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Mansoon > Blog > Blog > पछेती गेहूं की फसल की देखभाल: मार्च में सही उपाय अपनाकर बढ़ाएं उत्पादन
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पछेती गेहूं की फसल की देखभाल: मार्च में सही उपाय अपनाकर बढ़ाएं उत्पादन

mansoon.info
Last updated: 2025/03/23 at 10:07 PM
By mansoon.info

मार्च का महीना गेहूं की फसल के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है, खासकर पछेती किस्म के गेहूं के लिए। आमतौर पर मार्च के महीने में अगेती और सामान्य किस्मों की फसल पककर तैयार हो जाती है, लेकिन पछेती किस्म के गेहूं की फसल इस समय बालियों में बदल रही होती है। अभी मार्च का तीसरा सप्ताह चल रहा है और यह समय फसल की वृद्धि और दाने भरने की प्रक्रिया के लिए बहुत संवेदनशील होता है।

Contents
मार्च में पछेती गेहूं की फसल का महत्व क्यों हैमार्च में पछेती गेहूं की फसल की देखभाल कैसे करें1. सिंचाई और नमी प्रबंधन2. पोषण और उर्वरक प्रबंधन3. कीट और रोग नियंत्रण4. फसल को गर्मी और सूखे से बचाव5. दानों की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए विशेष उपाय6. पछेती गेहूं की फसल के लिए विशेषज्ञ सुझावभविष्य में फसल प्रबंधन की रणनीतिनिष्कर्ष

इस समय अगर किसान सही समय पर जरूरी उपाय नहीं करते हैं तो फसल पर मौसम और कीटों का बुरा असर पड़ सकता है। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, इस समय पछेती गेहूं की फसल में हल्की सिंचाई, पोषक तत्वों का सही प्रबंधन और कीट नियंत्रण बहुत जरूरी होता है।

इस लेख में हम पछेती गेहूं की फसल की सही देखभाल, संभावित रोग और उनके उपचार, आवश्यक पोषक तत्व, सिंचाई के सही तरीके और फसल सुरक्षा के उपाय पर विस्तार से जानकारी देंगे।


मार्च में पछेती गेहूं की फसल का महत्व क्यों है

मार्च का महीना पछेती गेहूं की फसल के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण समय होता है।

1  बालियों का विकास:
मार्च के महीने में पछेती गेहूं की फसल बालियों की स्थिति में आती है और दानों का विकास शुरू होता है। इस समय सही पोषण और सिंचाई से दाने मजबूत और स्वस्थ बनते हैं।

2  परागण और दाना भरने का समय:
यह समय परागण और दानों के भरने का समय होता है। अगर इस समय नमी की कमी हो जाए या पोषक तत्वों की आपूर्ति में कमी आ जाए तो दाने कमजोर हो सकते हैं और उपज में गिरावट हो सकती है।

3  कीट और रोगों का खतरा:
मार्च के महीने में तापमान बढ़ने लगता है जिससे कीट और रोगों का खतरा बढ़ जाता है। खासकर थ्रिप्स, माहू और फफूंद जनित रोगों का इस समय अधिक प्रकोप हो सकता है।


मार्च में पछेती गेहूं की फसल की देखभाल कैसे करें

पछेती गेहूं की फसल की देखभाल में सही समय पर सिंचाई, पोषण प्रबंधन और कीट नियंत्रण का विशेष ध्यान रखना चाहिए।


1. सिंचाई और नमी प्रबंधन

मार्च के महीने में पछेती गेहूं की फसल को नमी की जरूरत होती है ताकि बालियों का सही विकास हो सके और दाने मजबूत बन सकें।

1  बालियों के विकास के समय सिंचाई:

  • बालियों के निकलने और दाना भरने के समय हल्की सिंचाई बेहद जरूरी होती है।

  • सिंचाई का सही समय बालियों के निकलने से पहले और दूधिया अवस्था में होता है।

  • हफ्ते में एक बार हल्की सिंचाई करें ताकि मिट्टी में नमी बनी रहे और दाने भरने की प्रक्रिया प्रभावित न हो।

2  सिंचाई की सही विधि:

  • ड्रिप इरिगेशन और स्प्रिंकलर विधि का उपयोग करने से पानी की बचत होती है और नमी बराबर बनी रहती है।

  • बालियों के विकास के समय अत्यधिक पानी से बचें, क्योंकि इससे जड़ों में जल भराव हो सकता है।

3  नमी की कमी से बचाव:

  • मल्चिंग तकनीक अपनाकर मिट्टी में नमी बनाए रखें।

  • खेत में खरपतवार नियंत्रण करें जिससे पौधों को आवश्यक पोषक तत्व मिल सकें।


2. पोषण और उर्वरक प्रबंधन

पछेती गेहूं की फसल को इस समय पोषक तत्वों की विशेष आवश्यकता होती है ताकि दाने मजबूत और स्वस्थ बन सकें।

