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Mansoon > Blog > Blog > डॉ. त्रिपाठी के फार्म पर कृषि नवाचारों का अध्ययन करते हुए पहुंचे विश्वविद्यालय के छात्र और प्रोफेसर
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डॉ. त्रिपाठी के फार्म पर कृषि नवाचारों का अध्ययन करते हुए पहुंचे विश्वविद्यालय के छात्र और प्रोफेसर

mansoon.info
Last updated: 2025/03/07 at 10:21 PM
By mansoon.info

शहीद गेंद सिंह विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग के प्रोफेसर और छात्रों का एक दल हाल ही में डॉ. राजाराम त्रिपाठी के मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म का दौरा करने पहुंचा। इस शैक्षणिक भ्रमण में उन्होंने प्राकृतिक ग्रीनहाउस, काली मिर्च की नई किस्म, और जैविक कृषि के नवाचारों का अध्ययन किया। डॉ. त्रिपाठी का यह फार्म न केवल पर्यावरण संरक्षण में योगदान दे रहा है, बल्कि किसानों के आर्थिक सशक्तिकरण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

Contents
जैविक कृषि और पर्यावरण संरक्षण में डॉ. त्रिपाठी का योगदानप्राकृतिक ग्रीनहाउस: पर्यावरण के अनुकूल कृषि की नई दिशाकाली मिर्च की नई किस्म: उत्पादन में वृद्धि और किसानों के लिए क्रांतिजैविक कृषि में नवाचार: किसानों के लिए टिकाऊ मॉडलआदिवासी महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण: एक नई पहलकिसानों के अधिकारों के लिए डॉ. त्रिपाठी की समर्पित भूमिकावैज्ञानिकों और प्रोफेसरों की सराहनाराष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर डॉ. त्रिपाठी का प्रभावनिष्कर्ष

जैविक कृषि और पर्यावरण संरक्षण में डॉ. त्रिपाठी का योगदान

डॉ. राजाराम त्रिपाठी, जो एक जानेमाने जैविक कृषि विशेषज्ञ हैं, ने अपने फार्म पर आधुनिक कृषि तकनीकों और पारंपरिक ज्ञान का एक अद्भुत मिश्रण प्रस्तुत किया है। उनके फार्म का उद्देश्य न केवल उत्पादकता बढ़ाना है, बल्कि पर्यावरण को भी बचाना और किसानों को बेहतर आय के अवसर प्रदान करना है। इस फार्म पर कृषि के कई नवाचारों का विकास हुआ है, जिनका अध्ययन करने के लिए शहीद गेंद सिंह विश्वविद्यालय के 50 सदस्यीय दल ने विशेष रूप से दौरा किया।

प्राकृतिक ग्रीनहाउस: पर्यावरण के अनुकूल कृषि की नई दिशा

शहीद गेंद सिंह विश्वविद्यालय के छात्रों और प्रोफेसरों के दल ने डॉ. त्रिपाठी द्वारा विकसित प्राकृतिक ग्रीनहाउस को देखा, जो पर्यावरणीय दृष्टिकोण से एक अद्भुत पहल है। यह ग्रीनहाउस पूरी तरह से पेड़ों से निर्मित है, जो न केवल फसलों को गर्मी और ठंड से बचाता है, बल्कि प्लास्टिक के उपयोग को भी समाप्त कर देता है। इस प्राकृतिक ग्रीनहाउस की लागत ₹40 लाख प्रति एकड़ की पॉलीहाउस प्रणाली से बहुत कम ₹2 लाख प्रति एकड़ है। यह मॉडल पर्यावरण के प्रति जागरूक किसानों के लिए एक आदर्श बन सकता है, जो महंगे प्लास्टिक आधारित संरचनाओं से बचकर अपने खेतों में जैविक उत्पादों की उगाई कर सकते हैं।

काली मिर्च की नई किस्म: उत्पादन में वृद्धि और किसानों के लिए क्रांति

डॉ. त्रिपाठी द्वारा विकसित काली मिर्च की नई किस्म ने भी वैज्ञानिक दल को आश्चर्यचकित कर दिया। यह किस्म अन्य काली मिर्च प्रजातियों के मुकाबले चार गुना ज्यादा उत्पादन देती है। इसका उत्पादन विशेष रूप से बस्तर क्षेत्र के किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण योगदान साबित हो सकता है। इस किस्म के कारण, किसानों को अधिक उपज प्राप्त होगी, जिससे उनका आर्थिक लाभ भी बढ़ेगा। यह नई किस्म किसानों के लिए एक क्रांतिकारी कदम है, जो उनकी उत्पादन क्षमता और आय में वृद्धि करेगी।

