंकि यह समय फसल की वृद्धि के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है।

2. जैविक उर्वरकों का प्रयोग करें:

1  जैविक उर्वरकों से मिट्टी की नमी और पोषण क्षमता बढ़ती है, जिससे फसलें मौसम के बदलाव को सहन कर सकती हैं।
2  हरी खाद, वर्मी कम्पोस्ट और गोबर खाद का प्रयोग करें, जिससे मिट्टी की उर्वरक क्षमता बनी रहे।
3  जैविक उर्वरक फसलों को रोगों और कीटों से भी बचाते हैं, जिससे उत्पादन में गिरावट नहीं आती।

3. मल्चिंग (Mulching) अपनाएं:

1  मल्चिंग तकनीक से मिट्टी की नमी बनी रहती है और तापमान का असर कम होता है।
2  मिट्टी पर घास, पुआल, या प्लास्टिक की परत बिछाकर नमी को बनाए रखें। इससे फसल की जड़ों को गर्मी और ठंड से बचाया जा सकता है।

4. फसल चक्र और मिश्रित खेती:

1  फसल चक्र अपनाने से मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा संतुलित रहती है और फसलों की उत्पादकता पर मौसम का असर कम होता है।
2  गेहूं के साथ चना या मटर जैसी दलहनी फसलें उगाकर फसल चक्र को बेहतर बनाएं।
3  मिश्रित खेती में अलग-अलग किस्मों की फसलें उगाने से जोखिम कम होता है और फसल विविधता से किसानों को अधिक लाभ मिलता है।


मौसम परिवर्तन से बचाव के लिए सरकार की योजनाएं

केंद्र और राज्य सरकारें भी किसानों को जलवायु परिवर्तन और मौसम की अनिश्चितता से बचाने के लिए कई योजनाएं चला रही हैं।

1  प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY): किसानों को फसल नुकसान की भरपाई के लिए बीमा कवर मिलता है। अगर किसी कारणवश फसल खराब हो जाए, तो किसानों को उचित मुआवजा दिया जाता है।
2  राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY): इस योजना के तहत नई कृषि तकनीक और संसाधन किसानों तक पहुंचाए जाते हैं, जिससे वे बदलते मौसम का सामना कर सकें।
3  मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना (Soil Health Card Scheme): किसानों को मृदा परीक्षण के आधार पर उपयुक्त फसल और उर्वरकों की जानकारी दी जाती है, जिससे फसल की पैदावार बढ़ती है।
4  क्लाइमेट रेजिलिएंट एग्रीकल्चर (CRA): किसानों को जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए तकनीकी प्रशिक्षण और सहायता दी जा रही है।


समय पर कृषि सलाह और वैज्ञानिक मार्गदर्शन जरूरी

मौसम के बदलते मिजाज को ध्यान में रखते हुए कृषि वैज्ञानिकों और कृषि विभाग द्वारा समय-समय पर किसानों को सलाह दी जा रही है। किसानों को चाहिए कि वे इन सलाहों का पालन करें और नई तकनीकों को अपनाएं।

कृषि वैज्ञानिकों की प्रमुख सलाह:
1  सिंचाई का सही समय: फसलों को सही समय पर पानी देना जरूरी है, खासकर तब जब तापमान असामान्य हो।
2  कीट और रोग प्रबंधन: मौसम के बदलाव के कारण कीट और रोगों का प्रकोप बढ़ सकता है, इसलिए समय-समय पर फसलों का निरीक्षण करें।
3  फसल सुरक्षा उपाय: जैविक और रासायनिक कीटनाशकों का संतुलित उपयोग करें, ताकि फसलों की सुरक्षा हो सके।


बिहार के किसानों के लिए आगे का रास्ता

बिहार के किसानों को बदलते मौसम की चुनौतियों से निपटने के लिए नई तकनीक, वैज्ञानिक सलाह और सरकारी योजनाओं का पूरा फायदा उठाना चाहिए।

इन उपायों को अपनाकर किसान:
1  अपनी फसल को नुकसान से बचा सकते हैं।
2  उत्पादन और गुणवत्ता में सुधार कर सकते हैं।
3  जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम कर सकते हैं।


निष्कर्ष: किसानों को सतर्क रहने और सही कदम उठाने की जरूरत

बिहार में बदलते मौसम और असामान्य तापमान वृद्धि से रबी फसलों पर खतरा मंडरा रहा है, लेकिन सही समय पर सही कदम उठाकर किसान इस संकट को अवसर में बदल सकते हैं। सिंचाई प्रबंधन, जैविक उर्वरकों का उपयोग, फसल चक्र और कृषि सलाह पर ध्यान देकर किसान अपनी फसलों की उत्पादकता और गुणवत्ता दोनों को बनाए रख सकते हैं।

अब समय आ गया है कि किसान मौसम के बदलाव को समझें और नई तकनीकों को अपनाकर अपनी फसलों की सुरक्षा और उत्पादन में बढ़ोतरी करें। Click Here 

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