1  नाइट्रोजन की सही मात्रा:

  • नाइट्रोजन का संतुलित उपयोग दानों की गुणवत्ता और वजन को बेहतर बनाता है।

  • 40-50 किलोग्राम नाइट्रोजन प्रति हेक्टेयर बालियों के विकास के समय देना उचित होता है।

2  पोटाश और फॉस्फोरस का उपयोग:

  • पोटाश और फॉस्फोरस की सही मात्रा बालियों को मजबूत बनाती है और दाने भरने में मदद करती है।

  • पोटाश का 30-40 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर प्रयोग करें।

3  जिंक और बोरॉन का प्रयोग:

  • सूक्ष्म पोषक तत्वों जैसे जिंक और बोरॉन का स्प्रे करने से दानों की गुणवत्ता और उत्पादन में वृद्धि होती है।

  • बोरॉन का 0.5% घोल और जिंक का 0.3% घोल बालियों के समय छिड़काव करें।


3. कीट और रोग नियंत्रण

मार्च के महीने में पछेती गेहूं की फसल पर कीट और रोगों का खतरा बढ़ जाता है जिससे फसल को नुकसान हो सकता है।

1  थ्रिप्स और माहू का प्रकोप:

  • थ्रिप्स और माहू जैसे कीट बालियों का रस चूसकर फसल को नुकसान पहुंचाते हैं।

  • इमिडाक्लोप्रिड का 0.5 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

2  झुलसा रोग का खतरा:

  • झुलसा रोग से बालियां और दाने प्रभावित होते हैं।

  • मैंकोजेब का 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

3  कंडुआ और गेरुई रोग:

  • कंडुआ और गेरुई रोग फसल की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकते हैं।

  • प्रोपिकोनाजोल का 1 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।


4. फसल को गर्मी और सूखे से बचाव

मार्च और अप्रैल के महीने में तापमान में वृद्धि होने लगती है जिससे पछेती गेहूं की फसल पर गर्मी और सूखे का असर पड़ सकता है।

1  शेड नेट का प्रयोग:

  • पछेती फसल को गर्मी से बचाने के लिए शेड नेट का उपयोग करें।

  • तापमान को संतुलित रखने के लिए पानी का छिड़काव करें।

2  मल्चिंग तकनीक का उपयोग:

  • मिट्टी में नमी बनाए रखने के लिए जैविक मल्चिंग का प्रयोग करें।

  • मल्चिंग से फसल को गर्मी और सूखे से बचाया जा सकता है।


5. दानों की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए विशेष उपाय

1  दाना भरने के समय सही पोषण:

  • दाने भरने के समय नाइट्रोजन और पोटाश का संतुलित प्रयोग करें।

  • दाने को मजबूत और स्वस्थ बनाने के लिए बोरॉन और जिंक का छिड़काव करें।

2  फसल की वृद्धि को प्रोत्साहित करने के लिए ग्रोथ प्रमोटर:

  • गिबरेलिन का प्रयोग करें जिससे बालियों में दाना भरने की प्रक्रिया तेज हो सके।


6. पछेती गेहूं की फसल के लिए विशेषज्ञ सुझाव

1  खेत की नियमित निगरानी करें ताकि किसी भी कीट और रोग का प्रकोप समय रहते पहचाना जा सके।
2  बालियों और दानों को मजबूत बनाने के लिए सही समय पर सिंचाई और पोषण प्रबंधन अपनाएं।
3  मार्च के अंत तक फसल पर जैविक कीटनाशकों का छिड़काव करें ताकि दानों की गुणवत्ता प्रभावित न हो।
4  गर्मी और सूखे से बचाव के लिए पानी का सही प्रबंधन और मल्चिंग अपनाएं।


भविष्य में फसल प्रबंधन की रणनीति

मार्च के बाद फसल में दाना भरने और पकने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। इस समय फसल की सिंचाई और पोषण प्रबंधन पर विशेष ध्यान देना जरूरी होता है।

1  पोटाश और फॉस्फोरस का संतुलित उपयोग करें।
2  अत्यधिक गर्मी से बचाव के लिए शेड नेट और पानी का छिड़काव करें।
3  फसल को जैविक तरीके से सुरक्षित रखने के लिए नीम तेल और जैविक कीटनाशकों का छिड़काव जारी रखें।


निष्कर्ष

मार्च के महीने में पछेती गेहूं की फसल की सही देखभाल करना उपज की गुणवत्ता और मात्रा को बढ़ाने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। सही सिंचाई, पोषण प्रबंधन और कीट नियंत्रण अपनाकर किसान बेहतर उपज और अधिक मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं।

पछेती गेहूं की फसल में सही रणनीति और आधुनिक तकनीकों का प्रयोग करके किसान फसल की उत्पादन क्षमता में वृद्धि कर सकते हैं और आर्थिक लाभ बढ़ा सकते हैं। Click Here

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