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Mansoon > Blog > Blog > फॉल आर्मी वर्म का प्रकोप: मक्का किसानों के लिए बचाव और प्रबंधन रणनीति
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फॉल आर्मी वर्म का प्रकोप: मक्का किसानों के लिए बचाव और प्रबंधन रणनीति

mansoon.info
Last updated: 2025/02/04 at 3:56 PM
By mansoon.info

मक्का फसल में फॉल आर्मीवर्म: पहचान, नुकसान और प्रभावी नियंत्रण के उपाय

मक्का भारत के किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण फसल है, लेकिन हाल के वर्षों में फॉल आर्मी वर्म (Spodoptera frugiperda) का प्रकोप किसानों के लिए एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है। यह कीट बहुत ही तेजी से फैलता है और फसल को भारी नुकसान पहुंचाता है। कई किसान इससे प्रभावित होकर अपनी पूरी फसल गंवा चुके हैं, जिससे उनकी आजीविका पर संकट आ जाता है। इस लेख में हम फॉल आर्मी वर्म की पहचान, इसके प्रभाव और इसके प्रभावी प्रबंधन के उपायों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

Contents
मक्का फसल में फॉल आर्मीवर्म: पहचान, नुकसान और प्रभावी नियंत्रण के उपायफॉलआर्मी वर्म की पहचान कैसे करें?फॉलआर्मी वर्म का प्रबंधन कैसे करें?1. जैविक प्रबंधन2. यांत्रिक प्रबंधन3. रासायनिक प्रबंधनभारत में फॉलआर्मी वर्म से प्रभावित क्षेत्र और सरकार की पहलनिष्कर्ष

फॉलआर्मी वर्म की पहचान कैसे करें?

फॉल आर्मी वर्म एक बेहद खतरनाक कीट है, जो विशेष रूप से मक्का की फसल को नुकसान पहुंचाता है। इसकी पहचान कुछ मुख्य लक्षणों से की जा सकती है:

  1. अंडे: यह कीट मादा पतंगा के रूप में पत्तियों के नीचे सैकड़ों अंडे समूह में देती है, जो सफेद से हल्के भूरे रंग के होते हैं। ये अंडे कुछ ही दिनों में लार्वा के रूप में बाहर आ जाते हैं।
  2. लार्वा: शुरुआत में यह हल्के रंग का होता है, लेकिन धीरे-धीरे भूरा-हरे रंग में बदल जाता है। इसके सिर पर ‘Y’ आकार का निशान होता है, जिससे इसे आसानी से पहचाना जा सकता है।
  3. फसल को होने वाले नुकसान के लक्षण:
    • पत्तियों में अनियमित छेद दिखाई देने लगते हैं।
    • सफेद जालीदार संरचना पत्तियों के अंदर दिखती है।
    • पौधों के बढ़ते केंद्र (whorl) को काटकर यह नुकसान पहुँचाता है, जिससे पौधा सूख सकता है।
    • भुट्टों में छेद कर अंदर घुसकर दानों को खा जाता है, जिससे उत्पादन में भारी गिरावट होती है।

फॉलआर्मी वर्म का प्रबंधन कैसे करें?

1. जैविक प्रबंधन

अगर आप अपने खेत में रासायनिक दवाओं का कम से कम इस्तेमाल करना चाहते हैं तो जैविक प्रबंधन सबसे बेहतरीन तरीका हो सकता है।

  • ट्राइकोग्राम्मा प्रजाति के परजीवी ततैया का प्रयोग करें, जो फॉल आर्मी वर्म के अंडों को नष्ट कर देते हैं।
  • बेवेरिया बैसियाना और मेटारहिज़ियम एनीसोपली जैसे जैविक कीटनाशकों का छिड़काव करें, जो इस कीट को प्राकृतिक तरीके से नष्ट करने में सहायक होते हैं।
  • नीम तेल (5%) का छिड़काव करने से कीटों की संख्या नियंत्रित होती है।

2. यांत्रिक प्रबंधन

यदि आपके खेत में कीटों की संख्या कम है, तो यांत्रिक प्रबंधन बेहद कारगर साबित हो सकता है।

  • प्रभावित पौधों से लार्वा को हाथ से इकट्ठा करके नष्ट करें।
  • फसल के चारों ओर जाल लगाकर कीटों की संख्या को नियंत्रित किया जा सकता है।
  • ट्रैप फसल (जैसे कि नेपीयर घास) लगाकर कीटों को आकर्षित करें और उन्हें नियंत्रित करें।

3. रासायनिक प्रबंधन

यदि कीटों की संख्या बहुत अधिक हो जाती है और जैविक या यांत्रिक उपाय पर्याप्त नहीं होते, तो रासायनिक दवाओं का प्रयोग करना पड़ता है।

  • क्लोरेंट्रानिलीप्रोल 18.5 एससी (0.4 मिली/लीटर) या स्पिनोसैड 45 एससी (0.5 मिली/लीटर) का छिड़काव करें।
  • शाम के समय रसायनों का छिड़काव करना अधिक प्रभावी होता है, क्योंकि रात के समय ये कीट अधिक सक्रिय होते हैं।
  • ध्यान दें कि बार-बार एक ही कीटनाशक का उपयोग करने से कीटों में प्रतिरोध क्षमता विकसित हो सकती है, इसलिए कीटनाशकों को बदल-बदल कर उपयोग करें।

भारत में फॉलआर्मी वर्म से प्रभावित क्षेत्र और सरकार की पहल

भारत में कर्नाटक, महाराष्ट्र, बिहार और मध्य प्रदेश सबसे अधिक प्रभावित राज्य हैं। केंद्र और राज्य सरकारें किसानों को इस कीट से बचाने के लिए विभिन्न कदम उठा रही हैं:

  1. कृषि विज्ञान केंद्रों (KVK) द्वारा प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन, जिससे किसानों को फॉल आर्मी वर्म से बचने के उपाय सिखाए जा रहे हैं।
  2. सरकार नए कीटनाशकों की सिफारिश कर रही है और सब्सिडी प्रदान कर रही है, जिससे किसानों को सही कीटनाशक उचित मूल्य पर उपलब्ध हो सके।
  3. फसल विविधीकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है, ताकि किसान केवल एक ही फसल पर निर्भर न रहें और नुकसान की भरपाई अन्य फसलों से की जा सके।
  4. ड्रोन तकनीक के जरिए कीटनाशकों का छिड़काव किया जा रहा है, जिससे किसानों को अधिक सटीक और प्रभावी समाधान मिल रहा है।

निष्कर्ष

फॉलआर्मी वर्म मक्का फसल के लिए एक गंभीर खतरा है, लेकिन सही समय पर उचित प्रबंधन तकनीकों को अपनाकर इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है। सबसे प्रभावी उपाय समेकित कीट प्रबंधन (IPM) है, जिसमें जैविक, यांत्रिक और रासायनिक उपायों का संतुलित प्रयोग किया जाता है।

किसानों को चाहिए कि वे अपनी फसलों पर नियमित रूप से नजर रखें और प्रारंभिक चरण में ही इस कीट के संकेतों को पहचान कर उचित कार्रवाई करें। यदि समय पर सही कदम उठाए जाएं, तो उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है और किसानों को होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है।

खेती में जागरूकता और सही जानकारी सबसे बड़ा हथियार है। सतर्क रहिए, अपनी फसल बचाइए और खेती को अधिक लाभदायक बनाइए।

और जानकारी : क्लिक करे 

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