जैविक कृषि में नवाचार: किसानों के लिए टिकाऊ मॉडल

डॉ. त्रिपाठी के फार्म पर इस्तेमाल की जाने वाली उन्नत जैविक कृषि तकनीकों का उद्देश्य रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के बिना अधिकतम उत्पादन प्राप्त करना है। शहीद गेंद सिंह विश्वविद्यालय के दल ने इन तकनीकों का निरीक्षण किया और पाया कि ये न केवल मृदा की उर्वरता को बनाए रखने में मदद करती हैं, बल्कि जलवायु परिवर्तन से लड़ने में भी सहायक हैं। इस तकनीक में विभिन्न जैविक उपायों को अपनाया जाता है, जो पर्यावरण और किसानों दोनों के लिए लाभकारी होते हैं।

डॉ. त्रिपाठी ने बताया कि उनका उद्देश्य किसानों को ऐसे संसाधन और तकनीकें प्रदान करना है, जो न केवल उनकी उपज बढ़ाएं बल्कि खेतों को रासायनिक उर्वरकों से मुक्त करके पर्यावरण की रक्षा करें।

आदिवासी महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण: एक नई पहल

डॉ. त्रिपाठी का फार्म न केवल कृषि में नवाचार कर रहा है, बल्कि यह बस्तर की आदिवासी महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण आर्थिक सशक्तिकरण का स्रोत भी बन चुका है। इन महिलाओं द्वारा उत्पादित मसाले, मिलेट्स, और औषधीय उत्पादों का प्रसंस्करण, ब्रांडिंग और विपणन की प्रक्रिया ने उनकी जीवनशैली में बदलाव लाया है। अपूर्वा त्रिपाठी की पहल के तहत, इन उत्पादों को अब राष्ट्रीय और वैश्विक बाजारों में स्थान मिल रहा है। इस पहल से आदिवासी समुदाय के लोगों को न केवल रोजगार मिल रहा है, बल्कि उनके उत्पादों को एक नई पहचान भी मिल रही है।

किसानों के अधिकारों के लिए डॉ. त्रिपाठी की समर्पित भूमिका

डॉ. त्रिपाठी अखिल भारतीय किसान महासंघ के राष्ट्रीय संयोजक भी हैं, और उन्होंने किसानों के अधिकारों के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। उन्होंने दल को बताया कि उनका संगठन नीतिगत सुधारों से लेकर किसानों के अधिकारों को लेकर जागरूकता अभियानों तक काम कर रहा है। यह संगठन किसानों के हितों की रक्षा करने के लिए समर्पित है, और डॉ. त्रिपाठी के नेतृत्व में यह संगठन अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए लगातार प्रयासरत है।

वैज्ञानिकों और प्रोफेसरों की सराहना

विश्वविद्यालय के बॉटनी विभाग के प्रमुख और प्रोफेसरों ने डॉ. त्रिपाठी की तकनीकी दक्षता और उनके पर्यावरण अनुकूल दृष्टिकोण की सराहना की। उन्होंने कहा कि डॉ. त्रिपाठी का यह फार्म पूरे देश के किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकता है। उनके कार्यों से न केवल किसानों की आय में वृद्धि हो रही है, बल्कि यह पर्यावरण को भी बचाने का एक उत्कृष्ट प्रयास है।

राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर डॉ. त्रिपाठी का प्रभाव

डॉ. त्रिपाठी के नवाचार और कृषि मॉडल को न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में सराहा जा रहा है। उनके काम को “ग्लोबल ग्रीन वॉरियर” पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है। उनका फार्म, जो जैविक कृषि और पर्यावरण संरक्षण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है, अब राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर एक आदर्श बन चुका है। उनकी तकनीकों और नवाचारों ने भारत में और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक नया उदाहरण पेश किया है, जिसे अन्य किसान भी अपनाना चाहते हैं।

निष्कर्ष

डॉ. राजाराम त्रिपाठी का फार्म केवल कृषि क्षेत्र में नवाचारों का केंद्र नहीं है, बल्कि यह पर्यावरण की रक्षा और किसानों के सशक्तिकरण की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम है। उनके द्वारा विकसित प्राकृतिक ग्रीनहाउस, काली मिर्च की नई किस्म और जैविक कृषि तकनीकें न केवल भारतीय किसानों के लिए लाभकारी हैं, बल्कि यह वैश्विक कृषि परिदृश्य में भी एक नई क्रांति का प्रतीक बन रही हैं। शहीद गेंद सिंह विश्वविद्यालय के छात्रों और प्रोफेसरों द्वारा किया गया यह भ्रमण न केवल डॉ. त्रिपाठी के काम को समझने का अवसर था, बल्कि यह सभी के लिए एक प्रेरणा भी है, जो कृषि, पर्यावरण और सामाजिक सशक्तिकरण के क्षेत्र में काम करना चाहते हैं।

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