फल मक्खी से बचाव के लिए देसी जुगाड़: एक एकड़ की लागत में 10 एकड़ फसल को सुरक्षित रखें!
फल मक्खी (Fruit Fly) किसान के लिए एक गंभीर समस्या बन सकती है, खासकर बागवानी और फलोत्पादन में। यह कीट फल की गुणवत्ता को नष्ट कर देता है, जिससे भारी नुकसान होता है। लेकिन, अब किसानों के लिए एक आसान और सस्ता तरीका मौजूद है, जिसके द्वारा वे फल मक्खी को प्रभावी ढंग से ट्रैप कर सकते हैं, और अपनी फसलों को इस समस्या से बचा सकते हैं।
भारत सरकार में प्लांट प्रोटेक्शन ऑफिसर और एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केंद्र मुरैना के प्रभारी सुनीत कुमार कटियार ने किसानों के लिए एक बेहद सरल और प्रभावी तरीका बताया है, जिससे एक एकड़ के खर्च पर 10 एकड़ की फसल को सुरक्षित किया जा सकता है। इस जुगाड़ से न केवल फल मक्खी को नियंत्रित किया जा सकता है, बल्कि किसानों को कीटनाशक छिड़कने की आवश्यकता भी नहीं होगी।
फल मक्खी फंदा बनाने का तरीका:
फल मक्खी को पकड़ने के लिए सबसे पहले एक देसी फंदा तैयार करना होगा, जिससे आप इसे आसानी से आकर्षित कर सकते हैं। इसके लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होगी:
- 100% अल्कोहल – 60 ML
- मिथाइल यूजीनाल – 40 ML
- Red label pesticide (रेड लेबल कीटनाशक) – 2 ML
इन तीन चीजों को एक एयर टाइट डिब्बे में मिलाकर अच्छी तरह से घोल लें। फिर, इसमें आधा इंच मोटी और 2 इंच लंबी सोखने वाली लकड़ी डाल दें। इस मिश्रण में लकड़ी को 24 घंटे तक डूबा रहने दें। 24 घंटे बाद लकड़ी को बाहर निकालकर उसे अल्यूमिनियम के कवर में पैक कर दें, ताकि वह संरक्षित रहे और कीटों को आकर्षित करने में सक्षम हो।
पौधों के पास फंदा टांगने की विधि:
अब इस तैयार किए गए मिश्रण वाली लकड़ी को 1 लीटर की खाली प्लास्टिक बोतल में रखना होगा। सबसे पहले बोतल में एक-एक इंच के कट लगाएं और उसके ढक्कन में भी छेद करें। फिर, लकड़ी को इस बोतल में बांध लें, ताकि वह जहर वाली लकड़ी बोतल के अंदर टिकी रहे।
अब इस बोतल को खेत के पौधों के पास 3-4 फीट की ऊंचाई पर टांग दें। एक एकड़ में इस प्रकार की 4-5 बोतलें लगाई जा सकती हैं। इससे यह न केवल फल मक्खी की गतिविधियों पर निगरानी रखेगा, बल्कि यह उसे पूरी तरह से नियंत्रित करने में भी मदद करेगा। इस प्रक्रिया के दौरान, खेतों में किसी प्रकार का स्प्रे छिड़कने की आवश्यकता नहीं होगी, क्योंकि बोतल के अंदर का मिश्रण ही कीट को आकर्षित करेगा और उसे नष्ट कर देगा।
फायदा और प्रभाव:
इस तकनीक का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह पूरी तरह से प्राकृतिक है और कीटनाशकों से रहित है, जिससे पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होगा। साथ ही, किसान अपनी फसलों को सुरक्षित रखने के लिए अधिक खर्च नहीं करेंगे। बस थोड़ी सी मेहनत और सही सामग्री का उपयोग करके वे अपने खेतों को फल मक्खी के हमले से बचा सकते हैं।
किसानों को जागरूक करने के लिए सरकारी प्रयास:
इस देसी जुगाड़ को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए, केंद्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन के तहत मुरैना में एक प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया गया, जिसमें मध्यप्रदेश के 57 ग्रामीण कृषि और बागवानी अधिकारी शामिल हुए। इस प्रशिक्षण के दौरान, किसानों को अनाज, दलहन, तिलहन, बागवानी और सब्जी की फसलों में कीटों, बीमारियों और खरपतवार के प्रबंधन के तरीके सिखाए गए।
इस प्रकार के प्रशिक्षण में विभिन्न गांवों के खेतों में जाकर किसानों को प्रायोगिक प्रशिक्षण दिया गया, ताकि वे आसानी से अपने खेतों में इन उपायों को लागू कर सकें। अधिकारियों का उद्देश्य किसानों को नई तकनीकों और तरीकों से अवगत कराना है, ताकि वे अपनी फसलों को सुरक्षित रख सकें और उत्पादन बढ़ा सकें।
निष्कर्ष:
फल मक्खी जैसे कीटों से बचने के लिए यह देसी जुगाड़ किसानों के लिए एक वरदान साबित हो सकता है। इस सरल और सस्ते तरीके से किसान न केवल अपनी फसलों को सुरक्षित रख सकते हैं, बल्कि उन्हें कीटनाशकों पर खर्च भी बच सकता है। इसलिए, किसानों को इस तकनीक को अपनाना चाहिए और अपने खेतों को फल मक्खी से बचाने के लिए जागरूकता फैलानी चाहिए।
