किसान रामजी दूबे की सफलता की कहानी
उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले के नुआंव गांव के रहने वाले किसान रामजी दूबे ने 2019 में पॉली हाउस तकनीक से खेती शुरू की और आज वह हर सीजन में लाखों रुपये कमा रहे हैं। उन्होंने शिमला मिर्च, स्ट्रॉबेरी और विदेशी खीरे की खेती कर अपनी आमदनी को कई गुना बढ़ा लिया है। वर्तमान में वे शिमला मिर्च की खेती कर रहे हैं, जो कुछ ही दिनों में तैयार होने वाली है।
किसान रामजी दूबे का मानना है कि पॉली हाउस खेती कम मेहनत और अधिक मुनाफे का बेहतरीन विकल्प है। उन्होंने बताया कि उन्होंने 12 अक्टूबर को शिमला मिर्च के पौधे लगाए थे, जो नवंबर के आखिरी तक फल देने लगेंगे।
पॉली हाउस में खेती क्यों फायदेमंद?
पॉली हाउस एक आधुनिक तकनीक है, जिसमें फसलों को संरक्षित माहौल में उगाया जाता है। यह तकनीक पर्यावरणीय प्रभावों को कम करने और बेहतर उत्पादकता देने में मदद करती है।
पॉली हाउस खेती के फायदे:
1.फसल पर मौसम का असर नहीं पड़ता – बारिश, तेज धूप, पाला जैसी समस्याएं नहीं होतीं।
2. कम पानी की जरूरत – ड्रिप इरिगेशन तकनीक से पानी की बचत होती है।
3. उच्च गुणवत्ता वाली फसल – जैविक खादों और उचित देखभाल से बेहतर उत्पादन।
4.कीटनाशकों का कम उपयोग – प्राकृतिक रूप से कीटों से बचाव।
5. कम मेहनत, ज्यादा मुनाफा – पारंपरिक खेती की तुलना में अधिक आय।
शिमला मिर्च की खेती से लाखों का मुनाफा
रामजी दूबे बताते हैं कि शिमला मिर्च की खेती पॉली हाउस में सबसे उपयुक्त होती है। इसके लिए वर्मी कंपोस्ट, गोबर खाद और उचित कीटनाशकों का उपयोग किया जाता है।
शिमला मिर्च की खेती के मुख्य बिंदु:
- एक एकड़ में करीब 10 टन उत्पादन होता है।
- एक सीजन में 8 से 10 लाख रुपये का मुनाफा होता है।
- शिमला मिर्च तीन रंगों में उगती है – लाल, पीली और हरी।
- 60 से 65 दिनों में फसल तैयार हो जाती है।
- अप्रैल माह के अंत तक खेती जारी रहती है।
बाजार में मजबूत पकड़
शिमला मिर्च की बाजार में अच्छी मांग बनी रहती है। वर्तमान में यह 200 रुपये प्रति किलो बिकती है, जबकि सीजन ऑफ होने पर यह 300 से 400 रुपये प्रति किलो तक पहुंच जाती है। किसान रामजी दूबे बताते हैं कि उनका उत्पाद स्थानीय मंडियों में ही बिक जाता है। अगर अतिरिक्त उत्पादन होता है, तो वे वाराणसी और प्रयागराज जैसी बड़ी मंडियों में इसे बेच देते हैं।
अन्य फसलें भी दे रही हैं अच्छा मुनाफा
रामजी दूबे ने सिर्फ शिमला मिर्च ही नहीं, बल्कि स्ट्रॉबेरी और विदेशी खीरे की खेती भी पॉली हाउस में की है। इन फसलों से भी उन्हें बेहद अच्छा मुनाफा हुआ।
विदेशी खीरे की खेती के फायदे:
- सामान्य खीरे से ज्यादा महंगा बिकता है।
- गुणवत्ता और स्वाद के कारण बाजार में मांग अधिक।
- कम समय में ज्यादा उत्पादन।
स्ट्रॉबेरी की खेती से बड़ा लाभ:
- भारत में स्ट्रॉबेरी की खेती सीमित होने के कारण इसकी मांग अधिक है।
- पॉली हाउस में इसका उत्पादन अधिक होता है।
- उच्च गुणवत्ता के कारण बाजार में अच्छी कीमत मिलती है।
कम लागत में अधिक मुनाफा
पॉली हाउस खेती में शुरू में थोड़ी लागत जरूर आती है, लेकिन लंबे समय में यह काफी फायदेमंद साबित होती है। सरकार भी किसानों को पॉली हाउस लगाने के लिए सब्सिडी देती है, जिससे छोटे और मध्यम वर्ग के किसान भी इसका लाभ उठा सकते हैं।
पॉली हाउस लगाने की लागत और सरकारी सहायता:
1. एक एकड़ में पॉली हाउस लगाने की लागत – 8 से 10 लाख रुपये।
2. सरकार से 50% से 70% तक की सब्सिडी।
3.कम लागत में अधिक पैदावार, जिससे जल्दी लागत निकल आती है।
रामजी दूबे की सलाह – किसान भी अपनाएं यह तकनीक
रामजी दूबे का कहना है कि अगर किसान पारंपरिक खेती की जगह पॉली हाउस तकनीक को अपनाएं, तो उनकी आमदनी कई गुना बढ़ सकती है।
उनकी सलाह के अनुसार:
1. छोटे स्तर से शुरुआत करें और धीरे-धीरे पॉली हाउस का विस्तार करें।
2. सरकार की सब्सिडी योजनाओं का लाभ लें।
3.जैविक खादों और उन्नत तकनीकों का उपयोग करें।
4. मंडी के भाव पर नजर रखें और सही समय पर फसल बेचें।
निष्कर्ष: पॉली हाउस खेती से उज्जवल भविष्य
मिर्जापुर के किसान रामजी दूबे ने पॉली हाउस तकनीक से अपनी तकदीर बदल दी है। जहां पारंपरिक खेती में अधिक मेहनत और कम आमदनी होती थी, वहीं अब वे कम मेहनत में ज्यादा मुनाफा कमा रहे हैं।
अगर अन्य किसान भी इस तकनीक को अपनाएं, तो वे भी लाखों रुपये कमा सकते हैं और अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत बना सकते हैं।
अगर आप भी खेती से अच्छी कमाई करना चाहते हैं, तो पॉली हाउस तकनीक को अपनाएं और खेती के नए युग में कदम रखें!
